शिवराज का सिंहस्थ और आस्था से लबरेज़ श्रद्धालू ( सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट )
टेलीविजन की नौकरी सुबह से शुरू होती है, सुबह खबरें बताओ दोपहर में खबरें करो, शाम को कल क्या करोगे ये बताओ। ऐसे में बहुत थोडा सा समय होता है जब हम चार बजे के बाद थोडा वक्त किसी से मिलने जुलने के लिये निकाल पाते हैं। ऐसा ही गुरूवार की शाम को चुराया हुआ वकत था जब भोपाल में भी बुंदाबादी होने लगी थी तो मैं चाय पीने घर की ओर मुड गया। इधर घर पहंुचा था कि उज्जैन से हमारे सहयोगी विक्रम सिंह का फोन बजा सर उज्जैन में तेज बारिश हो रही है। बारिश की खबर चलेगी क्या मेरे हां कहते ही उसने फोन रखा मगर पंद्रह मिनिट बाद फिर उसी का फोन सर मेला क्षेत्र में बारिष और तेज हवाओं से कई बाबाओं के
पंडाल उड गये है एक दो दुर्घटनाओं और एक दो मौत की खबर भी है अभी कन्फर्म कर बताता हूं। अब तक अनजाने अनिप्ट की आशंका मुझे भी लग गयी थी। इस बीच में अपने चैनल को बता चुका था कि उज्जैन में बारिश और आंधी से कुछ लोगों की जानें गयीं है। उधर ग्वालियर से देव श्रीमाली जी ने भी फोन कर बताया कि उज्जैन में बडा हादसा हो गया है चार लोग मारे गये है और मौतें बढ सकती है। रीजनल चैनल खोले तो वहंा भी उज्जैन में बारिश और तूफान की खबरों से स्क्रीन रंगने लगी थी। थोडी देर में ही कोई एक तो कोई दो
और फिर अचानक छह मौतों की खबर चलने लगी। इस बीच में विक्रम व्हाटस अप पर पंडालों के गिरने की फोटो डाल चुका था। अब तक हमारे चैनल ने भी खबर उतार दी थी विक्रम के भेजे बारिश के वीडियो ओर धराषायी पंडालों के फोटो के साथ। जैसा कि ऐसे मौकों पर होता है अधिकारियों से खबर कन्फर्म करना बडा कठिन काम होता है। सबके फोन व्यस्त आते हैं। इस बीच में उज्जैन कलेक्टर से फोन पर बात हो गयी तो उनका कहना था कि एक महिला की बिजली गिरने से मौत की खबर है बाकी कोई केजुअल्टी नहीं हुयी है। रीजनल चैनल पर सिंहस्थ के प्रभारी मंत्री भूपेन्द्र सिंह का फोनो चल रहा था वो भी यही दावा कर रहे थे आंधी तूफान से पंडाल गिरे हैं मगर बडा नुकसान नहीं है किसी के घबडाने की कोई बात नहीं है स्थिति पर नजर है। एंकर के सारे तीखे सवालों के बीच मंत्री जी अविचलित हुये बडे धीरज के साथ जबाव दे रहे थे। इधर सरकार की ओर से भी अब हमारे पास फोन आने लगे थे जिसमें कलेक्टर के बयान को ही सच मानकर कहा जा रहा था कि इतनी मौतें नहीं हुयी है। जितना आपका चैनल चला रहा है। ऐसे में हमारी हालत बेहद अजीब हुयी जा रही थी। हमारा स्टिंगर अस्पताल में खडा होकर लाशे और घायलोे की हालत देखकर दुर्घटना की भयावहता बता रहा था उधर सरकारी तंत्र इसे झुठला रहा था। रीजनल चैनलों पर थोडे देर के लिये उज्जैन में हुयी मौतों की खबर हटा भी ली गयी। मगर तब तक अस्पताल पहुंचे पुलिस अधिकारी कैमरे के सामने सात मृतकों की जानकारी देने लगे थे। अब सरकारी अफसरों के सुर भी बदल गये। उधर घर पर हम शाम की चाय पीने की जगह जल्दी जल्दी दो रोटियां खा रहे थे क्योंकि चैनल ने उज्जैन पहुंचने को कह दिया था। रात आठ बजे हम उज्जैन की राह पर थे तो ग्यारह बजे मंगलनाथ इलाके में अपने कैमरामेन होमेंद्र देशमुख और विक्रम सिंह के साथ धराशायी पंडालों के सामने वाकथू्र कर रहे थे। तेज चली आंधियों ने पंडालों को बडा नुकसान पहुंचाया था। कुछ पंडाल तो तहस नहस हो गये थे तो कुछ पंडाल सामने से गुजरने वाली बिजली की लाइन पर लटक गये थे। लिहाजा बिजली भी नहीं थी। पंडालों में पानी जा घुसा था। कीचड ही कीचड था मगर उसमें भी कुछ लोग सोकर तो कुछ जाग कर रात काट रहे थे। यही हाल सडकों पर था। टेफिक के लिये लगे बैरिकेड को दीवार सरीखी ओट बनाकर सैकडों लोग तंबू और पंडाल छोड जमीन पर चादर बिछाकर सो रहे थे। हांलाकि प्रशसन ने मंडी प्रांगण में भी बहुत सारे लोगों को ले जाकर खाने और सोने की व्यवस्था की थी। मंदिरों में भी बहुत सारे लोगों ने डेरा डाल रखा था। शहर की स्वयंसेवी संस्थाएं मदद को आगे आ गयीं थीं। रोड पर अपने महाराज के साथ चिलम पी रहे बांदा से आये रमाशकर मस्ती में कह रहे थे अरे साब इतने बडे मेले में तो ऐसी छोटी मोटी दुर्घटनाएं होती ही रहती है। भगवान की मर्जी है तो कल तंबू में तो आज सडक पर सो रहे थे। उसी बीच में खबर मिली कि सीएम षिवराज सिंह जो अक्सर दिन में दो चक्कर सिंहस्थ के लगाते हैं इस आपदा की खबर लगते ही उमरिया से निकल पडे हैं उज्जैन आने के लिये। इसलिये प्रशासन अलर्ट हैं और रात भर व्यवस्था बनाने में लगा है। सीएम तडके चार बजे उज्जैन आये और अस्पताल में जाकर घायलों और मंडी में रूके लोगांे से मिले उनका दुख दर्द बांटा तसल्ली दी। सदियों से चल रहे इस धार्मिक मेले में इस बार शिवराज पक्के मेजबान की भूमिका में हैं। इस बडे आयोजन में भी उन्होंने श्रद्वालू से सीधा संपर्क रखा है। उज्जैन दौरा कर जब वो सुबह छह बजे सर्किट हाउस पहंुचे तब भी उनकी आंखों में नींद नहीं थी मगर मेरा प्रश्न था हजारों करोड रूप्ये खर्च करने के बाद भी बारिश ने सिहंस्थ को बिगाड दिया। वो बोले इस मौसम में तो बारिश और आंधी के बारे में कभी सोचा ही नहीं था। मगर बडा अनिप्ट टला है अब पूरा प्रशासन सेवा में लगा है। जल्दी ही हालत सामान्य हो जायेंगे।
मगर हालत इतने जल्दी सामान्य हो जायेंगे सोचा नहीं था। सुबह के साढे दस बज रहे थे और मेला क्षेत्र में लोगों की भीड उमडी थीं। घाट से लेकर सडकों पर लोग ही लोग थे। दरअसल ये पंचकोसी यात्रा वाले लाखों श्रद्वालु थे। जो अपने परिवार के साथ सिर पर पोटलियां और बैग रखकर पांच दिन मे पांच कोस की यात्रा पूरी कर क्षिप्रा में स्नान करने चले आ रहे थे। इनकी श्रद्वा को एक दिन पहले की आंधी तूफान नहीं डिगा पाया था। धराशायी तंबुओं की भयावहता भी इनको नहीं डरा रही थी। उज्जैन के लोग गिरे पंडालों के पास खडे होकर सेल्फी खींचकर फेसबुक पर भेज रहे थे तो ये लोग उन तंबुओं की तरफ देख भी नहीं रहे थे। उनको तो पहले क्षिप्रा के घाट पर स्नान ओर उसके बाद महाकाल का मंदिर में दर्शन की ही चिंता थी। वैसे भी सिहंस्थ सदियों से चली आ रही आस्था का मेला है जहां सरकार, शिवराज और आंधी तूफान कोई मायने नहीं रखता।
ब्रजेश राजपूत भोपाल
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