पीडीएफ व काग्रेस मे घमासान
उत्तराखंड मे कांग्रेस की मुसिबते कम होने का नाम नहीं ले रही है. कांग्रेस की सहयोगी पीडीएफ एवं कांग्रेस मे घमासान शुरू हो गया है.पूर्व सीएम हरीश रावत के श्रीनगर दौरे के बाद दोनो दलो मे जवानी जंग तेज हो गयी है. हालांकि हरीश रावत Damage control मे जुटे हुए है लेकिन जिस तरह के हालात नजर आ रहे है उससे टकरार और बढने के आसार नजर आ रहे है .यहां बात देवप्रयाग विधानसभा की कि जा रही है. हरीश रावत की लोकतंत्र बचाओ उत्तराखंड बचाओ पद यात्रा के दौरान पीडीएफ सर्मथको एवं कांग्रेसियों मे गुटबाजी साफ तौर पर देखी
गयी दोनो दल अलग अलग नारे बाजी करते देखे गये. देवप्रयाग बाजार एवं कीर्तिनगर मे मुख्यमंत्री द्वारा मंत्री प्रसाद नैथानी की तारिफ करने पर आग और भडक गयी.. जिसके बाद कांग्रेस के वरिष्ट नेता शूरवीर सिंह सजवाण ने मुख्यमंत्री पर ही हमला बोल दिया..विदित हो की 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बागी होकर मंत्री प्रसाद नैथानी ने देवप्रयाग विधानसभा से निर्दलिय उम्मीदवार के रूप मे चुनाव लडा व कांग्रेस प्रत्याशी शूरवीर सिंह सजवाण काे करारी मात दी थी. जीत के बाद मंत्री प्रसाद नैथानी प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री के पद से नवाजा गया तब से लगातार शूरवीर सिंह सजवाण पीडीएफ के खिलाफ शब्दवाण छोडते रहे. मुख्यमंत्री की पद यात्रा में पीडीएफ अध्यक्ष मंत्री प्रसाद नैथानी की गैर मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए शूरवीर सिंह सजवाण ने कहां की जो लोग सत्ता का लाभ उठाते रहे वे लोग आज मूसिबत के समय गायब है. वे यहां तक कहने से नहीं चूके की प्रदेश की वर्तमान हालातो के लिए स्वयं मुख्यमंत्री जिम्मेदार है. वही पीडीएफ सर्मथको का कहना है की मंत्री प्रसाद नैथानी की लोकप्रियता देवप्रयाग विधान सभा मे और बढी है आगामी विधानसभा चुनावो में कांग्रेस से मंत्री प्रसाद नैथानी चुनाव लड सकते है इसलिए पू्र्व काबिना मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता बौखलाये हुए है इसलिए वह इस तरह की बयान बाजी कर रहे है. मंत्री प्रसाद नैथानी के प्रतिनिधि राकेश विष्ट ने बताया की मंत्री प्रसाद नैथानी की धर्म पत्नी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है वे दिल्ली के किसी हास्पिटल मे उनके साथ हैं… कांग्रेस नेता जनता को गुमराह करने पर तुले हुए है.
उत्तराखंड की राजनीति बहुत गंदी हो गई है ।
स्वार्थपरता और सत्ता लोलुप्ता की मृगतृष्णा ने उत्तराखंड के राजनीतिक वातावरण को प्रदूषित और दिग्भ्रमित कर दिया है। जिसका एक ही विकल्प हो सकता है कम से कम एक पंचवर्षीय योजना राष्ट्रपति शासन में ही सम्पन्न हो।
बहुत सुंदर पत्रकारिता , पूर्णतः निष्पक्ष ,वस्तुस्थि सहित सभी पक्षों का मत पाठकों के सामने रखे गए हैं , धन्यावाद