Report : Raj Kaushik, Dehradun
देहरादून की सड़कों पर फूलदेई की रही धूम !
* राजभवन प्रांगण से हुई शुरुआत ।
* महामहीम के द्वार पर नौनिहालों की फूलों की वर्षा ।
* मुख्यमंत्री आवास भी पहुंची नौनिहालों की टोली ।
* खास से लेकर आमजन के द्वार द्वार बरसाए फूल ।
* उपहार पाकर बच्चे हुए खुश ।
* राज्यपाल ने मानी बच्चों की बात ऊंगली पकड़ ले गए बच्चों को अपने आवास के प्रत्येक कक्ष मे ।
* रंगोली आंदोलन के मूहीम की सराहना ।
प्रकृति से जुड़ा सामाजिक, सांस्कृतिक, एवं लोक-पारंपरिक त्योहार जो एक अनूठी पर्वतीय संस्कृति की त्रिवेणी ‘फूल-फूल माई’ / ‘फूल देई’ त्योहार है , के संरक्षण व संबर्धन मे रंगोली आन्दोलन की एक मुहीम ।
प्रकृति से जुड़ा सामाजिक, सांस्कृतिक, एवं लोक-पारंपरिक त्योहार जो एक अनूठी पर्वतीय संस्कृति की त्रिवेणी ‘फूल-फूल माई’ / ‘फूल देई’ त्योहार है , के संरक्षण व संबर्धन मे रंगोली आन्दोलन की एक मुहीम ।
उत्सव ध्वनि ‘रंगोली आंदोलन’ की रचनात्मक मुहीम के चलते आज उत्तराखण्ड का खूबसूरत फूल पर्व , ‘फूल-फूल माई / फूल देई’ त्यौहार आज देहारादून मे नौनिहालों ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया । सबसे पहले बच्चों की सामूहिक टोली राज्यपाल के द्वार पर पहुंची जहां उन्होने राजभवन के द्वार पर एक साथ मिलकर रंग बिरंगे फूलों की बरसात की । महामहीम भी तय वक़्त पर अपने द्वार पर बच्चों के स्वागत के लिए खड़े थे । इस बीच सभी बच्चे द्वार पर फूल बरसाते हुए ‘फूल-फूल ‘माई दाल द्ये चावल द्ये खूब खूब खाजा’ गाते रहे । परम्परानुसार बच्चे यह तब तक गाते हैं जब तक उन्हें गृह स्वामी की ओर से उपहार स्वरूप कुछ भेंट मे नहीं मिल जाता है ।
यह पर्व मानव व प्रकृति के पारस्परिक संबंधों का ऋतु पर्व है । इस अवसर पर नन्हें मुन्हे बच्चे प्रात: घर-घर जाकर द्वारों (देहरियों) पर फूल बिखेरते हैं और धनधान्य समृद्धि की कामना वन देवता, वन देवी व प्रकृति से करते हैं ।
पलायन के कारण तेजी से लुप्त हो रहा यह बाल पर्व त्यौहार वर्तमान परिप्रेक्ष्य (ग्लोबल, वार्मिंग, बढ़ता प्रदूषण, गंगा रक्षा आदि) में प्रभावी संदेश दे सकता है ।
इन्ही प्रयासों के क्रम में “फूल-फूल माई” / “फूल देई” त्यौहार आज दिनांक 14.03.2016 फूल संक्रांति को 36 नन्हें-मुन्ने बच्चों की एक टोली राज्यपाल व मुख्यमंत्री के द्वार (देहरी) पर रंग विरंगे फूलों की वर्षा करने पहुंचे । और इस अवसर पर राज्यपाल व मुख्यमंत्री, के मार्फत भी पर्वतीय परंपरानुसार बच्चों को सगुन मे एक-एक मुट्ठी चावल व एक एक मुट्ठी गेहूं (शुभ संपन्नता व आशीर्वाद का प्रतीक) भेंट किया गया ।
इस अवसर रंगोली आंदोलन के संस्थापक शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ ने कहा कि मेरी इस मुहीम को राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिले समर्थन से यह संदेश रचनात्मक मीडिया के द्वारा उत्तराखंड सहित पूरे देश व विदेश मे रह रहे प्रवासियों तक प्रभावी रूप से पहुंचेगा व इस खूबसूरत पर्वतीय बाल पर्व के संरक्षण / संवर्धन के क्षेत्र मे भी यह पहल सार्थक होगी । और भविष्य मे भी निरंतर ऐसा करने से बच्चों के मार्फत यह खूबसूरत परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित भी होती रहेगी ।
उन्होने कहा कि फूल-फूल माई / फूलदेई के संरक्षण व संबर्धन के लिए किया जा रहा यह कार्यक्रम अपने आप मे अभी तक का एक मात्र ऐसा पहला कार्यक्रम राज्य मे शुभारंभ किया गया है जो विशुद्ध रूप से प्राचीन लोक परम्पराओं और उससे जुड़ी मान्यताओं को अपनाते हुए अपने मूल रूप मे ही आयोजित किया जा रहा है । और ‘रंगोली आंदोलन’ की हमेशा यह कोशिस रहेगी कि हमारी कोई भी परम्परा या संस्कृति अपने मूल मान्यताओं व परम्पराओं के स्वरूप से न भटके । इसीलिए मैंने आज इस मौके पर सभी स्थानों पर यह अपील भी की है कि कृपया इस पर्व के नाम पर किसी भी आयोजक संस्था व फूलदेई पर्व को मनाने वाले बच्चों को आज या भविष्य मे किसी भी तरह से रुपया / पैसा न दिया जाय । इसमे सिर्फ धन धान्य के प्रतीक गेहूं और चावल के साथ गुड़ देने कि भी परंपरा है ।
उन्होने कहा कि रंगोली आंदोलन का संस्थापक होने के नाते मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि आज मेरी इस पहली पहल मे महामहीम राजपाल,व मुख्यमंत्री के अलावा एस0एस0पी0 सदानंद दाते, आई एल एफ एस स्किल संस्था, हिल फाऊंडेशन
स्कूल सीमाद्वारा बसंत बिहार, मेपल बियर स्कूल सर्कुलर रोड डालनवाला, दून इंटरनेशनल स्कूल ,सी0एम0आई0 के निदेशक डा0 महेश कुड़ियाल ,पद्मश्री डा0 आर0 के0 जैन , मेपल बियर स्कूल के डारेक्टर हरेन्द्र सिंह जुनेजा , हिल फाऊंडेशन की डारेक्टर सोनल वर्मा, माया ग्रुप ऑफ कालेज के एम डी एम. एल. जुयाल , समाजसेविका सुनीता पाण्डेय, डिजायनर चंद्र शेखर महरवाल , भारती फैशन से योगेश सपरा , आई एल एफ एस के राज्य प्रमुख रमेश पेटवाल , फ्यूजन इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट के डारेक्टर अरुण चमोली, डी. आर. फार्मा के राकेश बीजलवाण एवं श्री जी0 एन0 कुलश्रेष्ठ आदि लोगों ने अपने घरों व संस्थानो मे बच्चों की टोलीयां आमंत्रित कर इस अभियान को अपना बहुमूल्य सहयोग भी प्रदान किया है । साथ ही शहर के विभिन्न स्कूलों मे आज यह पर्व बच्चों के बीच मनाया जा रहा है । आज इसी मौके पर रंगोली के तहत नौनिहालों की फूलदेई टोली राजपुर रोड , हरिद्वार रोड , बसन्त बिहार ,डालनवाला बलबीर रोड , व तेग बहादुर रोड के अनेकों घरों मे पारम्परिक रूप से द्वार द्वार पुष्प वर्षा भी की गई ।
पर्वतांचल की यह अनूठी बाल पर्व की परम्परा जो मानव और प्रकृति के बीच के पारस्परिक सम्बन्धों का प्रतीक है वह वर्तमान मे अपनी पहचान खोता जा रहा है । अत: आज के फूल फूल माई / फूल देई के शुभअवसर पर इस पत्र के मार्फत के मार्फत अपने सभी सम्मानित मीडिया संस्थानों , मीडिया कर्मियों, संस्कृति कर्मियों सामाजिक चिंतकों से निवेदन किया गया है कि व इस सामाजिक, सांस्कृतिक एवं पारम्परिक बाल पर्व के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु अपने स्तर से भी जोरदार पहल करें ।
रंगोली संस्थापक शशि भूषण मैठानी ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री को पत्र सौंपते हुवे यह सुझाव के साथ ही यह मांग सरकार से की है कि प्रत्येक वर्ष राज्य के सभी स्कूलों मे बच्चों को इस बालपर्व फूलदेई को मनाने के लिए प्रेरित किया जाय व इस परम्परा से संबन्धित लेख या कविताओं को नौनिहालों के पाठ्यक्रम मे भी शामिल किया जाय ।
उन्होने कहा कि अगर सरकार की ओर से इस विषय पर ठोस सकारात्मक पहल होती है तो मै भी अपने स्तर से रंगोली आंदोलन की पूरी ऊर्जा से सरकार के साथ चलकर हर सम्भव सहयोग के लिए तत्पर रहूँगा, उन्होने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वाश है कि मेरे द्वारा सामाजिक, लोक परंपरा, संस्कृति संरक्षण के क्षेत्र मे चलाई जा रही रंगोली आंदोलन की यह मुहीम राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के द्वार से अवश्य परवान चढ़ेगी, व आने वाले वर्षों मे यह यह बाल उत्सव राज्य मे ही नहीं अपितु देश और दुनियाँ के कोने कोने मे रहने वाले हमारे प्रवासी जन भी अपनाने लगेंगे ।
Photo : New Era Modelling Photo Studio
mujhe bhi aaj bahut majaa aayaa . maine bhi pahli baar itne kareeb se fuldei ko dekhaa aur khelaa bhi .. iske shashi bhushan maithani ji ka vishesh dhanyvaad .