Bura hai Hal : प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का हो गया बंटाधार …!
हल्दी(पन्तनगर) 24 सितम्बर 2016 ,
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का बंटाधार हो गया है। सरकारी 108 एंबुलेंस सेवा न मिलने की वजह से सुविधा के आभाव में मरने वालों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। जो एंबुलेंस मिल भी रही है वह रोगी को अस्पताल पहुंचाने के बदले मौत के दरवाजे तक छोड़ कर आ रही है। जो जीवन रक्षक है वही भक्षक बन जा रही है तो इससे ज्यादा शर्मनाक बात किसी सरकार के लिये हो ही नहीं सकती। सरकार यदि 108 एंबुलेंस के लिए पेट्रोल-डीजल उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं है तो हाथ
खड़े कर देने चाहिए और जनता से साफ शब्दों में कह देना चाहिए कि सरकार 108 एंबुलेंस के लिये पेट्रोल-डीजल उपलब्ध कराने में अक्षम है। यह कहना है युवाशक्ति के अध्यक्ष एवं भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी पवन दूबे का । दुबे ने कहा कि जनता सरकार के भरोेसे ना रहे और अपनी व्यवस्था स्वयं कर ले, जैसा कि मुख्यमंत्री हरीश रावत जी ने बस्तडी में आई आपदा के समय पर जनता को उसके हाल पर छोड़ कर अपनी व्यवस्था स्वयं कर लेने के लिये कह कर मात्र अपनी संवेदनहीनता का परिचय दिया था।
एक ओर तो रोज नए दायित्वधारी घोषित हो रहे हैं और उन पर, उनकी गाड़ीयों, आॅफिसों पर, पेट्रोल-डिजल, आवास आदि के नाम पर लाखों रूपया प्रतिमाह सरकार खर्च कर रही है वहीं दूसरी ओर रोगियों और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाने के लिये सरकार के पास 108 एंबुलेंस के लिये पेट्रोल-डिजल के लिये पैसा ना होने का रोना रो रही है।
डेंगू के मामले में भी सरकार विफल साबित हुई है। सभी लोंगों को इलाज और सही इलाज देना तो बहुत दूर की बात है, वह मरीजों के सही आंकड़े तक नहीं दे पा रही है। क्या केवल सरकारी अस्पताल में पहुंचने वाले डेंगू के मरीज ही डेंगू से पीड़ित हैं? जो लोग सरकार की अक्षमताओं को जानकर अपने साधनों से निजी अस्पतालों में और निजी प्रयोगशालाओं में अपना इलाज और जांच करा रहे हैं क्या उनका रोग डेंगू नहीं है?
एक तरफ तो सरकार पर्याप्त व्यवस्थाएं होने का दावा करती है, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एफ.एम. रेडियो पर विज्ञापन में खुशखबरी देते हैं कि आपके घरों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंच रही हैं, वहीं दूसरी ओर लोग अपने स्वयं का धन खर्च करके भी खून और प्लेटिलेट्स के लिए मारे-मारे घूम रहे हैं। इस पर सरकार का न तो कोई ध्यान है न बयान है और ना ही काई इंतजाम है।
अभी जल्द की ही घटना है जिस प्रकार रूद्रपुर में 108 एंबुलेंस में पेट्रोल-डीजल न होने की वजह से सुखदेव नामक व्यक्ति की जान गई, वह मात्र पैर कर टूटी हड्डी का इलाज कराने के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर, वह प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर सीधे गंभीर सवाल खड़े करती है और यह कोई पहली घटना नहीं है इससे पहले भी कई लोगों की जान आॅक्सीजन न होने, 108 एंबुलेंस के समय पर न पहुंचने, डाॅक्टर व विभाग की लापरवाही से जा चुकी हैं। किन्तु सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है और लगातार इन घटनाओं की अनदेखी प्रदेश सरकार व उसके स्वास्थ्य मंत्री की ओर से की जा रही है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री को एक मिनट भी सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार शेष नहीं है। थोड़ी भी नैतिकता शेष हो तो उन्हें तुरन्त त्यागपत्र दे देना चाहिए न की लोगों की जिन्दगी से खिलवाड़ करना चाहिए।
*राकेश बिज्ल्वाण
Copyright: Youth icon Yi National Media, 24.09.2016
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राकेश बिज्ल्वाण भाई साहब जी आपका कथन बिल्कुल सत्य है हमारे उत्तराखंड राज्य मे ही नहीं बल्कि पूरे देश मे इस समय स्वास्थ्य सेवाओं का बहुत बुरा हाल हो चुका है,सरकार हर समय पैसों का रोना रोती रहती है जबकि नेताओं व उच्च अधिकारीयों के घूमने फिरने व सुरक्षा के नाम पर हद से ज्यादा खर्चा कर दिया जाता है ,तब न जाने खर्चे हेतु कहा से पैसा आ जाता है, सच तो यह है कि आज के समय मे कोई सी भी पार्टी सत्ता मे आ जाए, जनता की परवाह किसी भी नेता या मंत्नि को है ही नहीं।