AAP Anoop Nautiyal : राज-राग – इसे ही कहते हैं ‘सूत ना कपास जुलाहों में लट्ठम लट्ठा’ …!
उत्तराखंड में इस वर्ष सियासी गलियारों में फिलहाल गहमागहमी थमने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं । आए दिन कोई न कोई बखेड़ा अदने से राज्य में राजनीतिक दलों के बीच देखने, सुनने व पढ़ने को मिल जाती है । और यह क्रम मार्च माह में शक्तिमान की टांग टूटने से लेकर अब तक अलग-अलग कारणो से जारी है । कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस के हाइटेक ड्रामे से सुर्खियों में रह चुका उत्तराखंड अब एक बार फिर से उस दल के कारण चर्चा में है जिसकी फिलहाल यहाँ पर कोई राजनीतिक हैसियत ही नहीं है । या यूं लिखें कि चुनाव नजदीक आने से एन पहले ही हैसियत जुटाने से पहले ही काँच के टुकड़ों की तरह बिखरने लगा है यह दल । इसे ही कहते हैं “सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम लट्ठा” ।
मै बात कर रहा हूँ अरविंद केजरीवाल द्वारा संचालित ‘आप’ पार्टी की, जहां प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष सहित दर्जनों कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने एक-एक करके अपना स्तीफ़ा आलाकमान को सौंप दिया है । आखिर उत्तराखंड में अपनी राजनीतिक हैसियत जुटाने में लगी पार्टी चुनाव की दहलीज पर आते ही क्यों बिखर गई ? इसके लिए मैंने बात यूथ आइकॉन की विशेष कड़ी ‘राज राग’ में ‘आप’ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से स्तीफ़ा दे चुके अनूप नौटियाल से …!
सबसे पहले अनूप नौटियाल का संक्षिप्त परिचय :
मूल रूप से नौटियाल गाँव पौड़ी के रहने वाले 52 वर्षीय अनूप नौटियाल का जन्म 11 नवंबर 1964 को हुआ था । अनूप ने श्रीराम कालेज ऑफ कामर्स दिल्ली के अलावा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टैक्नोलोजी से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की । जिसके बाद मानी जानी टकस्टाईल कम्पनी एच&एम (H&M) में लंबे समय तक जुड़े रहे जिसमे अनूप नौटियाल कंट्री हेड रहे हैं । अनूप नौटियाल ने हाँगकाँग, बांग्लादेश, इन्डोनेशिया, मोरिसस सहित भारत में उक्त कम्पनी में रहते हुए लंबे समय अपनी तक सेवाएं दी हैं ।
वर्ष 2008 में अनूप नौटियाल को माटी की खुशबू अपने मूल राज्य उत्तराखंड खींच लाई तब श्री नौटियाल ने राज्य में 108 एंबुलेंस सेवा के प्रमुख (चीफ) पद पर कार्यभार संभाला । यह इनके लिए अपने जीवन में किसी भी सरकार के साथ काम करने का पहला मौका था । फिर 2013 आते-आते अरविंद केजरीवाल से प्रभावित हुए और फिर राजनीति में प्रवेश कर उत्तराखंड में निरंतर ‘आप’ पार्टी के विचारधारा को विस्तार देने में लगे और अब राजनीतिक दांव पेंच से क्षुब्ध होकर 18 जुलाई 2016 को आप पार्टी से स्तीफ़ा दे दिया ।
विशेष : आगे प्रस्तुत है “राज-राग” में सवाल मेरे और जवाब अनूप नौटियाल के :-
Yi – आपने देश विदेश में ऊंचे ओहदों पर रहकर काम किया , आप चाहते तो अभी लंबे समय तक उत्तराखंड में बारी-बारी आती भाजपा-कांग्रेस की सरकारों के साथ सहयोग कर किसी भी तरह की अहम जिम्मेदारियों को संभाल सकते थे, अचानक से हाई प्रोफाईल नौकरी को त्यागकर कर राजनीति में आने का मन क्यों बना आपका ?
AN – सरकार के साथ जब काम करना शुरू किया तो राजनीति को पहली बार बेहद करीब से देखने का मौका मिला । तब राजनीति में जनहित की अपार संभावनाएं दिखी । मुझे लगा कि इस क्षेत्र में आकर मेरे द्वारा समाज के लिए अभूतपूर्व कार्य किए जा सकते हैं । बशर्ते कि वह ईमानदारी व लगन से किए जांय । बस यही सोचकर राजनीति में आने का मन तभी बन चुका था । बस तलाश थी सही मौके व उचित प्लेटफॉर्म की ।
Yi – तो आम आदमी पार्टी से क्या प्रेरणा मिली जो आप उससे जुड़ गए ?
AN – मै इस पार्टी से उतना ही प्रभावित हुआ जितना कि तब देश का हर नागरिक हुआ था । एकदम लीक से हटकर राजनीति, जहां सिर्फ बातें नहीं हो रही थी बल्कि अव्यवस्थाओं से लड़ने के लिए संघर्ष सामने दिखाई दे रहा था । जिसकी विचारधार और नीतियों से मै बेहद प्रभावित हुआ । पार्टी की सादगी, बिना धन बल के संघर्ष और फिर अप्रत्याशित परिणाम सामने आए जो कि आजाद भारत में पहली बार देखने को मिली ।
Yi – तो फिर अब पार्टी से तौबा क्यों ?
AN – आप गलत कह रहे हैं, या आपको जानकारी नहीं है… दरअसल मैंने पार्टी नहीं छोड़ी है । पार्टी के भीतर लोकतान्त्रिक तरीके से अपनी बात को रखा है जिसके लिए मैंने प्रदेश अध्यक्ष पद से स्तीफ़ा दिया है । हाँ यह जरूर है कि जो कुछ बीते कई दिनों से यहाँ पर चल रहा था उसकी शिकायत मैंने अपने हाईकमान के सामने भी रखी थी । मेरे जीवन में पारदर्शिता, निष्पक्षता है, मै सबको समान नजर से देखता हूँ और दुराग्रह की भावना से अगर कोई काम होता है तो उसे किसी भी सूरत में सहन नहीं कर सकता हूँ । इसलिए सभी कार्यकर्ताओं के प्रति समान दृष्टि के तहत ही न्याय करना पसंद करता हूँ । और कुछ लोगों को मेरा यह निष्पक्ष रवईय्या पसंद नहीं आया । तो फिर उस पद पर रहकर क्या फायदा । बाकी भ्रष्टाचार, कुव्यवस्थाओं व हकों के लिए आवाज तो एक कार्यकर्ता या आम आदमी के रूप में भी उठाई जा सकती है, यही सोचकर अध्यक्ष पद से स्तीफ़ा दिया है ।
Yi – मतलब साफ है कि अब “आप” पार्टी के भीतर उत्तराखंड में बहुत कुछ सही नहीं चल रहा है ?
AN – हाँ कुछ हद तक …..दरअसल यहाँ पर जमीनी कार्यकर्ताओं की लगातार उपेक्षा की जा रही है । उनकी बातों को नजरअंदाज किया जा रहा है । कार्यकर्ताओं को बोलने नहीं दिया जा रहा है, यह कैसा लोकतन्त्र है ? आखिर हम कार्यकर्ताओं को दे क्या रहे हैं वह अपने संसाधनों के साथ अपनी मेहनत से पार्टी की विचारधारा को राज्य में फैला रहे हैं और वही कार्यकर्ता जब कोई सुझाव देता है तो उसे टोक दिया जाता है, और यह सब रोकने की जिम्मेदारी पार्टी के प्रदेश प्रभारी का काम था । लेकिन …. खैर …. उदाहरण के तौर पर इसी हफ्ते की बात लीजिये 17 जुलाई को प्रदेशभर से कार्यकर्ता मुझसे मिलना चाहते थे ताकि वे अपनी शिकायतों को मेरे सङ्ग्यान में ला सकें, लेकिन अफशोष कि इसके विपरीत पार्टी का मुझे निर्देश मिला कि अनूप जी आप किसी भी कार्यकर्ता से नहीं मिलेंगे । मेरे लिए यह एक ऐसा आदेश था जिसने मुझे बहुत पीड़ा पहुंचाई । मै स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मेरी निष्ठा और विचारधारा पार्टी के साथ है, लेकिन यह भी सच है कि मेरे लिए सबसे पहले उत्तराखंड का कार्यकर्ता है और उसकी मान सम्मान की रक्षा करना भी मेरा फर्ज है ।
Yi – ‘आप’ पार्टी का सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार रहा है आपने पार्टी अध्यक्ष रहते हुए उत्तराखंड में इस अभियान को कितनी मजबूती दी, और क्या सफलता पाई ?
AN – बिल्कुल प्रदेश में एक-एक कार्यकर्ता ने पार्टी के इस अभियान को आगे बढ़ाया है । सबसे बड़ा उदाहरण आपके सामने केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी योजना है, जिसे उत्तराखंड सरकार ऐतिहासिक चाय बागान की हरियाली को उजाड़ कर लोगों को बेरोजगार कर वहां पर बनाना चाहती थी, जिसका हमने रात दिन एक कर विरोध किया नतीजतन सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा । इसी तरह से बिजली विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ा जिसका लाभ प्रदेशभर की जनता को मिल रहा है । राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर जोरदार संघर्ष किया है । और अब आगे भी उत्तराखंड के लिए और इस प्रदेश व नागरिकों के हित के लिए संघर्ष जारी रहेगा ।
Yi – भ्रष्टाचार को आप किस तरह से परिभाषित करते हैं ? क्या उत्तराखंड को भी देश के उन राज्य की श्रेणी में रखते हैं जिनकी छवि भ्रष्टाचार को लेकर बेहद खराब होती है ?
AN – बिल्कुल जी … मै तो यह कहूँगा कि अगर कोई स्वतंत्र कमेटी निष्पक्षता के साथ बीते 16 वर्षों के रिकार्ड को खंगाले तो हम पाएंगे यह राज्य भ्रष्टाचार के पहले या दूसरे पायदान पर होगा । क्योंकि यहां जैसे ही राज्य बना तो गिने चुने नेताओं को छोड़ 90% अप्रशिक्षित नेताओं ने यहां राज किया जो पूरी तरह से अधिकारियों के अलावा कर्मचारियों के ईशारे पर चले हैं । तो ऐसे में आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि करोड़ों अरबों रुपये का डेवलेपमेंट प्लान कैसी सोच और कैसे हाथों से तैयार हुआ होगा । बाकी भ्रष्टाचार मै सिर्फ धन का नहीं मानता हूँ । कर्म न करना भी एक बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है यहाँ पर । इस प्रदेश में काम न करने की शैली वाला भ्रष्टाचार भी खूब फल फूल रहा है । यह भ्रष्टाचार पैसों के लेन – देन से भी ज्यादा खतरनाक है । उचित मोनेटरिंग न होने के कारण सब आराम फरमा रहे हैं और जनता त्रस्त है ।
Yi – तो क्या आप पार्टी यहां 2017 मे चुनाव लड़ेगी, क्योंकि आपके मुखिया केजरीवाल का पूरा ध्यान तो फिलहाल पंजाब पर केन्द्रित है ?
AN – मुझे पूरी उम्मीद है कि पार्टी हाईकमान जल्दी ही कोई निर्णय लेगा और उत्तराखंड की 70 सीटों पर सुयोग्य उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी करेगा क्योंकि कार्यकर्ता भी अब इंतजारी में है, कुछ ठोस निर्णय पार्टी को लेना ही होगा ।
Yi – और केजरीवाल उत्तराखंड में पार्टी को चुनाव मैदान में उतारने से मना कर दें तो आपका क्या रूख रहेगा ?
AN – आप हम सबको प्रतीक्षा करनी होगी ।
Yi – भाजपा कांग्रेस में से कौन अच्छा दल है ?
AN – दोनों ही दल उत्तराखंड की दुर्गति के लिए बारी-बारी जिम्मेदार हैं दोनों में फिलहाल आज तक तो कोई फर्क नहीं है । आगे स्थिति सुधार सकते हैं दोनों उम्मीद पर दुनियां कायम है बस ईमानदारी से व अच्छा काम करने के लिए ईच्छा शक्ति और नेक ईरादों की जरूरत मात्र होती है । और एक नाम उत्तराखंड क्रांति दल का जिक्र करना आप भूल गए, मै इस प्रदेश मे दुर्दशा के लिए सबसे ज्यादा अगर दोषी किसी को मानता हूँ तो वह है यूकेडी जिसने विगत 16 वर्षों में भाजपा कांग्रेस को बारी-बारी राज करने के लिए अपना पूरा साथ दिया । पार्टनरशिप ऑफ पॉलिटिक्स का फार्मूला यूकेडी पर फिट बैठता है ।
Yi – यानी कि दोनों दलों में अच्छाइयों की संभावना आपको दिख रही है , तो क्या समझा जाय भविष्य में आपको हम भाजपा या कांग्रेस में पा सकते हैं ?
AN – देखिए सभी दलों में बहुत अच्छे लोग भी हैं और रहे हैं , मसलन कांग्रेस के पूर्व नेता प्रणव मुखर्जी साहब , और भाजपा के अटल बिहारी जी यह लोग भी तो हैं जिन्होने अपने सिद्धांतों और नैतिक मूल्यों के आधार पर अपने लिए जनता के बीच सम्मान पाया है ।
Yi – अपने नेता अरविंद केजरीवाल का नाम लेना आप भूल गए या ?
AN – नहीं शशि जी मुझे आपके पेज पर स्पेस की चिंता है क्योंकि बातचीत लंबी हो गई है , और शायद आप भूल चुके हैं कि मै शुरुआत में ही कह चुका हूँ कि आजादी के बाद अगर देश की राजनीति में कोई क्रांति लाया है तो वह हैं अरविंद जिनसे मै प्रभावित होकर ही राजनीति में आया हूँ ।
Yi – तो क्या आप पार्टी में रहंगे या अन्य दल में जाकर राजनीति करेंगे ?
AN – मेरी प्रबल ईच्छा है कि प्रदेश के सकारात्मक विकास में कहीं भी अपना छोटा सा योगदान दे सकूँ । मै राजनीतिक माध्यम से प्रदेश की व प्रदेश के लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करना चाहता हूँ । बाकी सब हमारे हाथ में नहीं होता है कल क्या होगा यह तो प्रभु और नियति की मर्जी है ।
Yi – बातचीत के लिए धन्यवाद ।
AN – आपका भी ।
यूथ आइकॉन Yi क्रिएटिब मीडिया की इस खास कड़ी में यह थे अनूप नौटियाल जिन्होने हाल ही मै आप पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से स्तीफ़ा दिया है । अनूप नौटियाल का कहना है कि उन्होने कार्यकर्ताओं कि उपेक्षा से नाराज होकर स्तीफ़ा दिया है । लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि अरविंद केजरीवाल 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों में उत्तराखंड को लेकर बहुत संजीदा नहीं हैं उनका पूरा फोकस फिलहाल पंजाब पर है , जिस कारण उत्तराखंड में आप पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच ख़ासी नाराजगी भी है । अब आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल पर यहां के करकर्ताओं की नाराजगी का कितना असर पड़ता है ।
*शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
Copyright: Youth icon Yi National Media, 20.07.2016
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यूथ आइकॉन : हम न किसी से आगे हैं, और न ही किसी से पीछे ।
शशिजी एक बात तो आप पूछना भूल ही गए इनसे। इनके पूर्व प्रवक्ता भार्गव चंदोलाजी के लगाए हुए “केदारनाथ आपदा राहत फंड घोटाला” के आरोप।