Banaras Hindu University BHU : सूरज ढलने तक जितनी जमीन नाप लोगे , उतनी तुम्हारी हो जाएगी ।
इन सबसे कहीं ज्यादा मशहूर किस्सा हैदराबाद के निजाम का हैं। निजाम ने महामना का मख़ौल उड़ाते हुए चंदे में अपनी जूती दी थी। लेकिन महामना बहुत हट्टी स्वभाव के थे। उन्होंने निजाम की जूती को 4 लाख रुपये में नीलाम कर दिया। यह सब निजाम की माँ को पता चला। और निजाम के हाथों महामना को ढ़ेर सारा चंदा दिलाया।
यह भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय की दूसरी किस्त है। पहली किस्त में आपको बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) Banaras Hindu University BHU के लिए चंदे का एक किस्सा सुनाया था। महामना ने विश्विद्यालय University के लिए वैसे तो कई जगह से चंदा जुटाया था। चंदे की शुरुआत उन्होंने अपनी पत्नी के गहने बेचकर की थी। और चंदे की प्रेरणा महामना को कुंभ से मिली थी। जहां उनको एक महिला ने एक पैसे का चंदा दिया था।
लेकिन इन सबसे कहीं ज्यादा मशहूर किस्सा हैदराबाद के निजाम का हैं। निजाम ने महामना का मख़ौल उड़ाते हुए चंदे में अपनी जूती दी थी। लेकिन महामना बहुत हट्टी स्वभाव के थे। उन्होंने निजाम की जूती को 4 लाख रुपये में नीलाम कर दिया। यह सब निजाम की माँ को पता चला। और निजाम के हाथों महामना को ढ़ेर सारा चंदा दिलाया।
आज बात एशिया के ‘सबसे बड़े’ विश्वविद्यालय बीएचयू Banaras Hindu University BHU कि जमीन की। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वर्तमान में दो परिसर हैं। मुख्य परिसर (1300 एकड़) वाराणसी में है। और दूसरा मिर्जापुर के बरकछा में (2700 एकड़) है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय Banaras Hindu University BHU के लिए महामना ने चंदे का जुगाड़ तो कर लिया था। लेकिन जितना जरूरी चंदा जुटाना था। उससे कही ज्यादा जमीन का जुगाड़ करना था। एक दिन महामना (मदन मोहन मालवीय) काशी नरेश महाराज प्रभुनारायण सिंह के पास पहुंचे। उस समय काशी नरेश गंगा में स्नान कर रहे थे। काशी नरेश गंगा से जैसे ही डुबकिया लगाकर बाहर आए वैसे ही महामना ने जमीन मांग ली। महामना को काशी नरेश माना नहीं कर सके। काशी नरेश ने महामना के सामने जमीन देने के लिए एक शर्त रखी।
नरेश ने कहा की ‘ जमीन तो मैं तुमको दे दूंगा लेकिन उसके लिए शर्त हैं। तुम दिनभर में सूरज ढ़लने तक पैदल चलकर लंबाई-चौड़ाई में जितनी जमीन नाप दोगे। मैं उतनी ही जमीन तुमको दान में दे दूंगा। इस शर्त के लिए महामना राजी हो गए। और दिन भर में जितना हो सका, उतनी जमीन नाप ली और शर्त के मुताबिक काशी नरेश ने उतनी जमीन विश्वविद्यालय के लिए दान में दे दी।
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kuch karne ki lagan ho to raste apne aap nikal jate hai. Bahut uttam lekh hai.