अजय भट्ट की बल्ले-बल्ले पूर्व CM भगतसिह कोश्यारी मतभेद भूल चेले के लिये रणनीति बनाने में जुटे ! राज्यसभा सीट पर सबसे मजबूत दावा भट्ट का ।
विजय बहुगुणा, अनिल बलूनी और तीरथ सिंह रावत भी दौड़ में हैं शामिल ।
जी हाँ … ये है सत्ता के गलियारों की गर्माहट । दरअसल उत्तराखंड में देशकाल परिस्थिति और वातावरण के हिसाब से राजनीति तय होती है । वर्तमान में यहां सत्तारूढ़ भाजपा में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं । लंबे समय से रिश्तों में जमी बर्फ अब पिघलने लगी है । गिले शिकवे दूर हो रहे हैं । कारण है राज्यसभा चुनाव ! जिसके चलते अचानक से नाराजगी भुला चुके गुरु की , अपने शिष्य के लिए वरदान साबित होने की चर्चा जोरों पर है । यहां बात हो रही है गुरु भगत सिंह कोश्यारी व शिष्य अजय भट्ट की । अजय भट्ट को राज्यसभा भेजे जाने की चर्चा जोरों पर है और उन्हें सबसे मजबूत दावेदार भी देखा जा रहा है । इसीलिए कई तरह की बातें बाहर आ रही हैं जो फिलहाल भट्ट के पक्ष को ही मजबूती दे रही हैं ।
राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिज्ञों का भरपूर साथ अजय भट्ट के विकास के लिए काफी माना जा रहा है । और इसकी वजह विगत वर्षों में अजय भट्ट की राजनीतिक सक्रियता भी मानी जा रही है । जिस कारण उनके अपनी पार्टी में हाईकमान के कुनबे में बैठे दिग्गजों से सीधे सम्बन्ध भी बने ।वहीं उत्तराखंड में अगर बीते 17 वर्षों की राजनीति में वापस मुड़कर देखें तो भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की सरकारों के वक़्त अध्यक्षों व मुख्यमंत्रियों में बहुत मधुर संबंध कभी नही रहे, लेकिन अजय भट्ट ने यहां भी बाजी मारी । त्रिवेन्द्र सरकार का एक साल पूरा होने को है और इस बीच कभी भी सरकार व संगठन के बीच कोई कड़वाहट या मतभेद नजर नहीं आई है । और इसकी वजह मानी जाती है मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत व पार्टी अध्यक्ष के बीच सुलभ वैचारिक सामंजस्य , जिस कारण दोनों में मधुर रिश्ते की चर्चा भी आम रहती है । दूसरी ओर अजय भट्ट राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल, शिवप्रकाश, प्रान्त प्रचारक युद्धवीर और श्याम जाजू की पहली पसंद बताए जाते हैं इस वजह एक साथ चार प्रमुख क्षत्रपों का आशीर्वाद प्राप्त अजय भट्ट दावा और भी मजबूत हो जाता है ।
जीत तो पक्की मानी जा रही है फिर भी राजनीति में कब जीत, हार में बदल जाए इसका भी कुछ नहीं कहा जा सकता है । और यह बात अजय भट्ट बीते वर्ष निबटे विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त के बाद से भलीभांति जानते हैं । लिहाजा अब वह भी किसी भी प्रकार के रिश्क लेने के मूड में नहीं हैं ऐसा हमारे सूत्रों ने बताया कि यही वजह है कि राज्य के प्रभारी रहे रविशंकर प्रसाद, धर्मेंद्र प्रधान, अनिल जैन, राधा मोहन सिंह, थावर चन्द गहलोत द्वारा भी हाईकमान की घेराबन्दी करवाई जा रही है । अजय भट्ट के लिए थावरचन्द महत्वपूर्ण इसलिए भी हैं क्योंकि वह खुद केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड में मौजूद हैं ।
अब बात अगर पार्टी से इतर संघ की करें तो बताया जा रहा है कि यहां भी अजय भट्ट के लिए पूर्व में संगठन मंत्री रहे संजय जोशी संघ को साधने में जुट गए हैं । वहीं संघ व पार्टी के जबरदस्त रणनीतिकार धनसिंह रावत भी इस बीच दिल्ली में डेरा जमाएंगे यह चर्चा भी जोरों पर है ।
यही सब वो वजह मानी जा हैं जिन कारणों से उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अजय भट्ट का राज्यसभा सदस्य चुने जाने के लिए सबसे मजबूत पक्ष माना जा रहा हैं । बाकी तो आगे आने वाले दिनों में ही स्थिति स्पष्ट होगी फिलहाल राज्यसभा के बहाने उत्तराखंड में राजनीति तो गर्मा ही गई है ।