क्या कसूर था सिम्बा का ! जो बे-मौत मारा गया । इंसान कर रहा है अब नासमझी की हदें भी पार ।
क्या कसूर था सिम्बा का ! जो बे-मौत मारा गया । इंसान कर रहा है अब नासमझी की हदें भी पार । कल तक घर के आंगन में उछलता कूदता…
क्या कसूर था सिम्बा का ! जो बे-मौत मारा गया । इंसान कर रहा है अब नासमझी की हदें भी पार । कल तक घर के आंगन में उछलता कूदता…
नौटंकी जो है काम की ! भारत के प्रधानमंत्री को अकेले ऐसी नौटंकी करने के बजाय देश के हर नागरिक को यह नौटंकी करनी चाहिए वह भी 365 दिन ।…