Jahar ki Kheti : जहर उगा रहे हैं उत्तराखण्ड के इस ईलाके में ग्रामीण ! उत्तरकाशी में खूब फल-फूल रहा है जहर का व्यवसाय ।
जी हाँ…… उत्तराखण्ड में उगाया जा रहा है जहर ! और वह भी एक दो नहीं बल्कि दर्जनों गांवों के ग्रामीण जहर उगाने के लिए आमादा हैं । और जहर का यह व्यवसाय उत्तरकाशी जिले में खूब फल-फूल रहा है । जबकि प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है । जबकि उत्तराखण्ड के बड़े हिस्से के ग्रामीण महिलाएं नशे के खिलाफ सड़कों पर आंदोलनरत हैं और इसके ठीक उलट उत्तरकाशी जिले में जमकर नशे की फसल लह लहा रही है । या यूं कहें कि उत्तरकाशी में नशे की खेती की खुलेआम सरकार ठेंगा दिखाकर की जा रही है, यहाँ ग्रामीण खेतों में जहर उगा रहे हैं जिला प्रशासन क्यों मौन बैठा हुआ है यह समझ से परे है ।
उत्तरकाशी में कहाँ -कहाँ की जा रही है नशे की खेती और किस तरह की कार्यवाही करता है वहां प्रशासन इस पर आगे रिपोर्ट विस्तार से बता रहे हैं अरविंद थपलियाल ।
यूथ आइकाॅन । उत्तरकाशी जिलें में पोस्त की खेती जहां भारी भरकम में पैदा की जा रही है। वहीं जिला प्रशासन नाम मात्र की सख्ती से काम चला रहा है, बता दें उत्तरकाशी जिले में मोरी, पुरोला नौगांव, डुंण्डा, भडवाड़ी सहित पांच विकासखडं आते हैं। अब जब हम अफीम यानी पोस्त की खेती की बात करतें हैं तो पिछलें कई सालों की तुलना में इस साल पोस्त की खेती करने वालों में इजाफा हुआ है और खेती की पैदावार में भी बढोतरी हुई है, अब एक सवाल हर एक के जहन में है कि इस अवैध खेती और खेती करने वालों की संख्या क्यों बढी है? यह सवाल ज्यादा अहम है? पोस्त की खेती के बारे में जब हमनें लोगों से
जानकारी ली तो किसी ने इसे निर्धनता से मुक्त होना कहा तो किसी ने अच्छा रोजगार जी हां हमें हैरत भी हुई और आश्चर्य भी कि आखिर लोग इतने बिवस क्यों कि जहर की खेती की पैदावार पर उतारू हैं? आखिर अन्य नगदी फसले क्यों नहीं उगा रहें हैं हमने यह तमाम पहलू जानने की कोशिश की?
क्या हुआ चौकाने वाले खुलासे ?
जब हमनें गहना से इस विषय का ठोस अध्ययन किया तो पाया कि इन लोगों का उद्देश्य पोस्त की पैदावार करना नहीं कि सिर्फ अफीम और फीम निकालना हैं जो कि बाजार भाव में सोने से भी कहीं मंहगा है जी हां बहुत मंहगा है। फीम और अफीम क्यों महंगी है आप चौंक रहे होगें ! आप चौंकें नहीं यह जहर की खेती है । नशा भी इसी खतरनाक पोस्त नाम की फसल से होता है जी हां ।
कहां-कहां होती है पोस्त की खेती ?
जिले में मोरी आराकोट ऊपरी बंगाण सहित पुरोला के कुछ पर्वतीय गांव सहित नौंगाव के गढ खाटल सहित डामटा क्षेत्र व मुंगरसंति में भारी मात्रा में पोस्त की खेती होती है और यदि राड़ी पार की बात की जाये तो भटवाड़ी, डुण्डा के कुछ उपरी ईलाकों में भी खुब पोस्त की खेती होती है।
कौन दे रहा है पोस्त की खेती को पनाह ?
जब पोस्त की खेती की भनक जिला प्रशासन को लगी तो फरमान जारी हुआ कि जहर की खेती नष्ट की जाये। विभाग ने टीमें बनाई और पोस्त उपजाऊ क्षेत्रों मे निकल पड़े फसल को नष्ट करने। लेकिन मौके पर यह मात्र दिखावा सा लगा। जी हां ऐसे लग रहा था जैसे कि पोस्त माफियाओं के साथ हाथ मिला लिया गया हो। नाम मात्र की फसल के नष्ट होने का दिखावा करना और भारी भरकम क्षेत्रों में पोस्त की खेती को जस की तस छोड़ देना सवाल तो खड़े करता ही है। अब इस मामले पर सवाल उठ रहे हैं कि कुछ वन विभाग के कर्मचारी और राजस्व विभाग के कर्मचारी इन माफियाओं से मिलें हो सकते हैं? हलाकिं सच क्या है यह तो पूरी जांच के बाद ही सामने आ पायेगा, लेकिन कुछ तो गड़बड़ जरूर है।
कहां हो रही है ब्यवस्थाओं में चूक :
जहां उत्तरकाशी जिला जहर की खेती की पैदावार करने में बढचढ़ कर हिस्सा ले रहा हैं वहीं जिला प्रशासन का कमजोर रवैया जहर माफियाओं को आसानी से छूट दे रहा हैं। जी हां आलम यह कि आज तक की छापेमारी प्रक्रिया में ना अभी तक किसी जहर माफिया पर कोई ठोस कानूनी कार्रवाही हुई और ना पूर्ण रूप से जहर की खेती हुई नष्ट, हां इतना जरुर है कि अधिकारीयों ने पोस्त के खेत में फोटो जरूर खींची ।
छापेमारी साबित हो रही महज दिखावा :
अब कानून के नाकाम रवैया पर सवाल उठाना गलत नहीं होगा वह यह कि क्या जिले में जहर का कारोबार में बढोतरी होगी कि कोई ठोस रणनीति बनेगी। इसके आसार तो नजर नहीं आ रहें, क्योंकि मुंगरसंति रेजं तो अभी पुर्ण रूप से वंचित है। इसके कुस्या वीट से लेकर गैर गांव तक सबसे ज्यादा पोस्त की पैदावार है और आलम यह कि राजस्व पटवारी और वन विभाग के सिवाय अभी तक कोई नहीं पंहुचा जो पहुंचे भी वह अपनी रिपोर्ट सब ठीक ठाक बनाकर अपना उल्लू भी सीधा कर गये अब कौन सी व्यवस्था पर भरोसा करें ? यहां तो सरकारी दामाद भी जहर माफिया बने हुये हैं ।
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यूथ आइकॉन : हम न किसी से आगे हैं, और न ही किसी से पीछे ।
ब्यवसायिक प्रतिस्पर्धा का समय है,सरकार ने भांग के लिए कहा तो लोग बडे़ स्तर पर पारम्परिक पोष्त की खेती को अफीम के रूप में करने लगे। बड़े जिम्मेदार आम लोग नहीं सरकार की सोच है।
Have you given a thought to the fact, why so many white tourists visiting Uttarkashi while very very few come towards Shri Badrinath.
Due to poppy.
Have you given a thought to the fact, why so many white tourists visiting Uttarkashi while very very few come towards Shri Badrinath.
Thanx y i for it.
Due to poppy.