AWARENESS : उल्लू का पट्ठा नहीं, नहीं बीबी का दुपट्टा ..!
इसे ही कहते हैं अर्थ का अनर्थ हो जाना …! कुछ समय पहले मै अपनी कार से मसूरी रिंग रोड से होते हुए रात के तकरीबन साढ़े नो बजे के आसपास बलबीर रोड स्थित अपने आवास लौट रहा था , तभी अम्बिवाला गुरुद्वारा से फब्बारा चौक तक एक मेरी कार के आगे-आगे एक युवा जोड़ा मोटर साईकिल पर सवार बीचों बीच सड़क पर चल रहा था । वह दोनों तेज रफ्तार बाईक पर खूब बतिया भी रहे थे । उसी बीच मेरी नजर अचानक से बाईक सवार लड़की के दुपट्टे पर गई जो हवा में ज़ोर-ज़ोर से लहरा रहा था । दुपट्टा कभी सड़क पर गीली मिट्टी के साथ लतपत हो रहा था तो कभी हवा के साथ बाईक के पिछले पहिए की सीकों से टकरा रहा था । अब मेरा पूरा ध्यान टायर पर लिपटने वाले दुपट्टे पर जा टिका था , मैं अब बाईक से आगे निकलने की कोशिस करता तो वह फिर कट मार कर मेरी कार के आगे से बाईक सटा कर चलाने लगता । मेरी कार का हॉर्न भी ख़राब था जिस कारण मैं उससे आगे नहीं निकल पा रहा था लेकिन मैंने तुरंत कार की हेड लाईट को अप डाऊन किया लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ । तभी मुझे ज्यों ही हल्की सी जगह मिली तो मैंने भी सरपट अपनी कार उसकी बाईक के बराबर में लगाई और चलते – चलते कहा भाई दुप्पट्टा….दुपट्टा सम्भाल लो मेरा इतना कहते ही वह आग बबूला हुआ और फिर उस युवक बाईक को मेरी कार के आगे लाकर रोक दी थी जिसके बाद ट्रैफिक भी बाधित हो गया था । वह मुझे बोलने लगा …
सुन ,, किसको बोला तूने उल्लू का पट्ठा.. तभी साथ की महिला भी बाईक से उतर गई और मेरी खिड़की के पास आकर बोली तुम कार वाले तो स्कूटर, बाईक वालों को तो कुछ समझते ही नहीं हो पूरी सड़क घेरकर चलते ..! और उल्टा बदतमीजी भी करते हो । देखते ही देखते वहां पर भीड़ भी इकट्ठा होने लगी थी ।
अब इस युगल का ऐसा वर्ताव देख मैं डर के अलावा झेंप भी गया था क्योंकि महिला सामने खड़ी थी वह मुझे आरोपी बता रही थी , मुझे लगा कि माहौल बिगड़ने मे देर नहीं लगेगी । दो – चार लोग बीच बचाव करने भी आए फिर मैंने उनसे कहा कि आप शांत होंगे तो मैं भी कुछ बोल पाऊँगा…….. मैंने बाईक चला रहे युवक से कहा, भाई एक काम करोगे आपके साथ जो यह मैडम हैं ,, इतना कहते ही वह फिर मुझ पर झल्लाया ….. मैडम का क्या मतलब बीबी है मेरी ….!
हाँ.. हाँ ठीक है मैंने भी मैडम ही बोला अपशब्द नहीं कहे हैं मेरे भाई , आप जरा इनके दुपट्टे का पिछ्ला हिस्सा अपने हाथ से उठाएंगे जरा ..?
मेरा इतना कहते ही महिला ने खुद ही अपना दुपट्टा आगे लिया तो वह कीचड़ से लतपत हुआ था ।
तो वह फिर बोला इस बात का दुपट्टे से क्या लेना देना …?
मैंने कहा,,, मतलब इसी दुपट्टे से है भाई । इनका यह दुपट्टा जो सड़क पर काफी दूर से इतनी धूल फांकने के बाद तुम्हारी बाईक का बार-बार पिछला टायर चाट रहा था तो मुझे लगा कि इस टायर में अगर दुपट्टा फंस गया तो इन मैडम सहित आपका दोनों भयानक दुर्घटना के शिकार हो सकते थे , इसलिए तुम दोनों की जान के खातिर ही मैं आपको बोल रहा था कि दुपट्टा … दुपट्टा संभालो …..
जनाब मैंने उल्लू का पट्ठा नहीं बोला था बल्कि आपकी बीबी को दुपट्टा सँभालने को कहा था ।
अब बोलो साहब क्या सजा दोगे .? इतने में वहां पर मौजूद लोग उन पर हंसने लगे अब वह जोड़ा झेंप गया और युवक बोला
अरे नहीं .. नहीं ..सर सॉरी… सॉरी ।
फिर साथ में खड़ी मैडम बोली भईया सॉरी .. एक तो ये हॉर्न भी इतने जोर-जोर से बजते हैं कि किसी की कही हुई बात भी ठीक से सुनाई नहीं देती है , सॉरी भईया ।
इसके बाद कुछ लोग ठहाके लगाकर तो कुछ मुस्कराकर स्थान छोड़ चले गए । और मैं भी अपनी कार में सवार होकर घर चला आया ।
लेकिन यह मैं हमेशा करता हूँ और करता रहूँगा । मेरे ऐसा करने से एक दुर्घटना होने से बचती है ।
मैं आए दिन ट्रैफिक के बीच देखता हूँ अक्सर महिलाओं की साड़ी या दुपट्टा भी कार के दरवाजे बंद होने के बाबजूद सड़क पर झूलते रहते हैं । या कार में सवार लोगों के दरवाजे ही ठीक से लॉक नहीं होते हैं तो मैं अक्सर उन्हें रोककर ठीक करवाता हूँ । अब तो मेरी दोनों बेटियां भी मुझे ऐसा करते देखकर यही सब करने लगी हैं ।
अच्छा सोचो , दुर्घटना रोको ।
*शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
Copyright: Youth icon Yi National Media, 06.07.2016
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Wah Kya Baat Hai
Nicely articulated.
बहुत उपकार
शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ भाई साहब जी आपका लेख “उल्लू का पटठा् नहींं,बीवी का दुप्पटा” पढ़ा अच्छा लगा,सच मे मेरी भी आदत आप ही की तरह है, मै भी जब कभी किसी को ऐसी स्थिति में देखता हूँ तो यही कोशिश करता हूँ कि उन्हे सचेत करू ताकि किसी के साथ कोई दुर्धटना न घटे ,और ऐसा करने से शायद किसी की दुआ न जाने मेरे कहां काम आ जाऐ।