क्या आप जानते हो इस सख्सियत को ? उनकी चर्चा तो सबने की लेकिन इनकी किसी ने न की ! तो आईये मिलाते हैं आपको उस सख्सियत से जिसने जोड़ा अनोखा हुजूम । 35 हजार किसानों के हुजूम को 180 किलोमीटर पैदल मार्च के लिए किया इसे कहते हैं एकजुट,एक मुठ……. !
12 मार्च, पूरे देश ने देखा, जब महाराष्ट्र के 35 हजार किसानों का हुजूम छह दिन लंबी पदयात्रा और अनगिनत जख्मों, छालों से पीड़ित, जोश और जज्बे से लबरेज 180 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा कर अपनी मांगों को लेकर मुंबई पहुंचे। खून बहते पैरों की तस्वीरों से देश का हर शख्स संवेदनशील हो गया । हालांकि महारष्ट्र सरकार ने किसानों की मांगों को मान लिया और उस पर काम करने का वादा किया, जिससे सारे किसान वापस अपने गांव की ओर लौट गए। लेकिन इतने विशाल हुजूम कोएकजुट करने में जिस शख्स ने अहम भूमिका निभाई उसका नाम है………..विजू कृष्णन
विजू कृष्णन ऑल इंडिया किसान महासभा के जॉइंट सेक्रेटरी हैं और इसी संगठन के बैनर तले सभी किसान मार्च कर रहे थे।विजू देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जेएनयू से पढ़े हुए हैं। वे जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। स्टूडेंट फेडरेशन इंडिया के फायरब्रांड नेता विजू अब ऑल इंडिया किसान सभा से जुड़े हैं और वे जॉइंट सेक्रेटरी पद को संभालते हैं। वे हमेशा से किसानों और दबे-पिछड़े समाज के हक की आवाज उठाते रहे हैं। विजू केरल के कन्नूर जिले के करिवेल्लूर इलाके से आते हैं l जेएनयू से पढ़ने के बाद विजू बेंगलुरु के सेंट स्टीफन कॉलेज के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट में प्रोफेसर रहे। उसके बाद वे किसान आंदोलन से जुड़ गए और किसानों की समस्याओं को बड़े स्तर पर उठाने लगे। अब वे एक ऐक्टिविस्ट हैं। उनका कहना है कि , ‘किसानों की समस्या पर अब तक कोई सरकार ध्यान नहीं दे रही है। देश के कई इलाकों जैसे, राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र आदि में किसानों की हालत काफी बदतर है।’
किसान आंदोलन के राजनीतिक रंग पर वह यह मानते हैं कि ‘ प्रदर्शन सिर्फ किसानों का उनके रोजमर्रा के संघर्ष के लिए हैं। बीजेपी की नीतियों के वजह से हालात उसके खिलाफ बन गए हैं और इस प्रदर्शन ने राजनीतिक रंग ले लिया जो कि लाजमी है । हालांकि, इसे चुनावी राजनीति से जोड़ना गलत है। लेकिन ये बात सही है कि ये आंदोलन उन सभी विचारों को बल दे सकता है जो हुकूमत के खिलाफ है।‘
फ़िलहाल सरकार ने आन्दोलन के खौफ से किसानों की मांगों को पूरा करने का वादा किया है लेकिन अब बीजू और उनके किसानों की नजर सरकार के अगले कदम पर है..देखें क्या नजारा होगा इस राजनीतिक इन्द्रधनुष का…..?