Bhakti me Shakti : Chhath pooja celebration with such enthusiasm in freezing temperature in Joshimath Uttrakhand : बर्फीली हवा के बीच छट पूजा की धूम….!
* बर्फीली हवा के बीच छट पूजा की धूम ।
* जोशीमठ के गांधी मैदान में उतरी गंगा ।
Joshimath, Chamoli Yi Media Report,
जोशीमठ मे छट पूजा की धूम, गांधी मैदान में विशाल जल कुंड बनाकर उसमें लगाई गई भक्तों ने आस्था की डुबकी ।
समुद्र तल से लगभग 6500 फीट की ऊंचाई पर चारों ओर से गगनचुम्बी उतुंग शिखरों के बीच में स्थित है उत्तराखंड के सीमान्त जनपद चमोली का अंतिम नगर जोशीमठ । जहां गर्मियों में भी मौसम सर्दी का ही रहता है । और जब मौसम ही सर्दियों वाला हो तो फिर कहना ही क्या । अक्टूबर से मार्च तक जोशीमठ और उसके आसपास हाड़ मांस कंपा देने वाली जबरदस्त ठण्ड का प्रकोप रहता है । ऐसे में हर कोई ठण्ड से बचने के अनेकों ऊपाय भी तलाशते और जुटाते हैं । परन्तु जब आस्था का पर्व छट पूजा का मौक़ा आया तो आस्थावान लोगों पर इस जबरदस्त ठण्ड का कोई असर नहीं दिखा ।
दरअसल बिहार सहित पूरे हिन्दुस्तान में आजकल छट पूजा की धूम है । बिहार मूल के लोगों के लिए यह महज एक पर्व मात्र नहीं है. अपितु महापर्व है । छटपर्व की शुरुआत नहाए-खाए से होती है तदुपरांत डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होती है ।
छट पर्व वर्ष में पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में मनाया जाता है । चैत्र शुक्ल पक्ष में मनाए जाने वाले छठ पर्व को ‘चैती छठ’ और कार्तिक में मनाए जाने वाले पर्व को ‘कार्तिकी छठ’ कहा जाता है और यह पर्व दोनों ही मासों के शुक्ल पक्ष के षष्ठी में मनाया जाता है । छट पर्व पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए मनाया जाता है जिसमे महिलाओं के अलावा पुरुष भी शामिल होते हैं ।
सीमान्त क्षेत्र जोशीमठ में छट पूजा की धूम :
आस्था के इस महापर्व की जोरदार रौनक उत्तराखंड के सीमान्त जनपद जोशीमठ में भी छाई है । जबरदस्त ठण्ड और बर्फीली हवाओं के बीच शाम से ही बिहार मूल के लोग छटी माई की पूजा सामग्री अपने-अपने सिरों पर रखकर गांधी मैदान में जुटने लगे थे जहां पर इन लोगों ने पहले से ही एक विशाल जलकुण्ड को अस्थाई तौर पर तैयार किया था जिसमे अलकनंदा और धौली गंगा के संगम विष्णुप्रयाग से भी पवित्र जल मिश्रित किया गया था ।
शाम होते-होते कुण्ड के आसपास आस्थावान बिहारी लोगों की भारी भीड़ जुटने लगी और विधि विधान से पूजा अर्चना भी आरम्भ हुई फिर एक-एक कर महिलाएं और पुरुष गांधी मैदान में स्थित विशाल जल कुण्ड में प्रवेश कर डुबकी लगाने के बाद सूर्यनारायण की आराधना में घंटो तक के लिए बर्फ के समान बेहद ठण्डे पानी में ही खड़े हो गए ।
जिन्हें देख आसपास के सभी लोग अचंभित हो रहे थे कि जहाँ हम लोग कई तरह के गर्म कपड़े इनर , स्वेटर , जैकेट टोपी दस्ताने पहनने के बाद भी जबर्दस्त ठण्ड से काँप रहे थे वहीं इसके उलट ये लोग मामूली कपड़ो को शरीर पर लपेट कर इस बर्फीली हवा के बीच आखिर कैंसे जलकुण्ड में डुबकी लगाकर घंटो से एक ही जगह पर पानी में खड़े हैं यह देख सभी चकित हो रहे थे, लेकिन कड़ाके मौसम पर आस्था पूरी तरह से भारी पड़ रही थी ।
इसी बीच पास में ही खड़े आयोजनकर्ता नंदलाल शाह से मेरी बात हुई तो उन्होंने बताया कि यह भक्ति की शक्ति है । इससे हमे यह भी सीख मिलती है कि यदि आपकी हमारी ईश्वर में सच्ची आस्था है तो तब, हम आप कहीं भी किसी भी विकट परीस्थिति का डटकर मुकाबला कर सकतें हैं ।
बिहारियों की इस महान आस्था व जज्बे को मेरे सहित आसपास खड़े स्थानीय निवासी आदर सम्मान सहित सलाम व छटी मइय्या को कोटि – कोटि प्रणाम कर रहे थे ।
© शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ ,
Copyright: Youth icon Yi National Media, 27.10.2017
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