Wah Ri Rajniti : मामूली पैंसों में CBI से छुटकारा पा सकते हैं हरीश रावत…!
अगर हरीश रावत चाहें तो वह बहुत ही आसानी से CBI की किच-किच से बच सकते हैं । और अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब CBI उन्हें अपने पिंजड़े में कैद कर ही लेगी । अगर कांग्रेस नेता व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कोई सलाहकार यह मन्त्र उनके कान में फूंक देता, तो वह सारी झंझटो से एक साथ छुटकारा भी पा लाते । बाकी अपने बचाव में उन्हें राय माननी है या नहीं यह उनके विवेक पर भी निर्भर करता । लेकिन इस वक़्त उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत को एकमात्र यही नुस्खा CBI की छाया से 100% बचा लेगा । बस हर काम में कुछ तो खर्च करना ही पड़ता है ।
अगर आप लोगों को मेरी बातों पर यक़ीन न आ रहा हो तो, वह भी मैं आपको दिला देता हूँ वह भी सच्ची दलील के साथ । दरअसल मैं यह राय इसलिए दे रहा हूँ कि पिछले दिनों एक व्यक्ति आरोपी बताया जा रहा था । जिस पर भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए, उसे कई हत्याओं के लिए भी जिम्मेदार ठहराया गया था । केंद्र सरकार से मांग की गई कि उसे तुरन्त कुर्सी से हटाया जाय, हत्या का मुकदमा भी उस पर दर्ज हो और सभी मामलों की जांच CBI से करवाई जाय । हालाँकि उन पर कोई जांच नहीं बैठाई गई और न ही हत्या का कोई मुकदमा दर्ज हुआ ।
लेकिन आरोप लगाने वाला पक्ष वर्तमान में राजनीतिक रूप से बेहद दबंग व मजबूत था । इसी बीच जिस व्यक्ति को कई आरोपों के चलते कठघरे में खड़ा किया जा रहा था उसने मामूली रुपये खर्च कर सारे आरोपों से निजात पा ली है । आरोप लगाने वाले अब न उसे भ्रष्टाचारी कहते और न ही अब हत्यारा मानते हैं ।
शायद अब तक आप लोग कुछ नहीं बहुत कुछ समझ गए होंगे कि मैं बात कर रहा हूँ उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमन्त्री और मूल कांग्रेसी नेता विजय बहुगुणा की जिन पर भारतीय जनता पार्टी ने कई संगीन आरोप लगाए थे । भाजपा के तमाम आरोपों के चलते तब देश भर में कांग्रेस की किरकिरी होने पर आला कमान ने सत्ता हरीश रावत को सौंप दी थी ।
कुर्सी गंवा चुके विजय बहुगुणा का पीछा भाजपा ने फिर भी नहीं छोड़ा पार्टी ने अब से महज 4 महीने पहले तक बहुगुणा के बहाने हमेशा कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया । इतना ही नहीं विजय बहुगुणा को भ्रष्टाचारी और हत्यारा ठहराने के लिए भाजपाइयों ने सड़क से लेकर देश की संसद तक कोई मौक़ा नहीं छोड़ा । भाजपा के आरोप थे कि केदारनाथ आपदा के वक़्त जल प्रलय से कम लोग मरे और जान बचाने के लिए जो हजारों लोग सुरक्षित चोटियों की ओर भागे थे वह भूख प्यास से मरे जिनकी लांशे दो साल बाद भी केदारनाथ की चोटियों पर मिलती रहीं । जिन्हें बचाने में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई इसलिए भाजपा की मांग थी कि उन पर केदारनाथ आपदा के बाद व्याप्त भ्रष्टाचार मामले में CBI जांच के साथ ही हजारों लोगों की हत्या का मुकदमा भी दर्ज हो । और यह तब संसद तक में गूंजी ।
लेकिन अब भाजपा कहती है बहुगुणा के दाग बुरे नहीं अच्छे हैं । अब ऐसे मैं यह दिलचस्प चर्चा भी आम है कि जिस तरह से विजय बहुगुणा ने भाजपा की मामूली 5 रूपये की रसीद कटवा कर स्वयं को आरोप मुक्त करा सकते हैं तो हरीश रावत क्यों नहीं । अगर हरीश रावत भी भाजपा में 5 रूपये की रसीद कटवा लें तो वह भी तुरन्त सारे आरोपों से मुक्त हो जायेंगे ।
कुल मिलाकर कोई भी दूसरा तीसरा नेता तभी तक बेईमान है जब तक वह भाजपा से बाहर है । जैसे ही कोई भ्रष्टाचारी भाजपा की शरण में चले जाय तो उसे तुरंत ईमानदारी का पट्टा भी पहना दिया जाता है । वाह री राजनीति ………….
* शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
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