Bad News : मंत्री तू है कहां…? देख यहां सब बर्बाद हो गया…!
वर्षों से मंत्री लापता है । कोई दिन ऐसा नहीं बीता जब–जब उस अभागी ने उसे याद नहीं किया होगा । मंत्री 10 साल पहले इस घर के आँगन में था जब से सीढ़ियों से उतरा तब से लौटकर वापस नहीं आया है । डबडबाई बूढ़े माँ-बाप की आँखों से टपकते आँसू अपने उद्गार को रोक नहीं पा रहे हैं । वह कभी चुप होते हैं तो कभी फफक-फफक कर रो पड़ते हैं । आसपड़ोस के लोग उन्हें सांत्वना देते हुए समझाने की कोशिस करते हैं कि यह सब ईश्वर की मर्जी रही होगी, तो इस बात पर 65 वर्षीय सिंघल दास ऊपर की ओर हाथ जोड़ते हैं और उस ईश्वर से यह विनती कर रहे हैं कि तू इतना निर्दयी और निठूर कैसे हो सकता है ? अब बचा ही क्या है । उन मासूमों ने क्या गुनाह किया था, जो तूने उन्हे ऐसा तड़पाया है । उन बच्चों से पहले मुझे ही उठा लेता । आखिर मुझे किस बात की तू सजा दे रहा है । दस सालों से मेरा जवान बेटा गायब है और अब उसकी सारी निशानियों को ही तूने मिटा दिया । मेरा ऐसा क्या कसूर है, जो तू मुझे बार-बार ऐसे दिन दिखा रहा है । अब कुछ नहीं बचा है मुझे भी उठा दे…मुझे भी उठा दे । बार बार इस तरह से अपनी छाती को पीट पीटकर सिंघलदास और उनकी पत्नी सेरा देवी विलाप कर रहे हैं जिससे आसपास मौजूद लोग भी अपने आंशुओं को रोक नहीं पा रहे हैं ।
बताते चलें कि मंत्री का इंतजार करते-करते उसका परिवार भी अब दुनियाँ से हमेशा के लिए विदा हो गया है । 10 वर्षीय मासूम सोना को हर रोज अपने पापा के आने का इंतजार रहता था, वह अपनी दादी और दादा जी व माँ से कहा करती थी कि उसके पापा कब आएंगे ? मुझे भी उनके पास जाना है ।
दरअसल 10 वर्ष पहले सोना के पापा यानी मन्त्रीलाल घर छोडकर कहीं चला गया था, और तब से लौटकर वापस नहीं आया । बताते हैं कि मंत्री की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं थी । तब से मन्त्रीलाल के 17 वर्षीय पुत्र सोहन व 10 वर्षीय पुत्री सोना सहित उनकी माँ के लालन पालन की ज़िम्मेदारी मंत्री के बुजुर्ग पिता सिंघलदास और बुजुर्ग माँ सेरा देवी बखूबी निभा रहे थे । बतौर सिंघलदास बीते 10 वर्षों में कोई दिन ऐसा नहीं बीता होगा जब-जब इस घर में मंत्री का इंतजार नहीं हुआ होगा । मंत्री की बेटी जिसने कभी अपने पिता को देखा ही नहीं था वह सबसे ज्यादा अपने पिता का इंतजार किया करती थी । 10 साल से बेटा गायब है । वह जिंदा है भी या नहीं हमेशा यह पीड़ा मन को कचोटती रही है , लेकिन उस दुख को भुलाने के लिए उसकी निशानियां हमेशा अपने आसपास रही हैं लेकिन आज उस ऊपर वाले ने उन्हे भी एक साथ हमसे हमेशा के लिए दूर कर लिया है ।
घटनाक्रम के बारे में बुजुर्ग सिंघलदास बताते हैं कि रातभर से बारिश हो रही थी लेकिन खतरे का कोई अंदेशा नहीं था । मै चारपाई पर सोया था जबकि सोहन और सोना अपनी माँ के साथ जमीन पर बिस्तर लगाकर सोये थे और उनकी दादी यानी मेरी पत्नी बेटी के ससुराल गई थी । सुबह अचानक से करीब साढ़े चार बजे कमरे की दीवार एक साथ जमीन पर सोये बच्चों और उनकी माँ पर गिर गई जबकि दीवार से दूर होने के कारण मै बच गया । लोगों को आवाज दी, लोग आए, तीनों को बचाने की कोशिस भी की लेकिन वह तीनों बुरी तरह से मलवे के नीचे दब गए थे नाक मुंह मे मिट्टी भर जाने के कारण वह पहले ही दम तोड़ चुके थे ।
वहीं दूसरी ओर घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन भी तुरंत मौके पर पहुँच चुका था । जो राहत और बचाव कार्यों में जुट गया था । पूरे क्षेत्र में भारी बारिश के कारण जगह-जगह मोटरमार्ग अवरुद्ध होने के कारण राहत और बचाव की टीम को पैदल ही घटना स्थल तक पहुँचना पड़ा । उप-जिलाधिकारी घनसाली विनोद कुमार ने बताया कि प्रशासन की टीम सुबह से ही मौके पर तैनात है । उप-जिलाधिकारी ने बताया कि मृतकों में तीनों लोग एक ही परिवार के सदस्य हैं । जिनमे 10 वर्षीय सोना पुत्री मन्त्रीलाल, 17 वर्षीय सोहन, पुत्र मंत्रीलाल व 40 वर्षीय मीना पत्नी मन्त्रीलाल हैं । विनोद कुमार ने बताया कि क्षेत्र में जगह-जगह सड़क मार्ग अवरुद्ध होने के कारण मृतकों के शवों का पोस्टमार्ट्म भी घटना स्थल पर ही किया गया है । और पीड़ित परिवार को फौरी तौर पर 10 हजार रुपए की मदद दी गई है साथ ही प्रशासन की ओर से पटवारी व कानूनगो सहित अन्य को पीड़ितों की मदद के लिए गाँव में मुस्तैद किया गया है ।
*पूजा डोरियाल
Copyright: Youth icon Yi National Media, 23.07.2016
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