चाय की प्यालियां टकराई और आ गया भूंचाल !
भूंचाल। ऐसा शब्द जिसे सुनते ही डर लगने लगता है। डरें भी क्यूं नहीं। भयंकर भूंचाल तबाही ला सकता है। ऐसे ही खतरनाक भूंचाल की चर्चा दो दिन से हो रही है। उत्तराखंड में भूकंप आने का अंदाजा लगाया जा रहा है। विशेषज्ञों ने अलर्ट भी जारी कर दिया है। अपनी-अपनी तरफ से। भूंचाल इसलिए ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि यह चाय की प्यालियां टकराने से आया है। एक चाय वाले ने अकले ही देश में सुनामी ला दी थी। इधर, देहरादून में तो कई प्यालियां एक साथ टकराई हैं। भूंचाल को इसलिए ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। हे भगवान क्या होगा इस उत्तराखंड का। अगर सच में भूंचाल आ गया तो…? सुनने में तो ये भी आ रहा है की कुस्ती के दावपेंच भी लगाने की तैयारी है। दावपेंच लगाने वाले हैं चैंपियन। ऐसे चैंपियन, जिनको कुस्ती ही नहीं आती। बस लोगों ने कह दिया चैंपियन। ओ बेचारे आर्म रेसलिंग जानते हैं और लोग उनसे धोबी पछाड़ दांव लगाने की उम्मीद लगाये हुए हैं।
अरे साबह चैंकिए मत और ना ही घबराइये। भूंचाल आने का तो विशेषज्ञ जरूर अनुमान लगा रहे हैं, लेकिन यह धरती को हिलाने वाला नहीं। सियासत को हिलाने वाला है। भूंचाल आता है या नहीं। यह तो बाद में देखा जाएगा।
पहले यह जान लेते हैं कि भंचाल कैसे पैदा हो रहा है। इसके पैदा होने की कहानी रोचक है। पूर्व सीएम जनाब रमेश पोखरियाल, जनाब भगत सिंह कोश्यारी, जनाब विजय बहुगुणा। आर्यों के प्रतिनिधि यशपाल आर्य। कई दूसरे छोटे-बड़े विधायक, नेता, मंत्री और साथ में संत्री भी। सभी ने शंकाओं से घिरे निशंक जी के दरवार में चाय की प्यालियां क्या टकराई। भूंचाल की चेतावनी जारी कर दी गई। मामला इसलिए भी गंभीर बताया जा रहा है कि इसमें कुमाऊं की सबसे पुरानी रामलीला के दशरथ भी शामिल थे। कहीं टीएसआर को वनवास न दे दें। और तो और रणनीतिकार, सूत्रधार कांग्रेस का तख्ता पटट करने वालों में प्रमुख। भाजपा सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश। नाम ही शिव है। इसलिए डर ज्यादा है। कहीं तांडव ना कर दिया तो। अब सोचिए कि जब इतने धुरंधरों की चाय की प्यालियां आपस में टकारएंगी, तो भूंचाल तो आएगा ही। पिछली सरकार के ओपनर तब सब नेताओं के ईश हरीश। ओ भी कहल रहे हैं की जरा इनसे बच के रहना। चेतावनी के अंदाज में कह रहे हैं की….फिर मत बोलना की बताया नहीं।
इन चाय की प्यालियों की टकराहट को इसलिए भी अधिक खतरनाक माना जा रहा है क्योंकि जिस चर्चा की बात हो रही है। वह कोई आम चर्चा नहीं है। सरकारी खजाने को लूटने और सरकारी शौक पूरा करने वालों को अवसर देने की थी। मतलब दायित्व धारण करने वालों के लिए पाशवा चुनने की चर्चा। 2019 लोकसभा चुनाव की चर्चा। मैने भी देवता से पूछा तो बताया कि भूंचाल तो आ सकता है बल। देवता जी ने कहा कि प्यालियां टकराते वक्त वहां प्रदेश के मुखिया नहीं थे। चाय चर्चा में ज्यादातर वही लोग थे, जो उनकी तबीयत नाशाज करने की फिराक में हैं। अब देखो क्या होता है। भूंचाल आया और तबाही मची तो हमारे इस प्रदेश का क्या होगा। मुझे बस इसकी चिंता सता रही है और कुछ नहीं। बाकी मेरी बला से….