Fulfill our demand Otherwise…. और टूट गई 17 वर्षों की खामोशी ! यह चिंगारी अब बुझेगी नहीं, मशालें थमेंगी नहीं । आंदोलनकारी रुकेगा नहीं, थकेगा नहीं ।
अब तो अपने ही अपनों से लड़ेंगे और अपने ही अपनों को मारेंगे ! आखिरकार सत्रह वर्षों से घुट-घुट कर जी रही पहाड़ी जनता एकबार फिर से लामबंद होने लगी है । और जिस तरह के हालात दिखाई दे रहे हैं उससे तो अंदेशा है कि इस बार पहाड़ी अस्मिता की लड़ाई नब्बे के दशक से भी उग्र होने वाली है । आंदोलनकारियों के समूह रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ और देहरादून की सड़कों पर उतर आए हैं । मजेदार बात तो यह है कि उत्तराखंड राज्य की स्थाई राजधानी गैरसैण बनाए जाने को लेकर भाजपा, कांग्रेस के नाराज नेताओं के अलावा पत्रकार, समाजसेवी, रंगकर्मी, चिंतक, लेखक, गीतकार, साहित्यकार और कवि सभी एक ही बैनर के नीचे इकट्ठे होने लगे हैं ।
भारी पुलिस बल की निगरानी में आज जिस तरह से आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड सरकार को ललकारा है उससे साफ है कि अब यह चिंगारी और तेज भड़कने वाली है । आंदोलनकारियों ने साफ कर दिया है कि अब भाजपा या कांग्रेस की मनमानी उत्तराखंड में नहीं चलने देंगे । एक स्वर में कहा गया कि यह दोनों पार्टियां बीते सत्रह वर्षों से बारी-बारी पहाड़ी जनभावनाओं के विपरीत कार्य कर रही हैं, जो अब हरगिज सहन नहीं किया जाएगा । आंदोलकारियों ने स्पष्ट किया कि अब ग्रीष्मकालीन या शीतकालीन का खेल भाजपा कांग्रेस खेलते रहें अब तो पहाड़ी जनमानस एकबार फिर जाग उठा है । और वह हर कीमत पर गैरसैण को राजधानी बनवाकर ही दम लेंगे । गांधी पार्क में एकत्रित हुए आंदोलनकारियों ने कहा कि अब हर पहाड़ी को फिर से जागना होगा और अपने हकों की लड़ाई के लड़ना होगा, चाहे फिर एक बार हमें कई बलिदान ही क्यों न देने पड़े । यह चिंगारी अब बुझेगी नहीं । मशालें थमेंगी नहीं । आंदोलनकारी रुकेगा नहीं, थकेगा नहीं । जैसे आक्रोशित शब्दों से सरकार को सीधा संदेश आज भेजा गया है ।
सत्रह सालों की खामोशी जब टूटी तो सरकार के भी हाथपाव फूल गए थे । महज 12 घंटे पहले की गई कॉल पर हजारों आंदोलनकारी आज देहरादून की सड़कों पर उतर आए । सुबह से ही आंदोलनकारी गांधी पार्क में एकत्रित होने लगे थे । बिल्कुल नब्बे के दशक की यादें ताजा हो गई । जोरदार ढ़ोल नगाड़ों की थाप व ललकार भरे नारेबाजी के बीच एक-एक आंदोलनकारी सरकार व नेताओं के खिलाफ अपना वही आक्रोश जता रहा था । बस नब्बे के दशक के बाद इस आंदोलन की खासियत यह होगी कि अब लड़ाई बाहर वालों यानी माया मुलायम से नहीं बल्कि अपनों से होगी । जो कि अब
आने वाले दिनों में उत्तराखंडी नेताओं की पेशानी पर बल डालने का काम करेगा । अगर सरकार दमनकारी नीतियों को अपनाती है तो उसे उसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी । आज यह भी तय किया गया कि अब देहरादून सहित पूरे प्रदेश में क्रमिक अनशन शुरू किया जाएगा । और धीरे-धीरे आगे आंदोलन को सरकार के रवैये के अनुसार ही दिशा व धार दी जाएगी । यदि सरकार ने निश्चित अवधि में आंदोलकारियों की मांग को नहीं माना तो तीखे व उग्र आंदोलन से कैसे निबटना है यह त्रिवेन्द्र सरकार को खुद ही तय करना होगा । आज से शुरू हुए आंदोलन में एक बात स्पष्ट हुई कि आंदोलनकारी अपने पत्ते खोलकर सरकार को मौका नहीं देना चाहते हैं इसलिए यह खास प्लान भी तैयार किया गया कि सभी आंदोलनकारी एकजुट रहें और सूचना तकनीकी का अपनी अस्मिता इस क्रांति के लिए भरपूर उपयोग करें ।
कुल मिलाकर सत्रह सालों से छ्ले और ठगे जा रहे पहाड़ी जनमानस का एका-एक यूं सड़कों पर उतर जाने से त्रिवेन्द्र सरकार पसोपेश में तो आ ही गई है । सरकार का खुफिया तंत्र भी आने वाले दिनों में आंदोलन की दिशा और दशा को भांपने में एक एक का मन टटोलने की कोशिस में जुट गया है । देहरादून में इस आंदोलन की शुरुवात पूर्व छात्र नेता सचिन थपलियाल के नेतृत्व में हुआ ।
कल यानी 24 दिसंबर को रुद्रप्रयाग में होगा उग्र आंदोलन :
वैसे यहाँ पर इस बात को स्पष्ट करना चाहूँगा कि जो वर्तमान में पूरे प्रदेश में उत्तराखंड की स्थाई राजधानी को लेकर आंदोलन की चिंगारी सुलगी है वह रुद्रप्रयाग से ही आरंभ हुई है । और मजेदार बात यह है कि इस आंदोलन को शुरू किया है युवा पत्रकार मोहित डिमरी ने मोहित की इस मुहीम को न सिर्फ रुद्रप्रयाग में बल्कि चमोली, पिथौरागढ़ व देहारादून में भी आम जनता का साथ मिल रहा है । रुद्रपयाग जनपद से आन्दोलन का नेतृत्व करने वाले मोहित ने बातचीत करते हुए बताया कि 24 दिसंबर को प्रात: 9:30 बजे से ही पूरे जनपद से भारी संख्या में आम जनता जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग एकत्रित होगी । उसके बाद रुद्रप्रयाग के पवित्र संगम से ढ़ोल दमाऊँ गाजे बाजे के साथ मंत्रोचरण व श्ंख्ध्वनि के बीच विधिवत आंदोलन का बिगूल फूंका दिया जाएगा । तदुपरान्त हजारों की संख्या में एकत्रित सभी आंदोलनकारी लंबी कतार में तकरीबन 5 किलोमीटर का पैदल मार्च कर गुलाबराय व वापस रुद्रप्रयाग बस अड्डे तक पहुंचेंगे । जहां पर विशाल जनसभा का भी आयोजन होगा व फिर विस्तृत कार्यकारिणी का भी गठन किया जाएगा । मोहित ने बताया कि जनपद चमोली, पौड़ी, व टिहरी से भी अधिसंख्य लोग कल रुद्रप्रयाग से आरंभ होने वाले आंदोलन में भाग लेने पहुँच रहे हैं । रुद्रप्रयाग में होने वाले रोड शो में स्थानीय वाद्य यंत्र ढ़ोल, दमाऊँ, मशकबीन, व गाड़ियों पर भोंपू लगाए जाएंगे व तमाम महिला मंगलदल, युवक मंगलदल विभिन्न समाजसेवी संगठनो के सदस्यों, छात्र-छात्राओं द्वारा जन-गीत व नारेबाजी से आंदोलन के माहौल को गरमाया जाएगा ।
तेज हुई गैरसैंण राजधानी की मांग । जन-जागरण रैली के साथ ‘गैरसैंण विरोधी विचार’ का पुतला जलाया :
आन्दोलन समिति द्वारा प्रेस नोट जारी कर दी गई जानकारी :
देहरादून: उत्तराखंड की स्थाई राजधानी का मुद्दा ज़ोर पकड़ने लगा है। गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजधानी बनाए जाने की मांग को लेकर प्रदेशभर में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। इसी क्रम में देहरादून में भी शनिवार को बड़ा प्रदर्शन हुआ। ‘गैरसैंण राजधानी अभियान’ के तहत सैकड़ों आम लोगों ने गांधी पार्क से घंटाघर तक जन-जागरण रैली निकाली। गैरसैंण को राजधानी घोषित किए जाने की मांग करते हुए ‘गैरसैंण विरोधी विचार’ का पुतला भी जलाया गया।
जन-जागरण रैली में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने भागीदारी की। प्रदर्शनकारियों में सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की थी। अलग-अलग महाविद्यालयों के छात्र-छात्राएं हाथों में पोस्टर और तख़्तियां लेकर शिद्दत के साथ मार्च में जमे रहे। मार्च में राज्य आंदोलनकारियों, सामाजिक संगठनों, महिला संगठनों और पूर्व सैनिकों की भी अच्छी-खासी मौजूदगी रही। सभी ने एकमत से गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ने पर जोर दिया। मालूम हो कि उत्तराखंड राज्य गठन के सत्रह सालों बाद भी प्रदेश की राजधानी तय नहीं हो सकी है। राज्य आंदोलन के वक्त से ही गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाए जाने की मांग की गई थी, लेकिन सरकारों ने इस मुद्दे को उलझाए रखा। वर्तमान में प्रदेश में प्रचंड बहुमत की सरकार है और केंद्र में भी समान दल सत्ता में है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि ऐसे में डबल इंजन वाली सरकार के पास स्थाई राजधानी घोषित न करने की कोई वजह नहीं होनी चाहिए। आज हुई रैली के माध्यम से प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की है कि अविलंब गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी घोषित किया जाए। यदि सरकार अभी भी स्थाई राजधानी के सवाल को हल नहीं करती तो प्रदेशभर में विशाल जनांदोलन छेड़ा जाएगा।
Good work Mohit ji .
हम आपके साथ हैं
ये तो स्पष्ट है बिना आंदोलन किये कुछ हासिल नहीँ होगा
ये एक सुंदर पहल है ,,इसे जारी रखे ॥