Chanakya Nagri : यहां चाणक्य चाय की दुकानों से लेकर दफ्तरों तक मिल जाते हैं ।
*चाणक्यों की कई प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है अपना श्रीनगर ।
*शिक्षक संगठन में तो चाणक्य ‘धड़ी’ के हिसाब से मिलते हैं।
*चाय की दुकानों से लेकर दफ्तरों तक आपको कई प्रकार के चाणक्य दिखेंगे।
*आंदोलन, धरना-प्रदर्शन भी इनकी दैनिक खुराक का हिस्सा है।
यूं तो श्रीनगर शहर की कई विशेषताएं हैं। लेकिन हालिया दौर में इसे जो खास पहचान मिली है वो एक खास प्रजाति चाणक्य के कारण है। यह प्रजाति किसी की भी ‘मवासी’ घाम लगाने या बनाने तत्परता के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
इस रंगीले शहर में अगर एक पत्थर तबीयत से उछाला जाए तो जिस तीसरे आदमी को वह लगेगा वह खुद एक चाणक्य होगा। चाय की दुकानों से लेकर दफ्तरों तक आपको कई प्रकार के चाणक्य दिखेंगे। कई चाणक्यों का मूल यहीं है, तो अन्य कई बाहर से आकर यहीं के होकर रह गए। इससे साबित होता है कि श्रीनगर की भूमि चाणक्यों के फलने-फूलने के लिए उपयुक्त स्थान है।
चाणक्य प्रजाति के सबसे ज्यादा जीव गढ़वाल विश्वविद्यालय में पाए जाते हैं। अकेले विश्वविद्याल में ही चाणक्यों की कई उप प्रजातियां हैं। कोई यहां कर्मचारी राजनीति का चाणक्य है तो कोई छात्र राजनीति का। शिक्षक संगठन में तो चाणक्य ‘धड़ी’ के हिसाब से मिलते हैं। अपेक्षाकृत नई उप प्रजाति छात्र नेता का शेष दो चाणक्य प्रजातियां पूरे मनोयोग से मार्गदर्शन करते हैं। जैसे ‘‘कब, क्यों, कैसे और किसके खिलाफ क्या करना है’’, ये सभी छोटी मगर जरूरी बातें नई प्रजाति को सिखाई जाती हैं।
आम तौर से तीनों प्रजातियों के बीच मतैक्य नहीं पाया जाता। मगर अंदरखाने तीनों के बीच अच्छे संबंधों के सबूत भी मिलते रहते हैं। तीनों प्रजातियां अक्सर चाय की दुकानों पर पाई जाती हैं। इस विशेष स्थान पर दूसरों के पोशीदा राज बेपर्दा होते हैं। यहीं पर लोगों को अर्श से फर्श पर पटकने की रणनीति भी तैयार की जाती है।शोधों के बाद पता चला है कि तीनों उप प्रजातियों का प्रिय भोजन वीसी व उनके ओएसडी होते हैं। हालांकि इनमें से कई वीसी के जासूस भी होते हैं। इसके अलावा आंदोलन, धरना-प्रदर्शन भी इनकी दैनिक खुराक का हिस्सा है।
नगर पालिका में भी चाणक्यों की भरमार है। यहां हर सभासद अलग प्रजाति का है। मगर सबसे खौफनाक प्रजाति के चाणक्य शहर में छुट्टा घूमना पसंद करते हैं। उन्हें किसी भी सीमा में बांधा जाना पसंद नहीं है। ऐसे चाणक्यांे को आंदोलनों को चलाने, उठाने व समाप्त करने में महारत होती है। व्यापारियों में भी बहुत से चाणक्य हैं जो व्यापार सभा को भेळ ढोळने के लिए प्रयत्नशील हैं। व्यापारियों को दो धड़ो में बांटने का श्रेय भी इन्हे ही है। अतः सर्व शक्तिमान सर्वव्यापी चाणक्यों व इस नगरी को हमारा नमन ।
*प्रस्तुति : पंकज मैंदोली ,
Copyright: Youth icon Yi National Media, 20.08.2016
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श्रीमान पंकज मै आपकी बात से सहमत हरगिज नहीं हूँ अगर आजके परिवेश में मात्र एक चाणक्य मिल जाये तो आप समझिए ये देश फिर से चंद्रगुप्त और अशोक के देश जैसा होजायेगा पर् आह विडम्बना की आपने भी चाणक्य को इतना सस्ता बनादिया की प्रजातियां निकाल दी नहीं भाई साहब
चाणक्य तो कभी युगों युगो बात आते है और बिना किसी पूर्वाग्रह के अपना काम पर करके चुपचाप चले जाते है और फिर हम जैसे उनका इतिहास बनाते और पढ़ते है
उस समय के अमात्य भी चाणक्य को नहीं समझ पायेतो हम आप क्या है
पंकज मैंदोली जी आपका कथन बिल्कुल सत्य है कुछ लोग चाणक्य बनकर राज करना चाहते हैं
निशा जी से सहमत
चाणक्य होना और चाणक्य होने का स्वांग करना दो अलग अलग बिंदु हैं। वैसे पंकज जी सुंदर शब्द चित्रण किया छद्म चाणक्य बिरादरी का।
It is quiet insult of Acharya chanakya to compare him with terrorists and anti social elements. Acharya Chanakya was a patriat.