नौटंकी जो है काम की ! भारत के प्रधानमंत्री को अकेले ऐसी नौटंकी करने के बजाय देश के हर नागरिक को यह नौटंकी करनी चाहिए वह भी 365 दिन । ◆ तो क्या नौटंकीबाज हैं मोदी ???? Narendra Modi नरेंद्र मोदीनौटंकी जो है काम की ! भारत के प्रधानमंत्री को अकेले ऐसी नौटंकी करने के बजाय देश के हर नागरिक को यह नौटंकी करनी चाहिए वह भी 365 दिन । ◆ तो क्या नौटंकीबाज हैं मोदी ???? Narendra Modi नरेंद्र मोदी

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नौटंकी जो है काम की ! भारत के प्रधानमंत्री को अकेले ऐसी नौटंकी करने के बजाय देश के हर नागरिक को यह नौटंकी करनी चाहिए वह भी 365 दिन ।

◆ तो क्या नौटंकीबाज हैं मोदी ???? 🤔🤔

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शशि भूषण मैठाणी पारस

जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूड़े से भरा बैग कंधे पर क्या लटकाया कि तब सोशल मीडिया में उनकी इस फोटो को खूब ट्रोल किया जा रहा है । आए दिन ऐसी पोस्ट देखी व पढ़ी जा रही हैं जो इस फोटो के साथ मोदी को नौटंकीबाज राजनीतिज्ञ बता रहे हैं ।

लेकिन मैं उनकी नहीं अपनी बताता हूँ कि कूड़े का थैला लटकाए यह शख्स नरेंद्र दामोदर मोदी नहीं बल्कि एक बड़े मुल्क का प्रधानमंत्री है । और अगर

नौटंकी जो है काम की ! भारत के प्रधानमंत्री को अकेले ऐसी नौटंकी करने के बजाय देश के हर नागरिक को यह नौटंकी करनी चाहिए वह भी 365 दिन । ◆ तो क्या नौटंकीबाज हैं मोदी ???? Narendra Modi नरेंद्र मोदी
नौटंकी जो है काम की ! भारत के प्रधानमंत्री को अकेले ऐसी नौटंकी करने के बजाय देश के हर नागरिक को यह नौटंकी करनी चाहिए वह भी 365 दिन ।

वह देश को स्वच्छ बनाने के लिए ऐसी नौटंकी कर रहे हैं तो, मैं चाहूंगा मोदी एक बार नहीं हजार बार यह नौटंकी करें । कम से कम इस नौटंकी को देखने वाले राजनीति के मारे लोग अपने-अपने घरों व घरों की गलियों को तो साफ रखने की सोच बना पाएंगे ।

हर कार्य को नकारात्मकता से देखना ठीक नहीं है । मोदी के इस काम को सकारात्मक सोच के साथ देखें और स्वच्छता को अपनाएं ।

बाकी विरोध के लिए बहुतेरे मुद्दे हैं, वहां विरोध करें पर इसमें नहीं क्योंकि यह नौटंकी आप और हमारे सबके हित में 100% लाभकारी है 💐💐💐।

मेरी फेसबुक पोस्ट पर भी दिखी राजनीति कुछ ने सराहा तो कुछ ने उड़ाया मज़ाक, उठाए सवाल :

हमने तो अपने बचपन से ही मूंगफली खाकर

Krishna Garbyal कृष्णा गर्ब्याल
Krishna Garbyal 

कागज रोड में फैंकना, केला खाकर छिक्कल लापरवाही से फैंकना ही सीखा। आज के बच्चे टॉफी, चॉकलेट खाकर डस्टबीन ढूढ़ते है ये फर्क है स्वच्छ भारत अभियान का। आनेवाले समय मे ये बच्चे युवा होंगे तो भारत मे रोड में कही गंदगी नही मिलेगी। काश ये अभियान 40साल पहले ही होता आज भारत का तस्वीर कुछ होती।
* कृष्णा गर्बियाल , फेसबुक यूजर ।

 

Virendra Rawat Viri वीरेंद्र रावत वीरी
Virendra Rawat Viri

◆ वे पुरे विश्व को स्वच्छता का सन्देस दे रहे है और भारत में इसका व्यापक स्तर पर परिणाम भी आ रहे है खास कर बच्चों पर इसका असर देखने को मिल रहा है । हो सकता है ये नाटक ही हो पर इसके परिणाम बहुत अच्छे आ रहे है ।
* विरेन्द्र रावत , फेसबुक यूजर ।

 

Manohar singh Deopa मनोहर सिंह डिओपा
Manohar singh Deopa

◆ हमारे देश में नाटकों से ही प्रेरणा मिलती है ‌ जो बड़े पर्दे पर नाटक करते हैं उनको तो आप हीरो और भगवान कहते हो। शाहरुख नसरुद्दीन आमिर जैसे आपके हीरो हैं। वे नाटक ही तो करते हैं।
* मनोहर सिंह देवपा , फेसबुक यूजर ।

 

Madhusudan Sundriyal मधुसूदन सुंदरियाल
Madhusudan Sundriyal

◆ तीन बातें समझ मे नहीं आयी
1 कि पॉलीथिन की थैली का प्रयोग क्यों हुआ ?
2 कि प्रधानमंत्री जी अकेले ही कचरा उठा रहे हैं तो फोटो कौन खींच रहा है ?
3 सिक्युरिटी सर्विस इस बीच पर लगभग एक महीने से प्रधानमंत्री जी के सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हुए है फिर ये कचरा कहाँ से आ गया ??

* मधुसूदन सुंदरियाल, सोशल मीडिया इंचार्ज उत्तराखंड कांग्रेस ।

Hemant panday हेमंत पांडेय
Hemant panday

◆ शर्म आनी चाहिए हम हिन्दुस्तानियों को अपने आप पर कि आजादी के 70 साल बाद भी हमारे प्रधानमंत्री को यह बताने की जरूरत पड़ रही है कि हम स्वच्छता से रहें। हमारा स्वयं का विवेक हमें प्रेरित नहीं कर पाया। जो मोदी विरोध के चलते इन आच्छे कामों की भी आलोचना करते हैं ऐसे मूर्खों से कुछ कहना भैंस के आगे बीन बजाना होगा। निःसन्देह मोदी ने अपने कुछ कार्यों – देश को अन्तर्राषाट्रीय प्रतिष्ठा दिलाना, पाकिस्तान से सख्ती से निबटना, कश्मीर को देश के अन्य राज्यों जैसा बनाना, भ्रष्टाचार के प्रति सख्त रहना आदि से करोड़ों समर्थक बना लिए हैं, लेकिन इन समर्थकों को वर्तमान मंदी के लिए मोदी को जाम्मेदार मानना चाहिए। यदि इससे हम नहीं उबर पाये तो पूरी जिम्मेदारी मोदी की मानी जानी चाहिए। स्वच्छता के प्रति देश को जागरूक करना मोदी की महानता है।

* हेम पांडेय , फेसबुक यूजर ।

 

Hemant panday हेमंत पांडेय
Hemant panday

◆ कहाँ गयी इसकी स्मार्ट सिटी कहाँ गयी बुलेट ट्रैन कहां गयी इसकी रोजगार व स्वर्गीय घोषणाएं। केवल जोकर की तरह स्टैंड बदल रहा । – निर्भगी सिम्बोलिक देश बेच दिया ।पेट्रोल डीज़ल के भाव ऊंचे दामो पर बेच रहा। – देश की आर्थिकी चौबट कर दी। अभी सभी रोओगे ।

 शशि भूषण मैठाणी “पारस”

 संस्थापक :- रंगोली आंदोलन
स्वच्छता के लिए समर्पित अभियान ।

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By Editor