उत्तराखंड में युवाओं की बढ़ रही है दिलचस्पी ! राजेश ढोंडियाल की शानदार पहल से मिलेगा युवाओं को रोजगार ।
* कौन हैं राजेश ? क्या करेंगे वह उत्तराखंड में ? रोजगार का क्या प्लान लेकर लौट रहे हैं राजेश मुम्बई से उत्तराखंड ? जानने के लिए पढ़ें जानेमाने वरिष्ठ पत्रकार वेद विलास उनियाल का शानदार लेख ।
उत्तराखंड मे प्रवासी युवा अपने उद्यम शुरू करने पूरी दिलचस्पी दिखाने लगे है । मुंबई के उद्यमी समाजसेवी स्व बसंत ढोंडियाल के बेटे होरावाला मे प्राकृतिक छँटा के बीच चार एकड़ की जीवन पर हेल्थ रिसोर्ट ला रहे है । इसमें खासकर 21 दिन मे डायबिटीज़ नियंत्रण मे हो जाएगी । संजीवनी नाम से यह रेस्तराँ कम से कम 200 लोगो को रोज़गार देगा ।
मुंबई का पहाड़ी समाज आज भी स्व बसंत ढोंडियाल को याद करता है । उत्तराखंड मे मुंबई गए प्रवासियों मे लंबे संघर्ष के साथ उद्यम की सफलता के साथ उनके सामाजिक सरोकार और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि याद रखी जाती है । पहाड के थके, हारे, निराश, अवाक् परेशान या मेधावी युवाओं को महानगर मे पहुँच कर सबसे पहले एक नौकरी ही तो चाहिए थी । बसंत ढोंडियाल उन प्रबुद्ध लोगों मे थे जिनके पास नए युवाओं को इस आशा से भेजा जाता था कि वो जरूर मदद करेंगे ।
यह पिछली पीढ़ी थी जिसमे नंद किशोर नौटियाल, स्व अर्जुन सिंह गुसाँई, पीसी बलौदी स्व राममनोहर त्रिपाठी माधव भट्ट मोहन काला जैसे लोग रहे, जिनके पास उत्तर भारत से गए युवाओ को मार्गदर्शन मिलता था स्नेह मिलता था । ये लोग अपने अपने क्षेत्रों मे आगे उठे और समाज को आगे बढ़ाते रहे । न जाने मुंबई मे कितने परिवार होंगे जो स्व बसंत ढोंडियालजी के प्रति कृतज्ञ होंगे । उनमे आज कई बहुत अच्छी स्थिति में होंगे । सक्षम होकर अपने पैरों पर खडे होंगे। लेकिन उनके लिए नींव रखने वाले बसंत ढोंडियाल जैसे लोग ही थे । कई युवाओ को उन्होने विदेश भी भेजा । होटल रेस्त्रा, फ़ैक्टरी , कंपनियाँ , कंस्ट्रक्शन जहां जहां संभव था, युवाओ के लिए रोज़गार की दिशा दिलाई । उस बीते समय की यादें है ।
स्व. बसंतजी याद फिर इसलिए भी आए कि अब उनके बेटे राजेश ढोंडियाल ने पहाडों मे उद्यम शुरू कर पिता के पद्चिन्हो पर अाय्य के साथ साथ लोगो को रोज़गार उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है । ख़ासकर ऐसे समय जब पलायन तेज़ी से हो रहा हो वह सहसपुर मे होरावाला मे क़रीब 60 करोड़ की लागत से स्वास्थ्य रेस्तराँ की श्रंखला शुरू कर रहे है ।
स्विट्ज़रलैंड की सुंदरता को पीछे छोड़ती यहां प्राकृतिक छटा मे ये स्वास्थ्य रेस्तराँ विदेशी शैली पर होंगे , जहाँ 21 दिन का उपचार भी होगा । यह इलाक़ा खास बासमती चावल के लिए भी जाना जाता है । तीन लाख रुपए की फ़ीस होने से यहाँ आम मध्यम वर्ग का आना संभव नही, लेकिन पूरा एक सिस्टम है जिसमे कोटेज मे जगह पाने के लिए देश दुनिया के संपन्न उमडेंगे । ख़ासकर विदेशों के लोगो मे ऐसे खास रेस्तराँ उपचार के प्रति ख़ासा आकर्षण रहा है । 21 दिन का उपचार कई तरह से निरोग करने मे सक्षम होने की बात कही जाती है ।
इसका एक बडा फायदा यह है कि अलग अलग तरह से क़रीब ढाई सौ लोगो को सीधे इससे रोज़गार मिलेगा । इस क्षेत्र मे लोग इस रिसोर्ट के खुलने से लोग खुश हैं । क्या आज से बीस साल पहले कोंंई सोच पाता कि इस क्षेत्र मे 21 दिन के लिए तीन लाख का ख़र्च उठाकर लोग स्वस्थ होने आएँगे । दिसंबर तक इसे पूरा तैयार हो जाना है। तीन तो स्वीमिंग पुल ही बन रहे है । एक साथ अलग अलग कोटेज मे तीस लोग ठहरकर उपचार करा पाएँगे । उनके साथ परिवार के लोगो को ठहरने के लिए भी जगह बनाई जा रही है । बहुत शुभकामनाएं। ऐसे प्रयासों की सफलता हमारे राज्य को उन्नत करेगी।
साभार : वेद विलास उनियाल जी से ।
Can we have hindi version of the report. Though Ved Vilas Uniyal ji has written a good article, yet for common assimilation it would be easier to understand in Hindi.
We need to know more about Mr Dhaundiyal and his work.