Presidential Election : राम की कर्मभूमि और मीरा की जन्मभूमि, बिहार से ही गुजरेगा राष्ट्रपति भवन जाने का रास्ता !
Presidential Election :राम की कर्मभूमि और मीरा की जन्मभूमि, बिहार से ही गुजरेगा राष्ट्रपति भवन जाने का रास्ता !
(यूथ आइकाॅन)। राजनीतिक गलियारों में आजकल ही एक ही बात की चर्चा हो रही है कि देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा। राष्ट्रपति चुनाव का प्रचार अभियान शुरू हो चुका है। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनताांत्रिक गठबंधन (राजग) ने प्रचार के लिए व्यापक रणनीति बनाई हुई है। जीत की प्रबल संभावनाओं के बाद भी भाजपा किसी प्रकार की कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। राष्ट्रीय जनताांत्रिक गठबंधन (राजग) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद सभी राज्यों खास तौर से बीजेपी शासित राज्यों में जाकर विधायकों और सांसदों से मुलाकत कर अपने पक्ष में वोट के लिए अपील करेंगे। वहीं विपक्षी पार्टियों ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को चुनावी अखाड़े में उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया है। मीरा कुमार का मुकाबला केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनताांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार और बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद से है। दोनों उम्मीदवार दलित समुदाय से हैं और दोनों का संबंध बिहार से है।
‘मीरा’ की जन्मस्थली तो ‘कोविंद’ की कर्मस्थली है बिहार
बिहार मीरा कुमार की जन्मस्थली है, तो कोविंद के लिए यह राज्य उनकी कर्मस्थली है। ऐसे में इस चुनाव में जीत किसी भी उम्मीदवार की हो, जीत बिहार की ही होगी। देश की 17 विपक्षी पार्टियों की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में हुई बैठक में राजग के रामनाथ कोविंद से मुकाबला करने के लिए मीरा कुमार को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने के फैसले के बाद यह तय हुआ कि इस चुनाव में मुख्य मुकाबला दो दलित चेहरों के बीच है। कोविंद जहां बिहार के राज्यपाल रहे हैं, वहीं मीरा इस प्रदेश की बेटी हैं। इस चुनाव में इन दोनों उम्मीदवारों को लेकर भले ही कई समानताएं हों, लेकिन बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन में उम्मीदवार के समर्थन को लेकर फूट दिखाई दे रही है। राष्ट्रपति चुनाव में जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को अपना समर्थन देने की घोषणा की है, जबकि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस और राजद मीरा कुमार के साथ हैं। इधर, जद (यू) लालू के पुनर्विचार करने की अपील को नकारते हुए स्पष्ट कर चुका है कि वह राष्ट्रपति चुनाव में कोविंद के साथ है। नीतीश के फैसले के बाद चुनावी समीकरण बदल गए हैं। इसमें भी बिहार की भूमिका अहम हो गई है तथा राजग के कोविंद की जीत की संभावनाओं को बल मिल गया है। वैसे लालू प्रसाद, मीरा कुमार को बिहार की बेटी बताकर नीतीश पर दबाव बढ़ा रहे हैं।
क्या हैं राष्ट्रपति चुनाव को लेकर समीकरण ?
भारतीय जनता पार्टी के द्वारा घोषित राष्ट्रपति प्रत्याशी रामनाथ कोविंद को एनडीए समर्थक दलों और देश के अन्य कई राजनीतिक दलों के द्वारा समर्थन दिए जाने के बाद समीकरण भाजपा के पक्ष में है ऐसे में कई दलों के सामने मुश्किल हो गई है कि वे क्या करें। ऐसे में कई दल सोच रहे हैं कि भाजपा उम्मीदवार के विरोध करना कितना राजनीतिक गणित के हिसाब से सही फैसला होगा। कोविंद के नाम के ऐलान की एकतरफा फैसला काफी सोच समझकर ही किया है। उसके पीछे वर्तमान समीकरणों का सीधा हाथ है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए अगर इलेक्टोरल कॉलेज पर नजर डालें तो समीकरण सत्ताधारी एनडीए के पक्ष में दिख रहे हैं ऐसे में विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार की जीत की संभावना कम ही दिख रही हैं। राष्ट्रपति चुनाव के लिए अगर इलेक्टोरल कॉलेज में एनडीए के पक्ष में है 5,37,683 जो कि कुल का 48.93ः पड़ता है, लेकिन टीआरएस, एआईएडीएमके, वाईएसआर कांग्रेस ने एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान किया है तो अब एनडीए के पक्ष में कुल 57.85ः वोट हो जाते हैं। इन सारे दलों ने भाजपा को खुलकर समर्थन देने का वायदा भी कर रखा है। ओडिशा के सीएम और बीजेडी चीफ नवीन पटनायक ने सोमवार शाम रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी के समर्थन का ऐलान किया और इससे एनडीए के पक्ष में 2.99ः की और वृद्धि हो गई।
क्रॉस वोटिंग हुई तो बिगड़ सकते हैं समीकरण :
राष्ट्रपति पद के चुनाव में भाजपा की अगुआई वाले एनडीए का पलड़ा विपक्ष की तुलना में भारी नजर आ रहा है। लेकिन अगर क्रॉस वोटिंग हुई तो समीकरण बिगड़ सकते हैं। दरअसल, मौजूदा समय में भले ही भाजपा ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार की जीत तय करने के लिए अन्नाद्रमुक के दोनों धड़ों के अलावा तेलंगाना में सत्ताधारी टीआरएस को अपने पाले में कर लिया है लेकिन इसके बावजूद सत्ता व विपक्ष के रणनीतिकार उन कमजोर कडियों को दुरुस्त करने में लगे हैं जिनसे क्रॉस वोटिंग की आशंकाएं बढ़ सकती हैं। कांग्रेस ने इस बात पर पहले ही शोर मचा दिया है कि उसके करीब एक दर्जन विधायकों को भाजपा के लोग क्रॉसिंग वोटिंग के लिए संपर्क कर रहे हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उनके विधायकों पर डोरे इसलिए डाले जा रहे हैं। भाजपा में शीर्ष स्तर पर यह भी माना जा रहा है कि पार्टी के पूरे ढांचे पर मोदी-अमित शाह की पकड़ कितनी मजबूत है, यह राष्ट्रपति चुनाव के वोटिंग पैटर्न से ही तय होगा।
कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव?
राष्ट्रपति का पद देश का सर्वोच्च पद होता है। 25 जुलाई को देश को नया राष्ट्रपति मिलने वाला है। इसे लेकर अभी खूब गहमागहमी है। राष्ट्रपति के चुनाव से लेकर उनके शपथ के दिन तक पर सबकी निगाहें हैं। तो आइए जानते हैं राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आपकी दिलचस्पी से जुड़ी बातें।
कब तक थी नामांकन भरने की आखिरी तारीख?
नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 28 जून थी ।
नामांकन के लिए कितने प्रस्तावक होते हैं जरूरी?
राष्ट्रपति पद के नामांकन भरने के लिए मतदाताओं में से 50 प्रस्तावकों और उतने ही अनुमोदकों के हस्ताक्षर जरूरी हैं।
कितनी जमानत राशि भरनी पड़ती है?
उम्मीदवारों को अपने नामांकन पत्र के साथ 15000 रुपये जमानत राशि के तौर पर जमा करनी होती है।
कौन-कौन हैं उम्मीदवार?
नामांकन दाखिल करने के दिन बचे हुए, लेकिन अब तक के राजनीतिक एलान से साफ है कि मैदान में दो ही कैंडिडेट होंगे। एनडीए की तरफ से रामनाथ कोविंद तो कांग्रेस सहित 17 विपक्षी दलों की साझा उम्मीदवार होंगी पूर्व स्पीकर मीरा कुमार।
कब है चुनाव?
राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 17 जुलाई को होगा।
किसे है वोट देने का अधिकार?
राष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद के साथ-साथ देश के सभी विधानसभा और विधान परिषद के चुने हुए सदस्य वोट दे सकते हैं.
वोटिंग के लिए विशेष पेन क्या है?
वोट डालने के लिए चुनाव आयोग विशेष पेन का इंतजाम करेगा. यह पेन निर्वाचन आयोग के अधिकारी द्वारा वोट डालने वाले को दिया जाएगा. सिर्फ इसी पेन से डाले गए वोट को वैध माना जाएगा।
क्या कोई पार्टी व्हिप जारी कर सकती है?
राष्ट्रपति चुनाव में कोई भी पार्टी व्हिप जारी नहीं कर सकती।
किस पद्दति से होता है राष्ट्रपति पद का चुनाव?
राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज करता है, इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व वेटेज होता है।
कैसे तय होता है प्रतिनिधियों के वोटों का वेटेज?
लोकसभा और राज्य सभा के 776 सांसदों के कुल 5,49,408 है जबकि पूरे देश में 4120 विधायकों के 5,49, 474 है. इस तरह कुल वोट 10,98,882 है और जीत के लिए आधे से एक ज्यादा यानी 5,49,442 चाहिए। विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक हो उसकी 1971 की जनगणना के हिसाब से आबादी देखी जाती है. आबादी को चुने हुए विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है, अब जितना रिजल्ट आए उसकों 1000 से भाग किया जाता है. अब जो आंकड़ा हाथ लगता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होता है. सांसदों के वोटों के वेटेज का गणित अलग है. चुने लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के वोटों का मूल्य फिक्स होता है. एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है।
कब है वोटों की गिनती?
20 जुलाई को वोटों की गिनती होगी।
किसकी जीत पक्की है?
एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की जीत पक्की है। अब तक के राजनीतिक समीकरण से जो आंकड़े बनते हैं उसके हिसाब से कोविंद को 68 फीसदी वोट मिल सकते हैं।
कब होगा शपथ ग्रहण?
25 जुलाई को शपथ ग्रहण समारोह होगा. देश के चीफ जस्टिस नए राष्ट्रपति को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे।
कौन पार्टी किधर है?
एनडीए को गठबंधन के बाहर जिन पार्टियों से सपोर्ट मिल रही है उनमें तेलंगाना राष्ट्र समिति, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल, जनता दल (युनाइटेड) हैं।
कौन हैं रामनाथ कोविंद?
71 साल के रामनाथ कोविंद बिहार के पूर्व राज्यपाल हैं. दो बार सांसद रहे हैं. पेशे से वकील हैं। दलित समुदाय से आते हैं। बीजेपी और आरएसएस से संबंध रहा है।
कौन हैं मीरा कुमार?
लोकसभा की पूर्व स्पीकर हैं. पांच बार सांसद रह चुकी हैं. कांग्रेस की नेता रही हैं. दिग्गज कांग्रेसी नेता जगजीवन राम की बेटी हैं।
क्या है दोनों उम्मीदवारों में समानता?
दोनों सांसद रह चुके हैं। पेशे से वकील रहे हैं। दोनों का संबंध दलित परिवार से है. दोनों की उम्र 71 साल है यानि दोनों 1945 में जन्मे हैं।