Dr. Mahesh Kuriyal, Senior Neuro Surgeon CMI DehradunDr. Mahesh Kuriyal, Senior Neuro Surgeon CMI Dehradun

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बच्चों में मोबाइल फोन के उपयोग को लेकर बढ़ती चिंता…! 

Report : Shashi Bhushan Maithani "Paras"
Report : Shashi Bhushan Maithani “Paras”

आज के इस डिजिटल क्रांति के युग में, मोबाइल फोन हमारे दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं।  मोबाइल क्रांति से मानो दुनियां मुट्ठी में सिमट गई हो, जिससे हमें देश विदेश की तमाम  खबरें पलभर मिल जाती हैं।

संचार क्रांति के इस महायुग में जहां मोबाईल हमें अनेकों सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है,  वहीं  बच्चों के जीवन में मोबाइल फोन के बढ़ते क्रेज  ने उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बेहद नकारात्मक प्रभाव डालना शुरू कर दिया है, जिसके दुष्परिणाम भी अब सामने आने लगे हैं। जिसे देख विशेषज्ञ खासा चिंतित हैं।

मोबाईल बच्चों के लिए बेहद खतरनाक यंत्र साबित हो रहा है, जो उनके जीवन पर बेहद ही नकारात्मक प्रभाव छोड़ रहा है।  जबकि बच्चों से लाड़ प्यार जताने वाले पेरेंट्स इन सब खतरों को जानते हुए भी अनजान बनकर खुद भी दिन रात खूब मोबाईल का इस्तेमाल कर रहे हैं।

          अत्यधिक मोबाईल का उपयोग बच्चों सहित सभी लोगों के लिए घातक है,  जो शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।

Mobile addiction is ruining the lives of children, some have become sick to such an extent that they start doing strange things even in sleep or unconsciousness. Excessive mobile use hinders the development of your social skills and emotional intelligence. It can also increase feelings of loneliness, depression and anxiety.  Using the phone for a long time spoils your posture. All parents should ensure that they promote alternative activities like outdoor sports, hobbies and creativity in their children. So that there is minimal negative impact on the physical and mental health of children. Use your phone sparingly. We can ensure a healthier and more balanced and excellent life for our children in this digital age with the help of mobile phones. Dr. Mahesh Kuriyal Senior Neuro Surgeon CMI Dehradun
Mobile addiction is ruining the lives of children, some have become sick to such an extent that they start doing strange things even in sleep or unconsciousness. Excessive mobile use hinders the development of your social skills and emotional intelligence. It can also increase feelings of loneliness, depression and anxiety.  Using the phone for a long time spoils your posture. All parents should ensure that they promote alternative activities like outdoor sports, hobbies and creativity in their children. So that there is minimal negative impact on the physical and mental health of children. Use your phone sparingly. We can ensure a healthier and more balanced and excellent life for our children in this digital age with the help of mobile phones.
Dr. Mahesh Kuriyal Senior Neuro Surgeon CMI Dehradun

         अत्यधिक समय स्क्रीन पर बिताने वाले बच्चों की आंखों पर दबाव पड़ रहा है, जिससे उन्हें डिजिटल आई स्ट्रेन, मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) और सूखी आंखों जैसी आँखों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पेरेंट्स सबसे पहले अपने बच्चों के स्क्रीन टाइम को मिनीमाइज करें।

           मोबाईल फोन का ज्यादा उपयोग करने से बच्चों में बुरी आदतें भी पनप रही हैं। इंटरनेट पर अच्छे बुरे सभी कॉन्टेट मौजूद हैं। जो सीधे फोन के जरिए आपके बच्चों तक पहुँच रहे हैं। जिससे उनकी एकाग्रता, स्मरण शक्ति घट रही है। मोबाइल फोन के निरंतर संपर्क में रहने के कारण बच्चों में गुणवत्तापरक शैक्षणिक प्रदर्शन की भारी कमी भी अब धीरे – धीरे सामने आने लगी हैं.

            अनेकों अध्ययनों से पता चला है कि मोबाइल फोन का रेडिएशन मानव सहित अन्य जीव जंतुओं के लिए भी बेहद घातक साबित हो रहा है, ऐसे में यदि आपका बच्चा या आप खुद भी अपना सबसे लम्बा वक़्त मोबाइल के साथ बिता रहे हो,  तो यह आपकी सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छे संकेत नहीं हैं।

            शॉर्ट रील्स बनाने का क्रेज युवा पीढ़ी के दिल और दिमाग़ में बहुत जबरदस्त तरीके से घुसपैठ कर चुका है।

          रील्स के दीवाने कुछ लाइक्स और कॉमेंट्स पाने की जिद्द में अनेकों खतरे मोल लेने से भी नहीं हिचक रहे हैं.. कोई पहाड़ी से गिर रहा है, कोई पानी के शैलाब बह जाता है,  तो कोई अपना अंतिम सफर मोटर साईकिल पर करता दिखाई देता है । वाकई शॉर्ट रील्स ने आपका जीवन भी शॉर्ट कर दिया है..

▶️ अत्यधिक मोबाइल का उपयोग आपके सामाजिक कौशल और भावनात्मक बुद्धिमत्ता के विकास में बाधा उत्पन्न करता है। इससे अकेलेपन, अवसाद और चिंता की भावनाएँ भी बढ़ सकती हैं।  लंबे समय तक फोन का उपयोग करने से आपकी मुद्रा खराब हो जाती है। ज्यादा मोबाइल की लत बच्चों के जीवन को तबाह कर रही है कुछ इस हद तक बीमार हो गए हैं नींद या बेहोसी में भी अजीबो गरीब हरकतें करने लग जाते हैं।

▶️ ज्यादा फोन प्रयोग करने से गर्दन और पीठ में दर्द बढ़ने लगता  है, जिसे “टेक्स्ट नेक” भी कहा जाता है।

▶️ मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी जिसे ब्लयू रेज कहा जाता है यह नींद के पैटर्न में बाधा उत्पन्न करती है जिससे आप अनिंद्रा के शिकार बन सकते हैं।य

▶️ हां हम आपको मोबाइल प्रयोग करने से रोकने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। बल्कि मोबाईल को अगर सही तरीके से उपयोग में लाया जाए तो इसके नुकसान कम और फायदे ज्यादा दिखेंगे।

▶️ माता-पिता स्वयं बच्चों पर निगरानी रखें और खुद भी कम से कम स्क्रीन पर टाइम स्पेंड करें।

▶️ सभी पेरेंट्स यह सुनिश्चित करें, कि अपने बच्चों में आउटडोर खेल, शौक और क्रिएटीबिटी जैसी वैकल्पिक गतिविधियों को बढ़ावा दें। जिससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर कम से कम नकारात्मक प्रभाव पड़े । फ़ोन का सीमित प्रयोग करें । हम आज के इस महा डिजिटल युग में मोबाइल के साथ भी अपने बच्चों के लिए एक स्वस्थ और अधिक संतुलित एवं उत्कृष्ट जीवन सुनिश्चित कर सकते हैं।

स्क्रिप्ट रिपोर्ट : ©️शशि भूषण मैठाणी “पारस”



Mobile addiction is ruining the lives of children, some have become sick to such an extent that they start doing strange things even in sleep or unconsciousness. Excessive mobile use hinders the development of your social skills and emotional intelligence. It can also increase feelings of loneliness, depression and anxiety.  Using the phone for a long time spoils your posture. All parents should ensure that they promote alternative activities like outdoor sports, hobbies and creativity in their children. So that there is minimal negative impact on the physical and mental health of children. Use your phone sparingly. We can ensure a healthier and more balanced and excellent life for our children in this digital age with the help of mobile phones.

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By master

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