A special meeting with the brave Comendant of Kashmir. कश्मीर के बहादुर कमाण्डेन्ट से खास मुलाकात ।
कर्नल रोहित ने गत सितम्बर में ही सेना से स्वैच्छिक निवृत्ति ली है, आई टी के मुद्दे पर एक छोटी सी मुलाकात में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उनसे इतने प्रभावित हुये कि रोहित को सैनिक कल्याण विभाग में राज्यमन्त्री मनोनीत कर दिया हालांकि उन्होंने कहा कि वे समाज के लिए काम करना चाहते है किंतु किसी राजनैतिक विचारधारा का बिना अध्ययन किये जुड़ नही पाएंगे। उन्होंने युवाओं के स्वरोजगार से जुड़ी अनेक रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी। अल्मोड़ा रानीखेत में अपनी तैनाती के दौरान स्थानीय जनजीवन को जितना उन्होंने अनुभव किया उन समस्याओं के समाधान की चर्चा ने हरीश रावत को उनका मुरीद बना दिया।
मैं आजकल लखनऊ में हूँ, दो दिन पहले अपने मित्र कर्नल रोहित मिश्रा से मिलने उनके आशियाना कालोनी स्थित आवास पर गया। उन्होंने अपने पिताजी से भेंट कराई, जो अपने लाइब्रेरीनुमा कमरे में कुछ पढ़ रहे थे। रोहित बोले “डैडी, ये मेरे दोस्त हैं सतीश लखेड़ा”। अंकल ने स्नेह से कन्धे पर हाथ रखकर पूछा ‘ क्या आप जनरल लखेड़ा के परिवार से हो, जो गवर्नर भी थे ‘।
उन्होंने बताया कि ” उन जैसे शानदार अफसर के साथ मुझे काम करने का सौभाग्य मिला है, सन 90 में कश्मीर में हम साथ रहे। मैं CRPF में कमाण्डेन्ट था और जनरल साहब तब ब्रिगेडियर थे। त्वरित निर्णय लेना, अन्य सुरक्षा बलों से बेहतर तालमेल करना उनके व्यक्तित्व की खूबी है।
कश्मीर के शुरुआती हालात, पाकिस्तान के द्वारा निर्देशित होने वाले अलगाववादी और हर कश्मीरी का भारत विरोधी नारे लगाते सड़क पर होना देश के लिये चिंता बन गया था। 21 अगस्त 90 का दिन दिल्ली में बैठी सरकार की पेशानी पर बल डालने वाला था जब लगा कश्मीर हाथ से गया। तब जनरल लखेड़ा के विवेक और नेतृत्व में हमने आम नागरिकों के जानमाल को बचाते हुये और उन्हीं के बीच मे छुपे आतंकियों को पकड़कर उनके सिंडिकेट को एक्सपोज किया और हमलावरों को ढेर किया।
कमाण्डेन्ट एन एन मिश्रा स्वयं एक ऑपरेशन का नेतृत्व करते हुए घायल हो गये थे उनके शरीर मे दर्जनभर गोलियां लगी थी। उन्होंने कहा जब मेरे बेटे को सेना में चयन होने के बाद कोई अन्य रेजिमेंट आवंटित हो रही थी तब कुमाऊं रेजिमेंट के ‘कर्नल ऑफ दि रेजिमेंट’ लखेड़ा साहब ने कहा इसे कुमाऊं रेजिमेंट में भेजो और बेटे ने वही जॉइन भी की। वे घण्टेभर जनरल साहब की चर्चाओं में खोये रहे।
कर्नल रोहित ने गत सितम्बर में ही सेना से स्वैच्छिक निवृत्ति ली है, आई टी के मुद्दे पर एक छोटी सी मुलाकात में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उनसे इतने प्रभावित हुये कि रोहित को सैनिक कल्याण विभाग में राज्यमन्त्री मनोनीत कर दिया हालांकि उन्होंने कहा कि वे समाज के लिए काम करना चाहते है किंतु किसी राजनैतिक विचारधारा का बिना अध्ययन किये जुड़ नही पाएंगे। उन्होंने युवाओं के स्वरोजगार से जुड़ी अनेक रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी। अल्मोड़ा रानीखेत में अपनी तैनाती के दौरान स्थानीय जनजीवन को जितना उन्होंने अनुभव किया उन समस्याओं के समाधान की चर्चा ने हरीश रावत को उनका मुरीद बना दिया।
प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों के जबरदस्त प्रशंसक कर्नल रोहित अपने सेना से निवृति के बाद सामाजिक जीवन की दूसरी पारी शुरू कर रहे हैं, जो निःसन्देह सफल होगी। पहाड़ों से प्यार करने वाले कर्नल रोहित उत्तराखण्ड में बसने का मन बना चुके हैं।
Excellent
All the best to col Mishra for his second innings after the army!
बहुत बढ़िया…शुभकामना…
गर्व के साथ सैल्यूट कर्नल रोहित सर को
http://www.susheeltiwari.com