संघर्षों से मिली पहचान । बागेश्वर के ललित जोशी अपने विशेष सामाजिक जन-आंदोलन की वजह से युवाओं के लिए बने हैं प्रेरणा के स्रोत ।
* 11 नवम्बर 2018 को देहरादून में YOUTH icon Yi National Award से सम्मानित होंगे ललित जोशी ।
बागेश्वर जनपद के छोटे से गाँव हरखोला में जन्मे ललित मोहन जोशी पुत्र रमेश चंद्र जोशी के संघर्षो की कहानी आज युवाओं के बीच प्रेरणा की जुबानी बन चुकी है।
एक साधारण परिवार में जन्मे ललित ने कक्षा 8 तक शिशुमन्दिर, विद्यामंदिर से करने के बाद मोती लाल बाबूलाल इंटर कॉलेज हल्द्वानी, नैनीताल से 10 एव 12 साइंस से करके आगे की पढ़ाई एच0एन0 बी0 गढ़वाल यूनिवर्सिटी के कॉलेज गुरुरामराय देहरादून से की ओर बाद में एमबीए icfai यूनिवर्सिटी देहरादून से किया ओर कानूनी क्षेत्र में रुचि होने पर उत्तराखण्ड टेक्निकल यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की ओर समाज सेवा में लग गये।
ललित के सामाजिक जागरूकता अभियानों की वजह से आज प्रदेश का हर युवा ललित जोशी के नाम और काम से परिचित है किंतु उसके पीछे का रहस्य उनकी तपस्या, कड़ी मेहनत, लगन, व्यशनमुक्त, माँ बाप द्वारा दिये संस्कार ओर सकारात्मक सोच है।
हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने पर छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया पर हाईस्कूल के पेपर देने के बाद गर्मियों में माँ भगवती के मंदिर पूर्णागिरी के दर्शन करने टनकपुर चंपावत चले गये। बचपन से खुद मेहनत करके अपने सपनो को पूरा करने के लिए 2 महीने मंदिर में परसाद बेचने का निर्णय लिया। टनकपुर में अपने चाचा कांतिबल्लब जोशी से प्रभावित होकर बिना अपने घर वालों को बताये रोज परसाद बेचना उनके जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा थी। बाद में हाईस्कूल में भी पास हुए और उस परसाद के बिजनेस में भी सफल हुए और पहली बार अपने मेहनत से साइकिल खरीदी। देहरादून आने के बाद घर मे माँ पिता जी को ज्यादा बोझ ना पड़े इसलिए ललित स्वयं ट्यूशन पढ़ाने ओर अन्य टाइपिंग शॉर्टहैंड का काम भी सीखने लगे। साथ ही लिखने पढ़ने के शौक ने ललित को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया से भी जोड़े रखा । वर्तमान में यू ट्यूब सजग इंडिया के नाम ललित का अपना चैनल है जिसके मार्फ़त वह अपने सामाजिक अभियानों को जन जन तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं ।
ललित बताते हैं कि उन्होंने कुछ सालों तक 7 देशों में प्राईवेट नौकरी भी की और बाद में उसे भी छोड़कर अपने मूल उत्तराखण्ड लौट आया । परेशानी काफी हुई लेकिन मुझे समाज में कुछ ऐसा काम करने की चाह थी जिससे युवाओं का शारारिक व मानसिक स्तर ऊंचा हो सके । ललित आगे बताते हैं कि आज यह सबसे बड़ी चिंता की बात है कि अधिसंख्य युवा स्कूल टाईम से ही नशे की लत में पड़ रहा है जिससे उसकी मानसिक और शारारिक क्षमताएं शून्य की ओर जा रही है लेकिन युवाओं को अपना भविष्य का अंधेरा दिखाई नहीं दे रहा है और यही सोचकर मैंने व्यापक स्तर पर युवाओं को नशे के प्रति जागरूक करने का अपना विशेष अभियान आरंभ किया । युवाओं के व्यवहार में बदलाव लाने के लिए मोटिवेशनल संवाद प्रारम्भ कर दिया ।
यहां बताते चले कि ललित ने युवाओं में बढ़ते नशाखोरी को लेकर अभी तक 800 स्कूलों में जाकर हजारों युवाओं को समाज मे फैल रहे सामाजिक कुरूतियों के खिलाफ बिगुल फूकने के लिए प्रेरित किया । उन्होंने युवाओं को जहाँ एक ओर व्यशनमुक्त रहने के लिए आह्वान किया वही अभाव में रहकर कठोर परिश्रम, लगन, मेहनत और सकारात्मक ऊर्जा के साथ अनुशान मे रहकर कैसे अपनी मंजिल को पाया जाता है । इस विषय को लेकर युवाओं को नई दिशा देने का काम किया। बाद में देहरादून में स्वयं अपना शिक्षण संस्थान खोलकर अभी तक 700 से अधिक युवाओं को हॉस्पिटैलिटी ओर टूरिज्म के क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में रोजगार देने का काम कर रहे है । हर साल 30 से अधिक अनाथ बच्चों को निशुल्क पढ़ाकर अभी तक 250 अनाथ बच्चों का सहारा बन चुके है। आज अपने संस्थान में 400 छात्र छात्राओं को पैरामेडिकल ओर हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में स्वउद्यमी बनाने का प्रयास कर रहे है। अपने सरल व्यक्तित्व और सकारात्मक सोच की वजह से आज राज्य, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर में अनेक सम्मान प्राप्त कर चुके ललित जोशी 32 वर्ष की आयु में पूरे युवाओं के लिए एक मिसाल बन चुके है।
पहाड़ की संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए कूर्मांचल परिषद, गढ़वाल परिषद समेत अनेक संगठनों से जुड़े हुए है और पर्वतीय रामलीला कमेटी देहरादून के बैनर तले 2010 से 2014 तक राम का अभिनय कर देहरादून में अपनी अलग पहचान बना चुके है।
हर साल 3 महीने पहाड़ों में स्वयं के खर्चे में स्कूलों में युवाओं को आर्मी, सरकारी जॉब , मेडिकल, नेवी, पुलिस , पैरामेडिकल क्षेत्र में जाने के लिए प्रेरित करते रहते है ताकि सही समय मे युवाओं को सही दिशा मिल सके।
NCC में A, B, एवं C सर्टिफिकेट एवं स्पोर्ट्स में राज्यस्तरीय खेलों में प्रतिभाग करके उन्होंने पहाड़ की वादियों से लेकर सात समंदर पार तक के अनुभवों को युवाओं के बीच रख कर एक ऊर्जा देने का काम किया।
अपनी सफलता के लिए वो अपने माँ-पिताजी चाचा- चाची, एवं गुरुओं द्वारा दिये गए संस्कारों एवं सफल जीवन के लिए आभाव ओर चुनौती को सफलता की प्रथम सीढ़ी के रूप में लेते है।
Good joshi g very good statement
बहुत ही सराहनीय वाकई आपसे युवा वर्ग बहुत प्रभावित है।
Youth icon
Vvvv vvvv Congratulations sir….👏👏👏👏🌹🌹🌷😘😘❣️🏵️💖💖🌻🌻💮🌸💝💝💝
U r #grate….proud of uhhhh sir