O .. ho इसका मतलब 2017 में कांग्रेसियों की ही सरकार बनेगी उत्तराखंड में …!
उत्तराखण्ड में बीते 18 मार्च के बाद से जिस तरह के राजनीतिक हालत बिगड़ते, बनते और फिर बिगड़ते चले गए उसके बाद से सूबे में बनी राजनीतिक अस्थिरता के चलते जनता पूरी तरह से भ्रम की स्थिति में हैं । इस बात का किसी को भी अंदाजा नहीं है कि अब 2017 में होने वाले चुनावों के बाद राज्य में बनने वाली सरकार किस दल की होगी ? जनता में यह भी एक असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि किन मुद्दों के आधार पर किस दल को वोट किया जाय । क्योंकि जिस तरह की जोर अजमाईश सूबे में जनता को विगत महीनों में माननीय नेताओं के बीच राज्य में देखने को मिली है, उससे तो यह स्पष्ट हो गया कि नेता चाहे किसी भी दल का क्यों न हो इन माननीयों को जनता के विकास के बजाय अपने व्यक्तिगत विकास की चिंता पहले रही है ।
लेकिन उत्तराखण्ड में एन चुनाव के कुछ महीनों पहले ही मचे इस सियासी घमशान के बाद यह कहना अब गलत नहीं होगा कि 2017 में कांग्रेसियों की ही सरकार बननी तय है । और यह बात मै किसी सर्वे के आधार पर नहीं लिख या सोच रहा हूँ बल्कि जो सच्चाई सामने आईने में दिखाई दे रही है उसे बयां कर रहा हूँ ।
दरअसल फिलवक्त उत्तराखण्ड में दो ही मुख्य राजनीतिक पार्टियां हैं नंबर एक पर कांग्रेस और नंबर दो पर है कांग्रेस युक्त भाजपा इस लिहाज से दोनों ही पार्टियों में कांग्रेसी चेहरों का बोलबाला कहें या बर्चस्व सामने स्पष्ट दिखाई दे रहा है । क्योंकि वर्तमान में भाजपा में कांग्रेस के एक मुस्त 10 विधायकों ने एक साथ जोरदार एन्ट्री मारी है । और इन 10 कांग्रेसियों के अलावा सतपाल महाराज पहले से ही भाजपा में अपनी धुनी रमाए बैठे हैं । माना जा रहा है कि भाजपा में शामिल हुए एक दो विधायकों को छोड़कर अन्य सभी को 2017 में भाजपा के निशान पर चुनाव मैदान में उतारा जाएगा । जिनमें से अधिकांश की अपने पूर्व रिकार्ड के अनुसार जीतकर आने की पूरी संभावना भी है । दूसरी ओर कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता सतपाल महाराज जो कांग्रेस में अपने सीएम बनने की संभावनाओं को क्षीण होते देख पहले ही भाजपा का दामन थाम चुके हैं वह अब भाजपा में भी गाहे-बगाहे मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल बताए जाते हैं, जिससे मूल भाजपाई कैडर के दिग्गजों की पेशानी पर भी बल पड़ना स्वाभाविक ही है । लेकिन अगर सभी पूर्व कांग्रेसी भाजपा के कमल के साथ 2017 में विधानसभा पहुँचने में वाकही कामयाब हो जाते हैं तो ऐसी स्थिति में, 2017 में भाजपा की ओर से बनने वाली सरकार पूरी तरह से कांग्रेस युक्त रहेगी, इस संभावना से कोई भी इन्कार नहीं कर सकता है ।
दूसरी ओर हरीश रावत कहें या कांग्रेस की सरकार 2017 में फिर से बन सकती है, यह भी प्रबल संभावना बनी हुई है । तीन महीनों के सियासी ड्रामे के बाद जिस तरह विधानसभा से लेकर देश की सर्वोच्च न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट तक से हरीश रावत को जीत हासिल हुई है उससे उनके प्रति सहानुभूति भी बढ़ी है । लेकिन CBI के फंदे से वह कब तक बचे रहते हैं यह देखना भी आने वाले समय में दिलचस्प होगा ।
माना जा रहा है कि जिस तरह से कांग्रेस के 10 असंतुष्ट विधायको को भाजपा ने जल्दबाज़ी में अपने साथ जोड़ा है उससे भाजपा के अंदरूनी खेमें में भी आने वाले दिनों में जोरदार घमासान देखने को मिल सकता है । अगर भाजपा, कांग्रेस के किसी भी असन्तुष्ट विधायकों (जो अब भाजपा के नेता हैं) को टिकट देती है तो जाहिर सी बात होगी कि इसका जोरदार झटका उन लोगों को लगेगा जो वर्षों से भाजपा में अपनी सेवा के बूते अपनी दावेदारी मजबूत बनाए हुए हैं । ऐसी स्थिति में भाजपा में भी विद्रोह की पूरी संभावनाएं बन रही है । और तब एन चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी खुलकर सामने आएगी जिससे पार्टी की मुसीबत बढ़ सकती है । भाजपा के एक प्रदेश स्तरीय नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिन कांग्रेस नेताओं का हमने पूरे 5 वर्षों तक पुतले जलाए अब उनके लिए जिंदाबाद कर कैसे हम वोट मांगने जनता के बीच जाएंगे । कुलमिलाकर भाजपा में भी सब कुछ ठीक ठाक नहीं है । यह नाराजगी पार्टी कार्यकर्ताओं और पार्टी के मूल नेताओं में साफ देखने को मिल रही है ।
भले ही 2017 का चुनाव आने में अभी काफी वक़्त भी है लेकिन उत्तराखण्ड में आए दिन होती राजनीतिक सरगर्मियां माहौल को अभी से दिलचस्प बनाए हुए है । जीत चाहे कांग्रेस युक्त भाजपा की हो या भाजपा मुक्त कांग्रेस की, सरकार तो कांग्रेसियों की ही बननी तय है ।
*शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
Copyright: Youth icon Yi National Media, 02.06.2016
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