बहुत कम समय में देशवासियों के दिलों में जगह बना ली गौरी ने । उत्तराखण्ड की खूबसूरती से अपनेे अंदाज में कराती हैं श्रोताओं को रूबरू।
देश भर में अपने काव्य पाठ का जादू बिखेर रही है नैनिताल की बेटी काव्य जगत के बड़े-बड़े दिग्गजों के साथ कर चुकि हैं मंच साझा।
मंच की सबसे युवा कवयित्री गौरी को उनके संघर्षों के लिए एक ही वर्ष 2014 में चार राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित भी किया गया, जिसमें राष्ट्रीय नारी शक्ति सम्मान, डायमण्ड आॅफ इण्डिया सम्मान (प्रतिभा रक्षा सम्मान समिति, हरियाणा द्वारा), आर्च आॅफ एक्सीलेन्स अवार्ड, रत्न ‘ए’ हिन्दुस्तान सम्मान शामिल हैं। वर्ष 2015 में शान ‘ए’ हिन्दुस्तान सम्मान और वर्ष 2016 में शाईनिंग डायमण्ड अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है ।
हमारे समाज के भीतर बहुत बड़ा तबका शुरू से नारी समाज के विरूद्ध रहा है। हालांकि, समाज के भीतर कुछ लोगों को इससे तनिक भी आपत्ति नहीं है कि नारी समाज स्वतन्त्र रूप से अपनी जनभागीदारी सुनिश्चित करे। अधिकांश क्षेत्रों में नारी का दुश्मन हमारा समाज और उसमें आने वाले लोगों की छोटी मानसिकता ही है। अपनी इस छोटी मानसिकता के चलते कुछ लोंगों द्वारा नारी समाज की आजादी, उनके सपनों को पूरा करने की इच्छा सब उनसे छीन ली जाती है। ऐसे में कुछ नारी, अन्य की मानसिकता को नजरअंदाज करते हुए अपने सपनों को पूरा करने के लिए चाहरदिवारी से बाहर निकल समाज के साथ कंधे से कंधा मिला चलने की हिम्मत कर जाती हैं और वह समाज के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन जाती हैं।
नारी को त्याग, समर्पण, संघर्ष और बलिदान की मूरत ऐसे ही नहीं कहा जाता है, एक स्त्री के बालपन से उसकी मृत्यु तक यह सभी जीवन में प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देते हैं जिसको चाह कर भी कोई झुठला नहीं सकता।
आइए हम आपको बताते हैं उत्तराखण्ड के नैनिताल में जन्मी ऐसी ही एक तेजस्वी युवती ’’गौरी मिश्रा‘‘ के बारे में जिसने अपने समाज की अड़चनों के बावजुद संघर्ष को जीवन से मिटने नहीं दिया और आज देश की लगभग आधी आबादी का प्रतिनिधित्व देश के बड़े-बड़े मंचों से करती हैं। गौरी ने अल्पायु में ही लेखनी से हाथ मिला लिया था, किसी भी बात को एक अलग गीत के अंदाज में कहते वक्त वह उसको सुरमयी कर देती थीं और जब कोई
बात न कह पाती तो उसको अपने सुरीले अंदाज में किसी डायरी या काॅपी में लिख देती थी। धीरे-धीरे यह उनके जीवन का हिस्सा बनता चला गया और जब गौरी कक्षा छः की छात्रा थीं उस समय उनकी उम्र लगभग 12 वर्ष थी तब उन्होंने भजन व गीत लिखने की शुरूआत की, लेकिन पढ़ाई के चलते उनकी यह प्रतिभा किसी के सामने न आ सकी। जब गौरी कक्षा नौं में थीं तब उनकी लेखन की यह प्रतिभा समाचार पत्रों के माध्यम से समाज के सामने आई जिसको लोंगों ने खूब सराहा भी। कभी उनकी लेख को आर्टिकल के रूप में प्रकाशित किया जाता, तो कभी उनकी कविता को “बच्चों का कोना” भाग में स्थान दिया जाता।
जब गौरी कक्षा ग्यारह में पहुंची तो उनकी पढ़ाई का स्तर बढ़ने के कारण अपनी सारी ऐक्टिविटीज को एक तरफ कर पढ़ाई की ओर ध्यान केन्द्रीत करना पढ़ा, और इसी प्रकार कक्षा बारह में भी वह इनसे दूर रहीं। कक्षा बारह के बाद गौरी ने हल्द्वानी के एम.बी.पी.जी. महाविद्यालय में बी.एस.सी प्रथम वर्ष में दाखिला लिया। इस दौरान अपनी पढ़ाई को जारी रखने में उनको आर्थिक संकट नजर आनेे लगा। क्योंकि गौरी एक सामान्य परिवार की बेटी हैं। उनके पिता ओम प्रकाश मिश्रा बी.एस.एन.एल. विभाग मंे कार्यरत हैं, और माँ गृहिणी हैं। गौरी छः भाई-बहनों में सबसे छोटी बहन हैं और भाई उनसे भी छोटा है।
गौरी बताती हैं कि उनको काव्य जगत में सबसे ज्यादा सहयोग डाॅ० सुरेश अवस्थी और कवि अजातशत्रु का मिला, जिन्होंने हमेशा गौरी को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। गौरी की आजकल इलेक्ट्रानिक मीडिया में भी उनकी कविताओं की मांग है जिसके चलते गौरी बिग मैजिक, न्यूज 18 इण्डिया, जी न्यूज, एनडीटीवी जैसे बड़े टीवी चैनल्स पर भी अपनी काव्य प्रतिभा का लोहा मनवा चुकि हैं, कार्यक्रमों में व्यस्तता के कारण अगामी 22 फरवरी को एबीवीपी न्यूज का एक बड़ा कार्यक्रम सिर्फ इसलिए नकार दिया क्योंकि गौरी का कार्यक्रम अन्य जगह पूर्व से तय था और उनका मानना है कि जिस मंच से उनको पहचान मिली है वहाँ जाने से मना कर उस मंच का अनादर नहीं कर सकती। इसी कारण गौरी कई अन्य टीवी चैनलों के कार्यक्रम नहीं कर पाती हैं। गौरी ने बताया कि आज इलेक्ट्रानिक मीडिया में भी उनकी कविताओं की मांग है जिसके चलते गौरी बिग मैजिक, न्यूज 18 इण्डिया, जी न्यूज, एनडीटीवी जैसे बड़े टीवी चैनल्स पर भी अपनी काव्य प्रतिभा का लोहा मनवा चुकि हैं, राष्ट्र चेतना के हित में मंचीय कार्यक्रमों में व्यस्त होने के कारण गौरी एबीवीपी न्यूज, जी न्यूज जैसे कई बड़े चैनल्स के कार्यक्रम सिर्फ इसलिए नकार देती हैं क्योंकि गौरी के लिए उनकी माँ शारदे का काव्य मंच पहले है जहाँ श्रोता रात भर सिर्फ उनको सुनने व उनसे कुछ सीखने आते हैं। इसी तरह हुनर और होनहार को मौका देने वाले देश के बड़े और प्रतिष्ठित कवि डाॅ० सुरेश अवस्थी ने राष्ट्रीय स्तर पर गौरी को उनकी काव्य प्रतिभा दिखाने का अवसर दिया। साथ ही राष्ट्रीय कवि अजात शत्रु का मंचीय सहयोग गौरी की हिम्मत को बढ़ाता गया।
सामान्य परिवार के लिए आज के दौर में मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करना बहुत मुश्किल होता है। चंूकि बात उच्च शिक्षा की थी तो गौरी ने उसको किसी भी हाल में पूरा करने का संकल्प ले लिया और संकल्प जब सच्चे मन से लिया जाता है तो सिद्ध जरूर होता है। गौरी को भी जल्द ही कुमाऊँनी व गढ़वाली एल्बमों में अभिनय करने का अवसर मिल गया। प्रतिभा की धनी गौरी ने अपनी मेहनत और सफल अभिनय के जरिये धीरे-धीरे अपनी बी.एस.सी. की पढ़ाई पूरी कर ली। जिसके बाद गौरी ने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए सामान्य लोंगों की भांति नौकरी की तालाश शुरू कर दी। तभी उनको कहीं से आॅल इण्डिया रेडियो, रामपुर (आकाशवाणी) के एक विज्ञापन के बारे में पता चला जिसके बाद उन्होंने वहां का फार्म भर कर उसके साथ अपनी रचनाएं आदि रामपुर आकाशवाणी केन्द्र को भेजीं। कुछ दिनों बाद उनको सूचना मिली की उनकी रचनाएं चयनित हो गयी हैं। वह पल गौरी के जीवन का पहला पल था जहां से उनके जीवन को एक नया मोड़ मिला। इसके बाद उन्होंने वहां एक भजन गायिका के रूप मंे अपनी रिकार्डिंग शुरू कर दी और उनके द्वारा लिखे व गाये गए भजनों का प्रसारण आकाशवाणी के माध्यम से होने लगा। एक दिन में चार-पाँच भजनों की रिकार्डिंग होने लगी थी, उनमें से कई भजन जो काफी प्रचलित हुए थे ’’मुझे काम है ईश्वर से जगत रूठे तो रूठन दे‘‘ एक यह भी है। जिसके बाद से समाचार पत्रों के माध्यम से गौरी को भजन गायिका के नाम से क्षेत्र में प्रसिद्धि मिली। समाचार पत्रों को पढ़कर कुछ समय बाद वर्ष 2014 में गौरी को नैनीताल – हल्द्वानी के कवियों द्वारा काव्यगोष्ठियों में व अन्य कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाने लगा। गौरी शुरू से ही अपने सभी कार्यक्रमों को सोशल मीडिया पर साझा करती थीं, जहां उनको लोगों ने काफी पसंद किया। उसके बाद हल्द्वानी व नैनीताल की साहित्य लहरी एवं साहित्य सृजन व अन्य सामाजिक संस्थाओं द्वारा काव्यपाठ करने के लिए गौरी को बुलाया जाने लगा। गौरी का मानना है कि सोशल मीडिया का उनकी सफलता के पीछे बहुत बड़ा रोल है। गौरी से जब पूछा गया की सोशल मीडिया से ज्यादातर अभिभावक बच्चों को दूर रहने के लिए कहते हैं इस पर आपका क्या कहना है तो उन्होंने कहा कि हर चीज के दो पहलु होते हैं एक सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक यदि सोशल मीडिया का इस्तेमाल सकारात्मक किया जाए तो उससे किसी प्रकार की समस्या या हानि नहीं होती है। उन्होंने बताया कि कुछ तत्वों द्वारा सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल कर उसको बदनाम किया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। कहा कि ऐसे अभिभावक जो बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रहने के लिये कहते हैं उनको चाहिए कि बच्चों को नकारात्मक न होने दें और सकारात्मकता के साथ सोशल मीडिया से जुड़े रहने दें क्योंकि वहां बच्चों का बौद्धिक विकास तेजी से होता है बस नकारात्मकता से उनको बचाया जाए। गौरी ने अपनी सफलता का पूरा श्रेय सोशल मीडिया को दिया है और एक संदेश भी दिया कि यदि आपमें प्रतिभा है तो दुनिया के सामने लाने के लिए सोशल मीडिया से बेहतर विकल्प कोई नहीं है। यदि युवापीढ़ी सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करने लगे तो अपना देश भी बहुत तेजी से आगे बड़ेगा साथ ही, आज के समय में सोशल मीडिया के माध्यम से रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हैं जिससे बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है। पुनः वार्ता के क्रम में लौटते हुए गौरी ने बताया कि वर्ष 2015 में पहली बार उनको सोशल मीडिया के माध्यम से ही कविसम्मेलन के बड़े मंच का आॅफर आया। काशीपुर के प्रसिद्ध गजलकार, गीतकार डाॅ0 मनोज आर्य ने काव्यपाठ के लिए पहला बड़ा मंच दिया। इसके बाद काव्यपाठ का सिलसिला बरकरार है। गौरी ने देश-विदेश में प्रतिस्ठित सुरेश शर्मा व सुनील जोगी (पद्म श्री), डाॅ0 हरिओम पंवार, राहत इन्दौरी, डाॅ0 कुमार विश्वास, डाॅ0 विष्णू सक्सेना, शैलेस लोहड़ा (तारक मेहता का उल्टा चश्मा फेम), सुनील पाॅल व अहसान कुरैशी (लाफ्टर चैलेन्ज फेम), विनीत चैहान जैसे काव्यजगत के बड़े-बड़े दिग्गजों के साथ मंच साझा करते हुए अब तक कई सारे कवि सम्मेलन कर चुकि हैं। गौरी ने बहुत कम समय में काव्यजगत में अपना अहम स्थान बनाया है और उनकी भाषाशैली को हमेशा सराहा जाता है क्योंकि उनकी काव्य प्रस्तुति में भारतीय संस्कृति की झलक दिखाई पड़ती है। गौरी श्रृंगार रस की कवियित्री हैं लकिन देशभक्ति का वीर रस भी कभी कभी उनकी रचनाओं में देखने को मिल जाता है। गौरी उत्तराखण्ड की एकमात्र कवयित्री हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर कविसम्मेलन करती हैं और उत्तराखण्ड का नाम काव्य जगत में जीवित रखा है। गौरी मंच की सबसे युवा कवयित्री हैं जिन्होंने दैनिक जागरण की झारखण्ड काव्य श्रृंखला को दो बार पूरी की है। गौरी की बढ़ती हुई लोकप्रियता को देखते हुए उनको प्रिन्ट मीडिया के विभिन्न समाचार पत्रों के द्वारा आयोजनों में संचालन करने हेतु बतौर संचालिका आमंत्रित किया जाने लगा। गौरी को देश के श्रोताओं ने और विभिन्न मंचों ने स्वीकार किया और उनकी रचनाओं और उनके संघर्ष के लिए उनको एक ही वर्ष 2014 में चार राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित भी किया गया, जिसमें राष्ट्रीय नारि शक्ति सम्मान, डायमण्ड आॅफ इण्डिया सम्मान (प्रतिभा रक्षा सम्मान समिति, हरियाणा द्वारा), आर्च आॅफ एक्सीलेन्स अवार्ड, रत्न ‘ए’ हिन्दुस्तान सम्मान शामिल हैं। वर्ष 2015 में शान ‘ए’ हिन्दुस्तान सम्मान और वर्ष 2016 में शाईनिंग डायमण्ड अवार्ड, एण्टी करप्शन फाउण्डेशन द्वारा देकर सम्मानित किया गया, इसके अलावा भी उनको अन्य कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। गौरी को आज की युवा पीढ़ी के लिए एक मिशाल के रूप में देखा जाना गलत नहीं होगा।
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I am also looking a platform to which I can reach my thoughts.It is very good to write articles,to read articles,and too see the Youth Icon Magazine,I have hoped that.I may not be frustrated and continue to move forward.
Gouri Mihra is now a legend.we all love her she is a lovely poet still lots to achive her all the best wishes to her.
Congratulations…
Uttrakhand haldwani city ka naam roshan or maan sammaan ka silsila uhi chalta rahe aap ko tahdil se badhaiyan or shubhkamnaye..💐🙏 ji
Its called women empowerment. Congratulations mam
धिक्कार है ऐसी कवियत्री को जो साधु-संत और सनातन संस्कृति का मजाक उडाती है ।
तालियाँ व पैसों के लिए फुहडता व अश्लिलता का समर्थन और संस्कृति का मजाक ! वा भाई वा !!
धिक्कार तो तुम पर है जो एक प्रतिभाशाली कवियत्री को बदनाम कर रहे हो
Nyc….
My lovely Sister…
शानदार
Badhai
Gauri mam ne jo kadi mehnat kar yaha tak pahunchi h unki kamyabi ham sabhi youth logo ke lie ek example h ki duniya me koi bhi kam hard nahi hota h bas ek bar us kam ko karne ke lie tan or man poori tarah se lagna padega.
Bina sanghars ke koi mahan nahi banta,
Jab tak na pade patthar par hathode ki mar,
patthar bhi bhagwan nahi banta.
ye vali sayri me gauri mam ko samrpit karta hun.
हार्दिक बधाइयाँ जी
Congratulations.
Behtreen dost and auchi insan saath hi bhtreen kavi ye teeno gun aap main hai best off luck friend
Happy womens day gauri jee ..u he apne work ko bakhobi nibhate rahe aur in handicap ke liye jo aap ke andar jo bhi karne ki chahat ho karte rahe iswar auche work ke liye aap ki hamesha madad karta rahe
Gauri i proud of You… Best of Luck 👍 Ur dream Comes True… !!!!