उत्तराखंड में नया अध्याय जोड़ने को लामबंद हुई जनता ! ये भीड़ अब नहीं रुकेगी , लड़ेगी, भिड़ेगी और अपना हक लेकर रहेगी .
हजूरेआला गौर से देखिये ये आंदोलनकारी न कांग्रेसी हैं न भाजपाई न ही किसी क्षेत्रीय दल का कैडर वोटर । ये वो आवाम है जिसको आप पिछले 17 सालों से पहाड़ के विकास के नाम पर पांच साला लोकतांत्रिक जलसों में ठगते आएं हैं । विपक्ष में बैठकर आपके नुमाइंदे गैरसैंण और पलायन पर खूब गला फाड़कर चिल्लाते थे, हंगामा बरपाते थे ।
याद कीजिए आपके चुनावी घोषणापत्र में स्थाई पहाड़ी राजधानी और पलायन प्रमुख मुद्दे थे । अब भारी बहुमत की सरकार बनते ही आपको साँप सूंघ गया, बगले झाँक रहे हैं । नकली राजधानी की आधुनिक सुख सुविधाओं का नशा आप पर इस कदर हावी हो गया की आप अपनी मूल पहचान को ही भूल गए और भूल गए उस आवाम को जिसने आपको ये नेमतें बक्शी हैं ।
सनद रहे, यही वो आवाम है जिसने गाड़ गदेरों की बात करने वाली सरकार को जमीन दिखाकर आपको मजबूत सिंहासन पर बिठाया है । अब आप भी डब्बल इंजिन का दम दिखाओ नहीं तो साहब जम्हूरियत इंतिजाम में सिंहासन का सूखा पड़ते देर नहीं लगती ।
जब 60 सालों तक राज करने वाले पैदल हो गए फिर आपक किस खेत की मूली हैं? ये आंदोलनकारी बूढ़े हाथी नहीं बल्कि पड़े लिखे और अपने न्यायोचित अधिकारों के प्रति सजग नौजवान शेर हैं, जिनकी दहाड़ को अनसुना करना नामुमकिन है । मुट्ठीभर लोगों द्वारा शुरू किया गया आंदोलन अब भीड़ का रूप ले चुका है, और ये भीड़ अपना हक लिए बिना चुप नहीं बैठेगी ।
पहाड़ ने आपको यह शानोशौकत बक्शी है अब वक्त आ गया है कि आप भी पहाड़ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित करें । गैरसैंण का आज नहीं तो कल राजधानी बनना तय हैं, इस काम को आप करते है तो आपका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो जाएगा, नहीं तो न कुर्सी रहेगी न मौका ।
मौकापरस्त सियासत भरी पड़ी है आंदोलन में ।
जो उत्तराखंड कांग्रेस पहले अपनी पार्टी का मुख्यालय गैरसैंण में बनाना चाहती थी वो उसका एक कमरे का आफिस नही नहीं वहां ।
बीजेपी गैरसैंण के नाम पर छलावा कर रही है और वर्तमान उसका प्रतिबिम्ब कांग्रेस उसके साथ खड़ी है विधानसभा के अंदर भी और विधानसभा के बाहर भी मात्र उग्र करने हेतु जनता को ।
Right said…
Ye. Satta me ya wipaksh me baithe muthi bhar log hume aur andhere me nahi rakh sakte… Dono barabar ke doshi hain uttrakhand ki is dasa ke liye… Ye rajdhani tak na bana sake gairsain ko , in. Se ab umeed rakhna bekaar ki baat hai …. Saahab 18 saal kam nahi. Hote. Inhone to ram. Chanderji aur pandawon ke. Agyaat was ko bhi peechhe chhod diya .. Ab. Mahabhaarat pakki. Hai devbhoomi me…
The false promises made by both the parties regarding shifting Capital to Garsain still remain unfulfilled.
We must fight & struggle unitedly till we get our new capital at Garsain.