Amit Shah in Badrinath : शाह ‘शंहशाह’ की चौखट पर’…!
” दुनिया के ” शंहशाह ” ( परम पिता परमेश्वर ) के दरबार में क्या खास, क्या आम जन, जब निर्विकार पहुंते हैं तो वह अदभुत होता है । उसकी विराटता को देख इंसान को अपनी लघुता का अहसास हो जाता है । भगवान की चौखट पर शीश झुकाना ब्यक्ति अपनी शान समझता है
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह शनिवार के दिन दुनिया के “शंहशाह” भगवान बदरी विशाल की चौखट पर मथ्था टेकने आये । तो मंदिर के सिंहद्वार की विराटता को देखकर ही अभिभूत हो गये । कभी हाथ जोड कर उस परम पिता परमेश्वर, दुनिया के पालक, जिसका कायनात जर्रे जर्रे से लेकर जड चेतन, हर प्राणी, में है को महसूसते नजर आये तो कभी दोनों हाथ उठाकर भगवान बदरी विशाल के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते दिखे ।
भगवान बदरी विशाल के मंदिर का सिंहद्वार है ही इतना भब्य और आकर्षक कि भक्त ही नहींं खुद को बडे से बडा तार्किक भी अवाक रह जाता है ऊंचे हिमालय मे शिल्प भब्यता व वास्तु के इस अदभुत रूप को देखकर ।
अमित शाह जब भगवान बदरी विशाल के मन्दिर के अन्दर पूजा में बैठे तो शान्ति, गाम्भीर्यता, और ईश्वर के प्रति कृत्यज्ञता का भाव दिखा । मैने उन्हें इतना शान्त चित कभी नहीं देखा । वेदोच्चार हो रहा था वेद पाठी मधुर कंठ से स्वस्ति वाचन से लेकर प्रभु के विग्रह का परिचय करा रहे थे तो वे स्धिरमना होकर कभी प्रभु को बार बार झुकते हुये नमस्कार करते । तो कभी निरन्तर बहती नदी के जल का अचानक बीच में ही “स्थिर” होते जल की तरह दिखे
उस समय मंदिर के अन्दर भक्तों की भीड के बाबजूद भी इतना निशब्द वातावरण हो गया था “सामने स्वर्ण छत के नीचे योगमुद्रा में पदमासन में बैठे हीरे जडित मुकुट और श्रृगांर में सुशोभित दुनिया के सबसे ताकत वर, सर्व ब्यापक और बेहद करुणा मय भगवान के सुन्दर विग्रह के अतिरिक्त कुछ नजर ही नही आ रहा था ।
धर्माधिकारी जी ने पूजा मे बैठे अमित शाह को तुलसी के पत्ते देकर गोत्र, राशि पूछ कर संकल्प कराया तो सनातन धर्म के अनुयायी के रूप में शाह ने अपनी मेष का उच्चारण कर, अपने गोत्र का भी उद्बोधन कर राष्ट्र के सर्वांगीण प्रगति, वैभव, व समृद्धि का संकल्प लेकर जल, तुलसी के भगवान का अर्चन किया लगभग आधे घंटे तक चली पूजा अर्चन, वंदन के दौरान उनके चेहरे की गाम्भीर्यता अलग ही थी । मैं मंदिर के अंदर ही चुपचाप इस क्षण को साक्षी भाव से देख रहा था ।
मुझे महसूस हुआ कि सचमुच आम इंसान हो या खास, राजा हो या रंक, बादशाह हो या शाह सब दुनिया के “शंहशाह ” के हुजूर में उसके प्रभा मंडल के आगे सचमुच कितना सूक्ष्म बन जाता है शायद यही सूक्ष्मता हो जाना ईश्वर को जानने की पहली कडी हो ।
*क्रांति भट्ट , वरिष्ठ पत्रकार । गोपेश्वर चमोली ।