9 जून को अंतिम बार हुई बात।
21जून को जंगल चट्टी से हेलाकाप्टर रेस्क्यू में उनको देखा गया था जिंदा सुरक्षित।
23 जून को न्यूज चैनल आईबीएन 7 में दिखे थे।
5 सिख्ख रेजिमेंट के जवानो ने निकाला था सुरक्षित।
जिम्मेदार कौन
ये सवाल है उत्तराखण्ड सरकार व प्रशासन से कि जो लोग 16 जून को प्रकृति की अतिवृष्टि के कारण मरे वे लोग आपदा में मरे लेकिन 21 जून के बाद देश की आर्मी ने अपनी जान पर खेलकर लोगों को बचाया लेकिन आर्मी द्वारा बचाये गये लोग आज तक घर नहीं पहुंचे इन लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन? साथ ही कई परिवार जो राजस्थान के मानसरोवर से बाबा केदार के दर्शनों केा आया था लेकिन बाबा केदार से ये लोग 23 जून को आर्मी के 5 सिक्ख रेजीमेंट के जवानों द्वारा सुरक्षित निकालते हुए टीवी चैनलों पर दिखे साथ ही उनके जानने वालों ने भी इसकी सूचना इनके घरवालों को दी थी कि वे सुरक्षित है लेकिन इन लोगों का अब तक घर नहीं पहुंचने से आज भी परिजन पहाड़ों में अपनों को दर-दर खोजते हुए भटक रहें है। राजस्थान के विनीत सोनी भी अपने माता पिता को खोजने में लगे हैं लेकिन सरकार के साथ है स्थानीय प्रशासन के पास कोई जबाब नहीं कि आर्मी द्वारा बचाये जाने के बाद ये लोग कहां गये सरकार की सबसे बडी लापरवाही तो तब सामने आयी जब उत्तराखण्ड डाट काॅम डाली सूचनाओं पर भी सवाल उठने लगे जिन झाडियों में राजस्थान से आये इन यात्रियों का नाम था वे गाडि़यां किसी भी परिवहन विभाग में पंजीकृत नहीं हैं। आखिर वो लोग गये कहां और कौन इनकी मौत का जिम्मेदार हैं?
कुछ लोगों ने जब टी.वी. न्यूज चैनल पर अपने परिजन को 23 जून के फुटेज में आर्मी द्वारा सुरक्षित व स्वस्थ निकालते हुए दिखे तो उन्ही में से एक डा॰ विनीत को भी अपने माता पिता के जीवित होने की उम्मीदें बढ़ गई। डाॅ. विनीत ने बताया कि हमने 10 गाडि़यों के न0 टिहरी और रूद्रप्रयाग चमोली के आरटीओ से टैªस कराये तो पता लगा कि मात्र कुछ ही गाडि़यां आरटीओ में रजिस्टर हैं और 9 गाडि़यों का कोई पता नहीं जब डा॰ विनीत ने गाडि़यां में सवारियो ंके नाम की खोज बीन शुरू की तो गाड़ी न॰ यूके 08 पी 8373 में डा॰ विनीत की मां श्रीमती शीता स्वर्णकार और आंटी श्रीमती विमला शर्मा का नाम इस गाड़ी में भेजने की सूचना मिली लेकिन जब इस बारे में छानबीन की तो ये गाड़ी राज्य में कहीं रजिस्टर ही नहीं है।