Birthday Politics : सादगी के बजाय आग बुझाने मे जुटते तो और अच्छा संदेश जनता तक जाता ….!
यह जानकर अच्छा लगा कि बीजेपी अध्यक्ष अजय भट्ट ने अपना जन्मदिन वनाग्नि के कारण धूमधाम से नहीं मनाया । यह उनका प्रेरक कदम है । राजनेता तभी समाज में हीरो बन पायेंगे जब वह लीक से हटकर कुछ नया करेंगे । समाज की संवेदनशीलता उनके व्यवहार में होनी चाहिए तभी वह जनता के असली प्रतिनिधि भी माने जाएंगे । अजय भट्ट नेता प्रतिपक्ष के रूप में, अध्यक्ष के रूप में कितने सफल हैं यह महत्वपूर्ण नही, और न मै उनकी निजी प्रशंशा कर रहा हूँ ।
जहाँ नेता समाज की प्रेरणा होते थे उसी समाज में समय के साथ घपले
घोटालों के कारण वे अ-सम्मान की दृष्टि से भी देखे जाने लगे हैं । सचमुच अगर नेता बिरादरी को खोया सम्मान पाना है तो उन्हें पारदर्शी, संवेदनशील, दायित्वशील होना होगा । लेकिन पारदर्शी, संवेदनशील, दायित्वशील सिर्फ मीडिया की सुर्खियों मे बने रहने व सुर्खियों के बूते जनता के दिलों पर इमोशनल अत्याचार करने के बजाय नेता जनों को धरातल पर कुछ कर दिखाने की जरूरत है ।
अच्छा होता कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट अपने जन्मदिन के मौके पर पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करते व उन्हे जंगलो मे आग बुझाने के लिए प्रेरित भी करते और स्वयं भी किसी क्षेत्र मे आग बुझाते हुए दिखाई देते । भट्ट साहब ने अपना जन्मदिन सादगी से इसलिए मनाया क्योंकि चंद रोज पहले उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेश के नेता और निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकर्ताओं ने उनका जन्मदिन पूरे जोश के साथ मनाया था, ऐसा मै नहीं बल्कि पब्लिक कह रही है । और पब्लिक की बात में भी दम है कि भट्ट साहब उत्तराखंड के जंगलों मे आग कोई आपके जन्मदिन के एक या दो दिन पहले नहीं लगी थी बल्कि पिछले 25 दिनों से लगी है तो आपने इतने दिनों तक क्यों नहीं अपने कार्यकर्ताओं से कोई ऐसी अपील की कि आवो चलो जंगलों की आग बुझाएँ ।
अजय भट्ट ने जन्मदिन नहीं मनाया ऐसा मीडिया के तमाम माध्यमों से बताया गया । लेकिन उन्होने फेसबुक पर जो अपने संदेश के साथ तमाम फोटो अपडेट किए हैं जन्मदिन के उनमे तो कहीं भी सादगी नजर नहीं आ रही है । अब वह भीड़ कम रखते हैं या ज्यादा यह उनका बेहद निजी विचार है ।
परन्तु भट्ट साहब के संदेश से इतर फेसबुक पर अपडेट हुई उनकी यह फोटो उन्हें जनभावनाओं से जोड़ने में तो असफल हो गए हैं ।
वैसे अभी भी जंगलों की आग बुझी नहीं है । भाजपा , कांग्रेश, यूकेडी सहित तमाम अन्य दलीय, निर्दलीय नेता जनों आपको
अगर राजनीति से थोड़ा फुरशत मिल जाये तो अपने कार्यकर्ताओं के साथ जंगलों का रुख कर लें । हमें यकीन है कि आप लोग एनडीआरएफ़ से पहले ही आग पर काबू भी पा लेंगे ।
गनीमत है कि इस वक़्त सरकार भी चित है । नहीं तो कई नेता, माननीय मंत्री इस वक़्त सेना के जहाजों पर सवार होकर आग बुझाने की नौटंकी करते देखे जा सकते थे । जैसा कि केदारनाथ आपदा मे हम सब देख ही चुके हैं ।
Youth icon Yi National Creative Media Report 03.05.2016
नेता जी हरीद्वार पानी मे पानी चढ़ाने गए इससे अच्छा तो दूधली के जंगलो मे ही चले जाते और कुछ लोटे पानी वहाँ जल रहे जंगलो मे डाल आते । पर क्या करें कदम कदम पर हमारे नेताओं को राजनीति और जन भावनाओं से खेलने का मौका चाहिए ।