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एक्सीडेंटल हिन्दू विचारधारा वाले भी अपने हिन्दू होने पर गर्व करने लगे हैं : डॉ. हरीश रौतेला

Dehradun, Youth icon media reoprt 12 Jan 2024 

आज समाज में जितनी भी समस्याएं और निराशाएं हैं, उन सबका समाधान हमारे सनातन हिन्दू धर्म ग्रंथों में पहले से मौजूद है। जरूरत है उन्हें खुद भी पढ़ने की और अपने बच्चों को भी पढ़ाने की। धर्म संस्कृति और सिद्धांत जब परिवारों में दिए जाएंगे तो स्वत: ही समाज का हर नागरिक अनुशासित होगा और अपने कार्यों के प्रति कर्तव्यनिष्ठ भी बनेगा।

डॉ. हरीश रौतेला, सह क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख - पश्चिम उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड, संगोष्ठी में प्रतिभाग करते हुए।
डॉ. हरीश रौतेला, सह क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख – पश्चिम उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड, संगोष्ठी में प्रतिभाग करते हुए।

आज एक्सीडेंटल हिन्दू विचारधारा वाले भी अपने हिन्दू होने पर गर्व करने लगे हैं, और यही संघ की मूल अवधारणा भी थी और रहेगी। हिन्दू राष्ट्र सिर्फ नारा नहीं एक संकल्प है हमारा। यह विचार ब्रजप्रांत के प्रांत प्रचारक रहे, एवं वर्तमान में पश्चिम उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड क्षेत्र के सह क्षेत्र संपर्क प्रमुख डॉ. हरीश रौतेला ने बीते शनिवार की शाम चंदर रोड़ स्थित चकराता हाऊस में पद्मश्री डॉक्टर आर. के. जैन द्वारा आयोजित एक बौद्धिक संगोष्ठी में रखे।
डॉ.हरीश रौतेला कई विविध आयामों के माध्यम से संघ के कार्यों को निरंतर गति देने वाले प्रभावी एवं ओजस्वी वक्ता हैं । डॉ. रौतेला ने सर्व प्रथम एक-एक करके संगोष्ठी में मौजूद लोगों के विचारों को गहनता से सुना। इस दौरान दून विश्व विद्यालय की कुलपति डॉक्टर सुरेखा डंगवाल ने देवभूमि उत्तराखंड और खासकर देहरादून शहर में अव्यवस्थित होते परिवहन और उससे रोजमर्रा के सरकारी, गैर सरकारी कार्यों पर पड़ते विपरीत प्रभाव पर प्रकाश डाला। जबकि उत्तराखंड बाल आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने देहरादून के सामाजिक ताने-बाने में तेजी से पैर पसार रहे पब, बार, क्लब अप-संस्कृति पर अपनी चिंता व्यक्त की।

डॉ. हरीश रौतेला, सह क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख - पश्चिम उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड

डॉ. प्रवीण जिंदल ने एक जमाने में देहरादून शहर की पहचान रहे, यहां की सड़कों के किनारे-किनारे खूबसूरत घने जंगलों के निबटान पर गहरी चिंता जताई और कहा कि हम कैसे वापस अपने दून को उसकी पहचान लौटा सकें उस पर भी ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है।
यूथ आइकॉन अवार्ड के संस्थापक एवं समाजसेवी शशि भूषण मैठाणी पारस ने सरकारी शिक्षा और सिस्टम में सुधार की बात रखते हुए, सुझाव दिए कि सरकारी स्कूलों में सरकारी अध्यापकों व सरकारी कर्मचारियो के बच्चों को पढ़ाया जाना अनिवार्य किया जाए। और सरकारी सेवाओं में तबादला नीति स्पष्ट बने, पहाड़ और मैदान में बारी-बारी सेवा देना का सभी के लिए अनिवार्य हो। जबकि डॉ. अशोक कुमार ने शहर में उचित कूड़ा प्रबंधन पर सवाल उठाए और अपने उचित सुझाव दिए।
संघ के सह क्षेत्र संपर्क प्रमुख डॉ. हरीश रौतेला ने बारी-बारी सभी लोगों की चिंताओं और सुझावों को संज्ञान में लेते हुए अपने सम्बोधन को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि शिकायतें और समस्याएं कभी भी तब तक समाप्त नहीं हो सकती हैं, जब तक कि सबके अंदर अच्छे नागरिक का निर्माण नहीं हो जाता है।
डॉ. हरीश ने कई देशों, संस्थाओं और रचनात्मक संगठनों का उदाहरण देते हुए, कहा कि जिस-जिस राष्ट्र और संगठन में उत्कृष्ट नागरिक भाव का उत्थान हुआ है, वहाँ समस्याएं भी न्यून हैं। उन्होंने कहा, कि बात चाहे सरकारी अस्पतालों की हो या सरकारी स्कूलों की या फिर अव्यवस्थित परिवहन अथवा बेतरतीब फैले कूड़े व गन्दगी की.. उक्त सारी समस्याओं का निस्तारण का एक ही मूल समाधान है सबका शिक्षित होना और शिक्षित होने के साथ-साथ उत्कृष्ट नागरिकता का भाव स्वयं के अंदर जगाना। जब सभी लोग समाज में उत्कृष्ट भाव के नागरिक होंगे तो तब ना अत्याचार होगा और न व्यभिचार होगा। जब घर परिवार समाज में संस्कारों की प्रदानता होगी तो अपसंस्कृति जन्म ही नहीं ले सकेगी।

डॉ. हरीश रौतेला, सह क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख - पश्चिम उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड

डॉ. रौतेला ने कहा कि आज समाज में जितनी भी समस्याएं और निराशाएं हैं, उन सबका समाधान हमारे सनातन हिन्दू धर्म ग्रंथों में पहले से मौजूद है। जरूरत है उन्हें खुद भी पढ़ने की और अपने बच्चों को भी पढ़ाने की। उन्होंने कहा धर्म संस्कृति और सिद्धांत जब परिवारों में दिए जाएंगे तो स्वत: ही समाज का हर नागरिक अनुशासित होगा और अपने कार्यों के प्रति कर्तव्यनिष्ठ भी बनेगा।
डॉ. हरीश रौतेला ने कहा कि सरकारें आपको ढांचागत सुविधाएं मुहैया करा सकती कुछ कायदे क़ानून बनाती हैं और उन्हें लागू करवाती हैं। लेकिन अच्छे नागरिकों का निर्माण सरकार किसी क़ानून या सुविधाओं से कभी नहीं कर सकती है बल्कि चरित्र निर्माण तो परिवार ही कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय समाज धर्म संस्कृति परम्पराओं पर आधारित समाज है, जिसके मूल सनातन हिन्दू सिद्धांत हैं।
डॉ. हरीश ने कहा कि आज पूरी दुनियां के किसी भी देश या संस्थानों में हिन्दू को प्राथमिकता मिलती है बड़ी-बड़ी और उसकी वजग हिन्दू की कर्तव्यनिष्ठता, ईमानदारी और उसकी सुचिता, राग द्वेष विहीन होना। यही वजह है कि अंतराष्ट्रीय कंपनियों में ऊँचे प्रबंधन की जिम्मेदारियों को संभाल रहे हैं ।
विदेशी संसदों और सरकारों में भारत के लोगों को प्रतिनिधित्व मिल रहा है। और यह सब हम सबके लिए गर्व करने का समय है और खुद भी प्रेरित होना है, आगे बढ़ना है। अपनी मूल सनातनी हिन्दू मान्यताओं के संरक्षण व सम्बर्धन के लिए हम सबको एकजुट प्रतिबद्ध होना पड़ेगा।
और आज हमारी एकजुटता का असर भी देश अपनी खुली आँखों से देख भी रहा है कि जिन लोगों के वंशजों ने स्वयं को दुर्घटनावश हिन्दू बताया था आज उनके परिजन भी मज़बूरी में जनेऊ और गोत्र ढूंढ़ने लगे हैं और खुद को हिन्दू साबित करने लगे हैं।

डॉ. हरीश रौतेला, सह क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख - पश्चिम उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड

अंत में पद्मश्री डॉ. आर. के. जैन ने अपने धन्यबाद सम्बोधन में कहा कि हम सभी को राष्ट्र निर्माण में एकजुट रहकर अपनी सहभागिता निभानी होगी। और समय-समय पर ऐसे बौद्धिक सम्मेलनों व संगोष्ठीयों से समान विचारधारा के परिवारों का जुड़ाव बनता है साथ ही धर्म, संस्कृति का व्यापक प्रचार-प्रसार भी होता है।
इस अवसर पर विवेक शर्मा पूर्व राज्य सूचना आयुक्त, विशाल जिंदल विभाग प्रचारक, सुप्रसिद्ध कवि श्रीकांत महानगर सम्पर्क प्रमुख, डॉ. अभय कुमार, डॉ. अनिल जग्गी, अम्बर खरबन्दा, मुकेश जैन, अनुज शर्मा, अशोक कुमार शर्मा, उपेंद्र अंतवाल इत्यादि मौजूद रहे।


 

नीचे वीडियो में देखें संस्कृत में अंगद रावण संवाद 

 

 

By master

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