Surendra Kumar with Youth icon ‘Raj Rag’ भाजपा की नीति है झूठ को बोलो, जोर से बोलो । हजार बार बोलो, बार-बार बोलो – सुरेन्द्र कुमार
* गैरसैण में जो कुछ भी चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है तो वह कांग्रेस ही कर रही है ।
* भाजपा जनता को बताए कि गैरसैण को लेकर उन्होने कौन सा प्रस्ताव मुख्यमंत्री के सामने रखा ?
* भाजपा तो चाहती ही नहीं है कि राज्य से भ्रष्टाचार दूर हो !
* हरीश रावत की छाया तले किसकी चमक पड़ी फीकी ?
* किसने जपी 108 बार हरीश रावत के नाम की माला ?
यूथ आइकॉन ‘राज-राग’ में हमारे आज के मेहमान हैं मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार सुरेन्द्र कुमार । सुरेन्द्र कुमार की पहचान नेता से पहले एक पत्रकार व जन आंदोलनकारी के रूप में भी है । श्रीनगर गढ़वाल विश्व विद्यालय में छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहने वाले सुरेन्द्र कुमार बताते हैं कि 1970 से उत्तराखंड राज्य निर्माण तक के समय में बनी अलग सरकारें चाहे वह भाजपा, कांग्रेस की रही हो या अन्य गठबंधनों की उक्त के दरमियान दर्जनों बार भिन्न-भिन्न जनांदोलनों में सक्रिय भूमिका के चलते उन्हे जेल यात्राएं भी खूब करनी पड़ी थी । सुरेन्द्र कुमार बताते हैं कि उनका सौभाग्य रहा कि उन्हे उत्तराखण्ड के गांधी स्व0 इंद्रमणि बडोनी के सानिध्य में भी काम करने का मौका मिला था । बताते चलें कि उत्तराखण्ड सयुंक्त संघर्ष समिति का गठन इंद्रमणि बडोनी व काशी सिंह एरी एवं अन्य के द्वारा देहारादून में सुरेन्द्र कुमार के अखबार के दफ्तर में ही किया गया था, फिर वहीं से आंदोलन की भूमिका तैयार होने लगी । सुरेन्द्र कुमार की माँ मालती रावत भी राज्य आंदोलन में सक्रिय आंदोलनकारी थीं । मूल रूप से कोटद्वार के रहने वाले सुरेन्द्र कुमार जमीदार/ थोकदार परिवार से आते हैं । मिलनसार स्वभाव, साफ छवि, डाउन टू अर्थ रहना, बेबाकी से अपनी बात को रखना, यह कुछ उनकी खूबिंया मानी जाती हैं । पत्रकारिता के साथ-साथ राजनीति में भी सुरेन्द्र कुमार की ख़ासी दिलचस्पी रही है, और यही वजह रही कि उन्हे वर्तमान सरकार में मुख्यमंत्री मीडिया प्रबंधन की अहम ज़िम्मेदारी सौंपी गई है । कहा जाता है कि, कोई ऐसा सवाल नहीं कि जिसका जवाब सुरेन्द्र कुमार के पास न मिले, जैसा सवाल उसी अंदाज में जवाब देने में माहिर कुमार ने मीडिया में भी अपनी अलग छवि बनाई है । शायद ये इनके मीडिया मैनेजमैंट का ही कमाल है कि तमाम मौकों पर सरकार के सामने विपक्ष लाचार भी नजर आता है । आखिर किस तरह की रणनीति अपनाकर सरकार को विपक्ष के हमलों से बचाते हैं ? क्या है सरकार का 2017 का एक्शन प्लान और भ्रष्टाचार के आरोपों से क्यों घिरे हैं मुख्यमंत्री हरीश रावत ? गैरसैण मसले पर मुख्यमंत्री ने क्यों किया पहाड़ वासियों को निराश ? ऐसे ही कई अन्य सवालों के जवाब जानेंगे आज के यूथ आइकॉन ‘राज-राग’ मे मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार सुरेन्द्र कुमार से ।
Yi शशि पारस : सरकार के पांच साल के कार्यकाल को किस तरह देखते हैं ?
सुरेन्द्र कुमार : हमारी सरकार विकास के मोड पर है । विकास की डोर को घर-घर तक पहुंचाना मुख्यमंत्री जी की प्राथमिकता है । राज्य की पर कैप्टिल इनकम में इजाफा हुआ है । सड़क, बिजली, पानी, के साथ मेडिकल कॉलेज तमाम क्षेत्रों में काम हुआ । हर क्षेत्र में विकास हुआ । भाजपा मार्च में सरकार गिराने की साजिश न करती तो और बेहत्तर परिणाम सामने होते । भाजपा की साजिश के कारण लम्बे समय तक जनता को बिना बजट के रहना पड़ा जिससे आमजन का नुकसान हुआ। लेकिन मुख्यमंत्री हरीश रावत जी लगातार प्रयासरत हैं । कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में ऐतिहासिक विकास कार्य किए हैं । हम मजबूत उत्तराखण्ड की ओर अग्रसर हैं ।
Yi शशि पारस : जी विकास वाकही इतना हुआ कि सारा पहाड़ मैदान में शिफ्ट हो गया है, पहाड़ वीरान होते जा रहे हैं । बहरहाल आपका भी अपना नजरिया या राजनीतिक मजबूरी हो सकती है , …. लेकिन मेरा अगला सवाल कि ….हरीश रावत सरकार पर भ्रष्टाचार और घोटाले के आरोप विपक्ष की ओर से खूब लगें रहे हैं , आखिर क्यों हो रहा है इतना भ्रष्टाचार कब रुकेगी भ्रष्टाचार की यह रफ्तार ?
सुरेन्द्र कुमार : आरोप तो भाजपा की एक सुनियोजित साजिश हैं । आरोप लगाने वालों के तो आदि गुरू गोबल्स हैं जो हिटलर के सेनापति थे । भाजपा की नीति है – झूठ को बोलो, जोर से बोलो । हजार बार बोलो, बार-बार बोलो । एक झूठ को बार-बार बोलना, हजार बार बोलना जो हिटलर की जो नीति थी उसी पर आज भाजपा चल रही है । भाजपा के पास न तो कोई विकास का एजेंडा है और न कोई विजन । रूद्रपुर में भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक होती है तो वहां एक लाइन का प्रस्ताव पास होता है कि जब तक हरीश रावत मुख्यमंत्री है भाजपा की वापसी संभव नहीं है । रूड़की में प्रदेश कार्यकारिणी बैठती है तो 108 बार हरीश रावत के नाम की माला जपते हैं । जिस पार्टी के पास कोई काम न हो । जो जनता की चुनी हुई सरकार को धनबल के बूते अस्थिर करने नाकाम साजिश कर चुकी हो उस पार्टी के आरोपों को आप लोग अब भी गंभीरता से ले रहे हो ! भाजपा का मकसद सिर्फ और सिर्फ सत्ता को कब्जाना मात्र है । भाजपा के मित्रों को हरीश रावत जी का फोबिया हो गया है, इसलिए वह कभी भी कहीं भी कुछ भी बड़बड़ाने लगते हैं और ऐसी बड़बड़ाहट तब होती है जब किसी को सामने से साक्षात अपनी पराजय नजर आने लगती है ।
Yi शशि पारस : ताज्जुब कि मंत्रियों पर कभी कोई आरोप नहीं लगते हैं, उनकी कार्यशैली पर कभी सवाल खड़े नहीं होते हैं मुख्यमंत्री हरीश रावत ही क्यों विपक्ष का टारगेट होते हैं ? यह भी आरोप लगता है कि मुख्यमंत्री ने सभी विभागों की चाबी अपने पास रखी है और मंत्रियों को डुप्लीकेट चाबियाँ थमाई हैं ?
सुरेन्द्र कुमार : सरासर झूठ सामुहिक नेतृत्व के आधार पर सरकार काम करती है । मुखिया को सामने रहना पड़ता है । यदि मुखिया के नेतृत्व में सरकार अच्छा काम कर रही है, तभी तो हम आगे बढे हैं । इस लिए सामुहिक नेतृत्व में आप समझ सकते हैं कि लीडर को ही टारगेट किया जाता है । लेकिन हम अच्छा काम कर रहें हैं । मुख्यमंत्री जी के दिशा निर्देशन में सभी मंत्रीगण विकास के एजेंडे पर काम कर रहे हैं । जिसका सुखद परिणाम 2017 में हम सबके सामने आएगा ।
Yi शशि पारस : भ्रष्टाचार पर लगाम लगा पाई है हरीश रावत सरकार ?
सुरेन्द्र कुमार : बिल्कुल, भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी जीरो टालरेंस नीति रही है । बिजिलेंस विभाग के अलावा अन्य विभागों को मजबूत किया गया है । पर भाजपा के मित्र यहां पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आये । इस राज्य को अच्छा लोकायुक्त लोकपाल मिल रहा था, उन्होंने उस पर भी दोहरा चरित्र दिखाया । पहले सहमति प्रकट की फिर उस सहमति से पलट गए । शायद भाजपा नहीं चाहती राज्य से भ्रष्टाचार दूर हो, क्योंकि उनके नेताओं बहुत छींटे पड़े हुए हैं, संदेह के घेरे में बहुत नेता हैं उनके, यह प्रदेश की जनता भली भाँति जानती है । भाजपा नेताओं को अंदर ही अंदर लोकायुक्त का डर सता रहा है , इसलिए लोकायुक्त के गठन पर वाधा उत्पन की जा रही है । और बाधा उत्पन्न करने में भाजपाईयों की पीड़ा को समझा जा सकता है ।
Yi शशि पारस : क्या मान रहे हैं आप, वापसी हो रही है सरकार की 2017 में ?
सुरेन्द्र कुमार : भारी बहुमत के साथ, जनता ने मन बना लिया है हरीश रावत जी को एक मौका और देना है, कि कांग्रेस की सरकार को एक मौका और देना हैं। इस लिए मैं समझता हूं कि हम भारी बहुमत के साथ 2017 में दुबारा जीत कर आयेंगे ।
Yi शशि पारस : कमजोर विधायकों के 2017 में टिकट कट सकते हैं ?
सुरेन्द्र कुमार : पार्टी में किसको टिकट दिया जाए किसको नहीं, इसको पार्टी का संसदीय बोर्ड तय करता है । किसका टिकट काटना है किसको देना है, इसके बारे में जो भी निर्णय होगा उन्हीं का होगा और वह सबको मान्य होगा । वैसे यह सवाल मुझसे नहीं आपको संगठन से करना चाहिए । कांग्रेस संगठन में ईमानदारी है पारदर्शिता है और पार्टी का अपना एक लोकतान्त्रिक ढांचा है जिस साँचे में ही सभी सच्चे कांग्रेसी ढले होते हैं । संगठन का निर्णय सभी को मान्य होता है ।
Yi शशि पारस : सीएम के मीडिया मैनेजमैंट को लेकर सवाल उठते हैं कि सरकार का ठीक प्रकार से बचाव नहीं कर पाते ?
सुरेन्द्र कुमार : यह उनका नजरिया हो सकता है । अब हम गाली देने की राजनीति तो नहीं कर पाते । विपक्ष को गाली देना अच्छा लगता हैं तो देते रहें । हम इस तरह की राजनीति नहीं करते । राजनीति हो पर मर्यादित हो हम सीमित और संयमित शब्दों में सरकार का पक्ष मीडिया व जनता के सामने रखते हैं । हाँ यह जरूर है कि हम अपने विपक्षी साथियों की तरह संयम नहीं खोते हैं ।
Yi शशि पारस : लोग कहते हैं कि आपके अंदर जो क्षमता थी वो हरीश रावत के सानिध्य में दबकर रह गई, क्या ये सच है ?
सुरेन्द्र कुमार : मैं अपने सब चाहने वालों का धन्यवाद अदा करना चाहता हूं, लेकिन मै स्पष्ट करना चाहता हूँ कि मुझे काम करने में ही आंनद आता है । और यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे हरीश रावत जी जैसे एक जनसरोकारी राष्ट्रीय नेता के सानिध्य मे काम करने का मौका मिला है ।
Yi शशि पारस : आप चुनाव लडेंगे 2017 में ?
सुरेन्द्र कुमार : चुनाव लड़ने न लडने का फैसला पार्टी आलाकमान को करना है, पार्टी को तय करना है कौन चुनाव लडेगा कौन नहीं।
Yi शशि पारस : क्या आप तैयारी कर रहें हैं अपने स्तर पर ?
सुरेन्द्र कुमार : मेरी अपनी तरफ से कोई भी तैयारी नहीं है । पार्टी का जो भी निर्णय होगा उसका पालन करूंगा । मैं अपनी तरफ से न तो किसी पद पर दावा कर रहा हूं न तैयारी कर रहा हूं । पार्टी जो भी आदेश देगी उसका ईमानदारी से पालन करूगां ।
Yi शशि पारस : गैरसैण राजधानी मसले पर पहाड़ वासियों को फिर से मायूसी मिली है जिसके लिए लोग मुख्यमंत्री रावत को जिम्मेदार मान रहे हैं, विपक्ष भी सरकार से स्पष्टीकरण मांग रहा है, आखिर राजधानी मसले पर सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने मे परेशानी क्यों हो रही है ?
सुरेन्द्र कुमार : देखिये पहली बात तो यह कि सरकार को इस मसले पर किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं है । रही बात विपक्ष के स्पष्टीकरण मांगने का तो बीजेपी इस अधिकार को खो चुकी है । उसे राजधानी मसले पर कांग्रेस सरकार से सवाल पूछने के बजाय खुद से चिंतन, मनन व मंथन करने की आवश्यकता है । भाजपा बताए कि उसने अपने शासन काल में राजधानी मसले पर क्या किया है ? मै आपके मार्फत भाजपा के सम्मानित मित्रों से पूछता हूँ कि क्या उन्होने मुख्यमंत्री हरीश रावत जी के पास कोई ऐसा प्रस्ताव भेजा है जिसमें कहा गया हो कि राजधानी गैरसैण में बनाई जाय और फिर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा के विधायकों के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया हो । यह बेहद ही हास्यास्पद स्थिति है, भाजपा सदन में कुछ और बोलती है सड़कों पर कुछ और । यह सब जानते हैं कि गैरसैण में विधानसभा की नीव कांग्रेस सरकार ने रखी थी और अब वहाँ पर विधानभवन, सचिवालय, विधायक आवास सहित अन्य ढांचे जनता के सम्मुख प्रत्यक्ष खड़े हैं वहां पर मास्टर प्लान से काम किया जा रहा है ये सब किस लिए किया जा रहा है क्या यह जनता नहीं जानती या भाजपा नहीं जानना चाहती है । कांग्रेस घोषणाओं मे नहीं बल्कि धरातल काम करने में विश्वास रखती है । भाजपा के नेता व केंद्र सरकार से रेल मंत्री गैरसैण में जाकर अब उस रेल परियोजना का शिलान्याश कर रहे हैं जिसे कांग्रेस सरकार पिछले सालों में कर चुकी है, इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा पूरी तरह से बौखलाई हुई है । यह आप ही बताइएगा कि जिस परियोजना का शुभारंभ पूर्व की सरकार कर चुकी हो और फिर दूसरी सरकारी फिर से वही काम करे तो क्या जनता यह सब नहीं देखेगी ! अच्छा होता कि सुरेश प्रभु जी को उत्तराखंड भाजपाई नेतागण यह राय या सुझाव देते कि गैरसैण में इस राजनीतिक प्रपंच के बजाय रेल टिकट काउंटर का शिलान्यास कर देते जो उस क्षेत्र की जनता के लिए उपयोगी भी होता ।
Yi शशि पारस : राज राग में शामिल होने के लिए आपका विशेष धन्यवाद । नमस्कार ।
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© प्रस्तुति : शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ ,
Copyright: Youth icon Yi National Media, 11.12.2016
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यूथ आइकॉन : हम न किसी से आगे हैं, और न ही किसी से पीछे ।
शशि भूषण मैठाणी “पारस” भाई साहब जी आज के समय में किसी भी मंत्नी पर विसवाश करना बहुत मुश्किल है।