“उत्तराखंड की परी”
हिमालय की गोद में, हरी भरी वादियों में, स्वच्छ हवा और मंत्रो के
स्वरों के बीच होता है उत्तराखंड की परी का जन्म । बचपन से ही चट्टान की तरह मजबूत, सागर की तरह गहरी और नदी सी चंचल उत्तराखंड की बेटी । कठिनाइयों को पार करने की क्षमता, और घर की ज़िम्मेदारियां उसे समय से पहले ही परिपक्व बना देती हैं । घर के कामों के साथ साथ, पढ़ना और बाहर के अन्य काम करना तो जैसे सहज़ रूप से उसकी दिनचर्या में अपने आप शामिल हो जाते हैं, परिवार के लोगों के साथ साथ अपने मवेशियों की भी ज़िम्मेदारी बहुत अच्छे से निभाती हैं और उन्हें उतना ही प्यार देती हैं जितना घर के सदस्यों को ।
अपने ही घर की नहीं सारे गाँव की लाड़ली होती है उत्तराखंड की परी, पहाड़ का कठिन जीवन जीते जीते ये पारस बन चुकी होती हैं, एक गर्व इनके चेहरे पर हमेशा दिखता है, सर उठाकर जीने की आदत और कुछ करने की अभिलाषा बचपन से कूट-कूट कर भरी होती है । अपने बच्चों को देश सेवा के लिए भेज देती हैं, दिल से मोम और बाहर से चट्टान, ये सिर्फ अपने लिए ही नहीं सबके लिए कुछ करना चाहती हैं ।
ऐसी है मेरे उत्तराखंड की परी ।
Youth icon Yi National Creative Media , 19.04.2016
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