अफसरों के अड़ियल रवैय्ये के खिलाफ पत्रकारों का धरना जारी । कल से मशाल जुलूस तो 1 से अगस्त आमरण अनशन ।
Dehradun, पत्रकार लगातार 6 दिनों से आंदोलनरत हैं । हर पल की खबर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री आवास भी पहुंच रही है । अन्दर की बात यह भी है शासन स्तर पर भी शासन स्तर पर इस बात की भी गहनता से जांच हो रही है कि आखिर ऐसी क्या चूक हुई जिस कारण पत्रकारों ने आंदोलन की राह पकड़ ली है ।
सूत्रों के मुताबिक इसमें कुछ अधिकारियों के नाम की भी सुगबुगाहट है । ऊपर तक ऐसी भी खबर बताई जा रही है कि कुछ लोग अपने नम्बर बढ़ाने के फिराक में ये सब कर बैठे । इसी के चलते अब पता चला है कि मुख्यमंत्री भी पत्रकारों के मुद्दे पर गंभीरता से यह मालूम करने में जुटे हैं कि किन कारणों से अखबारों या पोर्टलों के विज्ञापन रोके गए जिसकी वजह आज पत्रकारों संयुक्त समूह धीरे-धीरे सरकार के खिलाफ सड़क पर आ गए हैं । शासन स्तर पर भी इस पूरे प्रकरण में कुछेक अधिकारियों के अड़ियल रवैय्ये को ही जिम्मेदार माना जा रहा है जिनकी वजह से सरकार की किरकिरी होनी शुरू हुई है ।
अब बात जो भी हो लेकिन पत्रकार फिलहाल अपनी उपेक्षा को लेकर सड़क पर हैं और कल से मशाल थामने का भी ऐलान कर दिया । पत्रकारों का आंदोलन अब सूचना निदेशालय की चौखट से बाहर निकलेगा । देहरादून शहर के व्यस्ततम इलाके यानी हार्ट ऑफ सिटी गांधी पार्क में कल शाम हाथों में मशाल लेकर पत्रकार नए तेवरों के साथ आंदोलन का बिगुल फूंकने का मन बना चुके हैं । इतना ही आगे यह भी तय किया गया है कि अगर विभाग या सरकार ने फिर भी अनदेखी की तो 1 अगस्त से सूचना महानिदेशालय में आमरण अनशन आरम्भ कर दिया जाएगा ।
बताया गया कि श्रमजीवी पत्रकार यूनियन का एक प्रतिनिधि मंडल सीधे मुख्यमंत्री आवास में उनसे मिलने जा पहुंचा जहां उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्रकारों की मांगों से अवगत कराया है । खबर दी गई कि मुख्यमंत्री श्री रावत ने पत्रकारों की मांग पर गौर करते हुए कहा है कि जल्दी भरपाई कर ली जाएगी ।
महापुरुषों की पुण्यतिथि पर विज्ञापन न दिए जाने को जायज न मानते हुए उन्होंने भी इसे एक चूक बताया है ।
अब देखना यह दिलचस्प होगा कि कल मशाल की लौ से अंधेरा छंटेगा भी कायम ही रहेगा । मुख्यमंत्री के सकारात्मक रवैय्ये के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्दी ही मामले का पटाक्षेप होगा ।
वरना 1 अगस्त से आमरण अनशन का भी ऐलान हो ही चुका है ।