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बच्चों की परीक्षा बनाम सरकारी लापरवाही: कब सुधरेगा तंत्र?

* शशि भूषण मैठाणी "पारस" Those Who Are Truly Journalists Must "Hold Their Pen Firmly." Shashi Bhushan Maithani "Paras"
Shashi Bhushan Maithani “Paras “

विधानसभा सत्र चलाना जरूरी है, लेकिन क्या इसके लिए पूरे शहर को ठप कर देना भी अनिवार्य है? सवाल यह उठता है कि जिम्मेदार IAS और IPS अधिकारी आखिर इतने गैर-जिम्मेदार कैसे हो सकते हैं? क्या इन ‘बुद्धि बैंक’ कहे जाने वाले अधिकारियों को यह भी अंदाजा नहीं कि देश में इस समय बच्चों की बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं? परीक्षा के दिनों में अभिभावकों और बच्चों के लिए समय पर परीक्षा केंद्र पहुंचना और वहां से सुरक्षित घर वापस आना बेहद जरूरी होता है। लेकिन सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण यह बुनियादी जरूरत भी अब एक संघर्ष बन गई है।

जब देश के प्रधानमंत्री खुद बच्चों को तनावमुक्त परीक्षा देने का संदेश देते हैं, तो फिर राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन बच्चों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए इतनी लापरवाह क्यों हैं?

20 फरवरी का दिन हमारे लिए किसी दु:स्वप्न से कम नहीं था। मेरी बेटी का परीक्षा केंद्र नेहरू कॉलोनी स्थित मानव भारती स्कूल में था। उसे एहतियातन एक घंटा पहले परीक्षा केंद्र छोड़ना पड़ा। लेकिन असली मुसीबत तब आई जब मेरी छोटी बेटी को उसकी बड़ी बहन परीक्षा केंद्र से लेने गई। पुलिस प्रशासन ने नेहरू कॉलोनी फव्वारा चौक से रास्ता पूरी तरह बंद कर दिया। सवाल यह है कि जब कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी, तो आखिर ये अचानक रास्ता बंद करने का फैसला किस तर्क पर लिया गया?

◾ अफरा-तफरी में फंसे छात्र और अभिभावक :

इस बदइंतजामी के कारण पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। मेरी बेटी जो डेढ़ बजे दोपहर परीक्षा देकर आई, उसके पास फोन नहीं था, जिससे दूसरी बेटी उससे संपर्क नहीं कर पाई। मैं खुद 250 किलोमीटर दूर चमोली खलताल में था। अचानक मुझे एक अनजान नंबर से मेरी छोटी बेटी का फोन आया—”पापा, मेरा पेपर खत्म हुए एक घंटा होने को आ गया, लेकिन मम्मी और दीदी मुझे लेने क्यों नहीं आ रहे?”

यह सुनकर मेरी हालत खराब हो गई। सोचिए, एक बच्ची परीक्षा केंद्र के बाहर अकेली खड़ी हो और उसकी सुरक्षा को लेकर कोई आश्वासन न हो! जब बड़ी बेटी को फोन किया, तो उसने बताया कि रास्ते बंद हैं और वह अंदर नहीं आ सकती। अब आप खुद सोचिए, ऐसी परिस्थिति में कोई क्या करे? प्रशासन की इस मनमानी के कारण एक अभिभावक के रूप में मेरी चिंता कई गुना बढ़ गई।

मैंने छोटी बेटी को किसी तरह पैदल समर वैली स्कूल तक आने के लिए कहा, लेकिन यह आसान नहीं था। आखिरकार, बड़ी बेटी किसी तरह गलियों के रास्ते मानव भारती स्कूल पहुंची और फिर समर वैली स्कूल जाने की कोशिश करने लगी। लेकिन वहां भी हालात अलग नहीं थे—अब तक पूरा क्षेत्र जाम में फंसा था। किसी तरह पौने 4 बजे वह समर वैली स्कूल के गेट पर पहुंची, लेकिन तब तक छोटी बेटी पैदल चलकर घर पहुंच चुकी थी।

◾क्या यही है जिम्मेदार शासन प्रशासन?

अब सवाल उठता है कि क्या यह लापरवाही माफ की जा सकती है? क्या सरकारी तंत्र यह जिम्मेदारी लेता कि अगर मेरी बेटी के साथ कोई अनहोनी हो जाती? लेकिन सच तो यही है कि सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकता अब जनता की समस्याएं नहीं, बल्कि अपनी सत्ता की सुरक्षा बन गई है।

नेता, अधिकारी हों या उनके बीबी बच्चे अपने विशेष काफिलों में सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग कर बेफिक्र घूम सकते हैं, लेकिन आम जनता घंटों सड़क पर फंसी रहती है। जब देश के प्रधानमंत्री खुद बच्चों को तनावमुक्त परीक्षा देने का संदेश देते हैं, तो फिर राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन बच्चों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए इतनी लापरवाह क्यों हैं?

◾सवाल जो सिस्टम से पूछे जाने चाहिए:

1. बोर्ड परीक्षा के दौरान शहर को जाम करने की अनुमति किसने दी?

2. क्या प्रशासन ने पहले से वैकल्पिक यातायात व्यवस्था सुनिश्चित की थी?

3. अगर किसी अभिभावक या छात्र के साथ कोई अप्रिय घटना हो जाती, तो कौन जिम्मेदार होता?

4. क्या आम जनता की जरूरतों को ताक पर रखकर सिर्फ सत्ता का प्रदर्शन ही प्रशासन का एकमात्र उद्देश्य रह गया है?

बहरहाल! यह समस्या सिर्फ मेरी या मेरे बच्चों की नहीं है, बल्कि हर उस अभिभावक और छात्र की है जो ऐसी लापरवाह व्यवस्था के कारण परेशानी झेल रहे हैं। अगर इस तरह की लापरवाही जारी रही, तो क्या हम अपने बच्चों को सुरक्षित माहौल में शिक्षा दे पाएंगे?

विधानसभा अध्यक्ष, सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे जनता की बुनियादी जरूरतों को प्राथमिकता दें केवल बैठककर अधिकारियों को निर्देश देने मात्र से व्यवस्था में सुधार नहीं हों सकता है। खासकर परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण मौकों पर यातायात और सुरक्षा प्रबंधन को गंभीरता से लें। अन्यथा, ऐसी अव्यवस्थाएं न सिर्फ छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करेंगी, बल्कि पूरे सिस्टम पर जनता का विश्वास भी खत्म कर देंगी।

® शशि भूषण मैठाणी “पारस”

7060214681

Shashi Bhushan Maithani Paras

 

By master

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