Good touch and bad touch (अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श) के बारे में कैसे बताएं अपने बच्चों को…!
लेखिका : अनुजा कपूर प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक एवं समाज सेविका हैं ।
हमारा समाज विकसित हो रहा है साथ में मनुष्य के अंदर अपराध की भावना भी! मानव मन को पिछले युग में कई बदलाव देखने को मिला है। कुछ समय तक आपराधिक दिमाग समाज के वयस्कों को निशाना बनाया करते थे ! लेकिन हाल के वर्षों में बदलाव युवा, निर्दोष, असहाय नाबालिगों और बच्चों के प्रति देखा गया है।
बच्चों के साथ अपराध करने वालों को Paedophile का नाम दिया गया है। Pedophiles कौन हैं? एक मानसिक विकार का वयस्क जो अपने यौन आकर्षण के लिए छोटे बच्चों का गलत इस्तेमाल
करता है मुख्यतः ११ वर्ष से काम आयु के बच्चों के साथ । यौन उत्पीड़न और बलात्कार के शिकार में छोटे नन्हे बच्चों से लेकर कुछ किशोर भी शामिल हैं। बच्चे आसान लक्ष्य होते हैं, क्योंकि वो कमजोर होते हैं बड़ो के मुकाबले, आप उन्हें आसानी से अपने नियंतरित कर लेते हैं, अजनबी लोगों से भी बच्चे जल्दी घुल मिल जाते हैं और बच्चे आसानी से ही किसी पर भी भरोसा कर लेते हैं। गलत लोगों पर इस तरह भरोसा करने पर कई तरह के गलत परिणाम बच्चों को भुगतने पड़ते हैं जैसे कि बेहोश हो जाना,किसी चीज़ के लिए मजबूर हो जाना आदि इत्यादि ! अच्छी लय और बुरे स्पर्श पर जागरूकता की जरूरत है ताकि बच्चों को पता चल पाए कि उसे कौन किस तरह से स्पर्श कर रहा है और गलत स्पर्श और सही स्पर्श में वो खुद फर्क पता कर पाये ! यह बड़े दुःख की बात है कि 98% अपराधी घर में से ही या आस पड़ोस या जानने वाले लोग ही होते हैं जो इस प्रकार कि घटना को अंजाम देते हैं ! बच्चों को स्कूल में ले जाने वाले ट्रांसपोर्ट के लोग भी ऐसी गतिविधियों में शामिल रहते हैं! ऐसे में सबसे मुश्किल काम बच्चों को समझाना है कि वे कैसे अपने जाने वाले लोगों से सुरक्षित रहें और साथ साथ अपनी मासूमियत को बचाए रखें!
सबसे मुश्किल काम भी / वे जानते हैं और सबसे चुनौतीपूर्ण से उन्हें सुरक्षित रखने के लिए बच्चों को उनकी मासूमियत सुरक्षित रखे हुए है उनके बच्चों को समझाने का प्रक्रिया को समझने की है।
सही स्पर्श और गलत स्पर्श पर बच्चों को शिक्षित करने पर सुझाव:
1 बच्चे स्नान लेने के लिए तैयार हो रही है जब उस वक़्त बात शुरू करें!
- बच्चों को उनके विभिन्न शारीरिक अंगों के बारे में बताएं और उनके महत्व के बारे में भी अवगत करें !
- आजकल के वक़्त में इंटरनेट की सुविधा से बच्चों को वीडियोस दिखा कर समझा सकते हैं !
- नहाते वक़्त माता पिता अपने बच्चों को बताना चहिए अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श के बारे में!
- माता पिता का फ़र्ज़ है कि बच्चों को बताएं शरीर के कुछ अंगों के बारे में जैसे कि छाती, होंठ, कमर से नीचे का अंग, पेट से नीचे का अंग इस सबके बारे में घरवालों को बताने की जरुरत है !
दुष्व्यवहार से प्रताड़ित बच्चे के लक्षण:
1.अगर आपका बच्चा किसी भी विशिष्ठ जगह जाने के लिए मना करता है तो आपको ऐसे में बच्चों से खुलकर और धैर्य से बात करने की जरुरत है!
- बच्चा अगर शांत रह रहा है काफी समय से तो उसकेशांत रहने की वजह को जाने की कोशिश करिए!
- बच्चा अगर अपनी किसी अंदुरनी भाग में दर्द या किसी प्रकार का दर्द या समस्या बताए!
माता पिता को क्या करना चाहिए जब बच्चा ऐसे किसी दुष्कर्म का शिकार होता है :
- अपने बच्चों पर भरोसा करें जब वह किसी बात के बारे में बताएं और उनकी बात सुनें!
- बार बार उस संगीन घटना के बारे में बच्चों से बात न करें !
- अपराधी के खिलाफ तुरंत नज़दीकी पुलिस थाने में कंप्लेंट दर्ज करें!
- अस्पताल जाकर तुरंत बच्चे की मेडिकल जांच कराएँ !
- बच्चे को परामर्श के लिए मनोवैज्ञानिक के पास ले जाएं !
- भविष्य में बच्चों को सतर्क होने की बात कहें!
किसी रेड फ्लैग जोन (शरीर के गलत भाग) पर उन्हें छू लेता है कोई जब बच्चे को क्या करना चाहिए?
- ज़ोर से चीखें और उस जगह से भाग जाएं !
- भागकर किसी जानने वाले वयस्क इंसान के पास चले जाएं !
माता पिता द्वारा यह सावधानियां बरतनी चाहिए :
- बच्चों को पहले से ही ऐसी बातों के बारे में जागरूक करें !
- बच्चों से उनकी दैनिक गतिविधियों के बारे में जानकारी लें !
- बच्चों के साथ वक़्त व्यतीत करें और उनकी बातें समझें !
- किसी भी अनजान लोगों से दोस्ती न करने की सलाह दी जानी चाहिए!
लेखिका : अनुजा कपूर प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक एवं समाज सेविका हैं ।
आज के ज़माने को देखते हुए सराहनीय प्रयास
सबसे पहले बडे भाइ मेठानी जी को यूथ आई कन का बेहतरीन ,ग्यानवरधक पोर्टल बनाने के लिए बधाइया, यकीन हे कि देश दुनिया को इस मध्यम से सटीक जानकारी व घटनाऔ का सचा विशलेषन पढने को मिलेगा
If the culprit is not opposed in the very first attempt, this encourages him to repeat, therefore very essentially he should be resisted in the beginning itself
बहुत ही अच्छा कार्य हैं आजकल बहुत से मानसिक रोगी हमारे समाज में खुले घूमते रहते हैं मासूम बच्चों को उनसे सावधान रहने के लिए उत्तम जानकारी हैं। इस जानकारी को साझा करने के लिए धन्यवाद
सही कहा राकेश भाईसाहब आपने आज के जमाने को देखते हुए लेखिका अनुजा कपूर जी का यह प्रयास सराहनीय है।
शिक्षाप्रद लेख। साधुवाद।
Very much true such education is very important
is tarah ki jaankaari ko school course me (9th class) add karna chahiye jisse kishor hoti girls ko iski jaankaari ho sake
बहुत अच्छा प्रयास है ये संदेश को हर परेन्स को बताना चाहिए । कि अपने बच्चों को किस तरह से सीखना चाहिए,
ये बहुत बड़ा अभियान है,इस सदेश को हर माता पिता को बताना चाहिए ताकि अपने बच्चों को अच्छे से मार्ग दर्शन दे सके,
Anuja kapur has tried best effort to educate children and parents
विकृत मानसिकता वालों के लिए बच्चे एक सॉफ्ट टॉरगेट होते हैं। मिडिया की जागरूकता से आज बच्चों के साथ हो रहे इस तरह के अनेक मामले उजागर भी हो रहे हैं। इसलिए जरूरी यह है की बच्चों को इस बारे में शुरू से ही बताया जाय। ताकि वे अपने आसपास के लोगों से सावधान हो सकें। सेक्स एजुकेशन तो जाने कब शुरू होगी इस देश में। ये बहुत सराहनीय प्रयास है। इस तरह की जानकारी बच्चों तक जरूर पहुंचनी चाहिए।
Anyja ji good issue for the children or a specialy for girls.
आज के दौर मे ये जानकारी अधिक से अधिक लोगों, पेरेंट्स, बच्चों तक पंहुचनी चाहिए। मैठाणी जी जा प्रयास बहुत सराहनीय है।
मैठाणी भाई साब को इस तरह की जानकारी सांझा करने के लिए धन्यवाद।
पोर्टल पर आपकी पोस्ट पढ़ते रहता हूँ।
यह बहुत ही महत्वपूर्ण लेख है, हम कुछ विषयों को बच्चों से टालते रहते हैं, भविष्य के लिए। कैसे बात करें, सबसे जरूरी कि उनकी मासूमियत बरकरार रहे,
हम अपने विचार नही रख पाते तो बाल-मनोविज्ञान कैसे जानेंगे।
यह जानकारी आपने पूर्व मे भी शेयर की थी, मेरा अनुरोध है अगर संभव हो तो यह लेख थोड़ा और विस्तारित हो जाए, हमें घर बैठे ज्ञान मिल जाएगा।
पुनः धन्यवाद।।।
Nice
really a necessary thing to teach our children
Very nicely written ,no doubt these type of imp and sensitive issue should be discussed with children
At least they should be aware that how easily their innocence can be destroy by any one not only by a stranger but also by their closest member also….
Its our duty to give our children a friendly atmosphere at home si that they can easily share their feelings and emotions with us.