Icon Work : और वह अधिकारी की नौकरी छोड़ बन गया कास्तकार ….!
सरकारी नौकरी की चाह किस को नही होती, और कोई अधिकारी का पद हो तो फिर तो बल्ले ही बल्ले, लेकिन उतराखंड के अनिल किशोर जोशी की कहानी ऐसी है जिसने सरकारी अधिकारी की कुर्सी छोड़कर खेती-बाड़ी मे दिलचस्पी दिखाई और चन्द सालों मे बजंर हो रही भूमि को किराये मे लेकर, खड़ी कर डाली साड़े तीन करोड़ की प्रोपर्टी, हां इस कहानी का एक पहलू ये भी है कि अनिल किशोर जोशी ने सरकारी सिस्टम की बेरूखी के चलते मजबूरी मे सरकारी नौकरी छोड़ी पढे पूरी रिपोर्ट…..
52 वर्षीय अनिल किशोर 1995 के दौर मे उत्तरप्रदेश शासनकाल के दौरान चारा विकास अधिकारी हुआ करते थे लेकिन दो तीन साल की नौकरी के दौरान ही जब उन्होने पहाडों मे चारे की परेशानी को सुलाझाने की ठानी और कृषि योजनाओं को धरातल पर लाने की कोशिश की तो उच्च अधिकारियों ने एक साल मे ही उनके तीन तबादले कर डाले और कई तरह के दबाव मे उन्हें परेशान किया गया, लिहाजा खिन्न होकर उन्होने नौकरी छोड़ दी। लेकिन देश की प्रतिष्ठति कृषि विश्वाविद्यालय पन्तनगर कृषि विश्वाविद्यालय से उन्होने जो शिक्षा ली थी उसका वे आज भरपूर फायदा उठा रहे हैं। अनिल किशोर मूलरूप से हल्दवानी के रहने वाले हैं लेकिन वे वर्तमान मे टिहरी के मलेथा गांव मे उन खेतों को हरा-भरा कर रहे हैं जो कुछ सालों पहले बजंर हुआ करते थे। अनिल किशोर ने मलेथा मे ऐसे 34 परिवारों के खेतों को लीज पर लिया है जो परिवार गांव से पलायन कर चुके हैं। 34 परिवारांे के 4 हेक्टयर बजंर हो रही भूमि को लीज पर लेकर उन्होने आज करीबन साढे तीन करोड़ की सम्पति जोड़ ली है। वे ये भी कहते हैं कि उन्होंने पिछले 14 सालांे मे बहुत कुछ खोया व पाया है क्यांेकि अगर वे सरकारी नौकरी मे होते तो वे आज उत्तराखण्ड सचिवालय मे सचिव होते लेकिन उन्हें आज ईमानदारी व मेहनत की सम्पति मे खुशी है।
इन खेतों मे आज बड़ी मात्रा मे अलग अलग उपयोगी प्रजाति की पौधशाला है, चार हेक्टयर भूमि पर आज शहतूत के 11 लाख 40 हजार पौधे है, यहां 2380 पौधे कैलिर्फोनिया सन्तरा है, 1800 पेड़ नाशपति, जैसे तमाम अन्य पौधे है। यानि खेतों मे आज उनकी पन्तनगर कृशि विश्वाविद्यालय से ली गई तकनीकि शिक्षा का जहां जीता जागता उदाहरण दिख रहा है वहीं उतराखण्ड से हो रहे पलायन को रोकने के लिए सरकार के सामने एक नमूना भी दिखाई देता है।
* पंकज मैंदोली,
Copyright: Youth icon Yi National Media, 05.08.2016
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समाज के लिए अनुपम उदाहरण।
अति उत्तम। मैं तो इनसे अनुरोध भी करना चाहूँगा कि अगर हो सके तो पहाड़ के दुसरे इलाकों में भी लोगों तो प्रोत्साहित करें ताकि पलायन पर कुछ रोकथाम लगे।
पंकज मैंदोली जी के कथनानुसार, अनिल किशोर जी का कार्य काबिले तारीफ है,कोई लाख मै ऐसा व्यक्ति होता है,अनिल किशोर जी के जज्बे को सलाम
सचमुच एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है अनिल किशोर जोशी जी ने। यह किसी धर्मग्रंथ या कानून की पुस्तक में नहीं लिखा है कि एक बार सरकारी सेवा में आने के बाद आदमी जीवन भर उसके साथ चिपका रहे। मनुष्य को भौतिक सन्तुष्टि चाहे किसी भी माध्यम से प्राप्त होती हो, परन्तु आन्तरिक प्रसन्नता केवल तभी मिलती है जब उसका जीवन नैतिक मूल्यों पर आधारित होता है तथा उसका व्यवसाय अर्थात् आजीविका का चुनाव स्वयं के अन्तर्बोध अर्थात् नैसर्गिक प्रतिभा के अनुरूप होता है। यह निर्णय कभी भी लिया जा सकता है, जिसके लिए व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वतंत्र है।
सचमुच एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है अनिल किशोर जोशी जी ने। यह किसी धर्मग्रंथ या कानून की पुस्तक में नहीं लिखा है कि एक बार सरकारी सेवा में आने के बाद आदमी जीवन भर उसके साथ चिपका रहे। मनुष्य को भौतिक सन्तुष्टि चाहे किसी भी माध्यम से प्राप्त होती हो, परन्तु आन्तरिक प्रसन्नता केवल तभी मिलती है जब उसका जीवन नैतिक मूल्यों पर आधारित होता है तथा उसका व्यवसाय अर्थात् आजीविका का चुनाव स्वयं के अन्तर्बोध अर्थात् नैसर्गिक प्रतिभा के अनुरूप होता है। यह निर्णय कभी भी लिया जा सकता है, जिसके लिए व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वतंत्र है। इस महत्त्वपूर्ण निर्णय के लिए श्री अनिल जी को साधुवाद!
सचमुच एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है अनिल किशोर जोशी जी ने। यह किसी धर्मग्रंथ या कानून की पुस्तक में नहीं लिखा है कि एक बार सरकारी सेवा में आने के बाद आदमी जीवन भर उसके साथ चिपका रहे। मनुष्य को भौतिक सन्तुष्टि चाहे किसी भी माध्यम से प्राप्त होती हो, परन्तु आन्तरिक प्रसन्नता केवल तभी मिलती है जब उसका जीवन नैतिक मूल्यों पर आधारित होता है तथा उसका व्यवसाय अर्थात् आजीविका का चुनाव स्वयं के अन्तर्बोध अर्थात् नैसर्गिक प्रतिभा के अनुरूप होता है। यह निर्णय कभी भी लिया जा सकता है, जिसके लिए व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वतंत्र है। अपने जीवन के सम्बन्ध में लिए गए इस महत्त्वपूर्ण निर्णय के लिए श्री अनिल जी को साधुवाद!
बधाई के पात्र हैं
Dr Joshi,you you have done remarkably well in this scenario. My best wishes are always with you.I am proud of you. You have accomplished a lot. I look forward to seeing even more blessings come to you in the future. Congratulations you are on your way to doing some great things indeed. You are the one who can inspire others,so you deserve for this.Your utmost dedication, enthusiasm, hard work, honesty and insight are really inspiring again Congrats and best wishes for a promising future.
Er Anil Kumar Bhadula
Dr Joshi,you have done remarkably well at such environment. We are proud of you.You have accomplished a lot.I look forward to seeing even more blessings come to you in the future. You are the one who can inspire others, so you deserve this. You very well deserve this Congrats for your hard work,facing challenges with strength, determination, confidence, utmost dedication, honesty, enthusiasm, insight are really inspiring. Again Congrats and best wishes for promising future. Please accept our Congratulations on this wonderful recognition of your merits.
Joshi ji sahi main youth icon hain . It is an inspiration for us specially for the educated youth of uttrakhand. I am sure this will help to prevent Palayan.
सराहीनय… जितनी तारीफ की जाय, कम पड़ेगी। जब्जे को सलाम।