घोषणा होने वाली है . राजधानी को लेकर त्रिवेन्द्र सरकार लेने जा रही है ऐतिहासिक फैसला, गैरसैण ही होगी उत्तराखंड की स्थाई राजधानी ! सभी सरकारी कार्यालय गैरसैण होंगे शिफ्ट !
उत्तराखंड का मतलब गैरसैण . पहाड़वासियों के लिए गैरसैण उनकी अस्मिता से जुड़ा सवाल बन गया है .
जी हाँ गैरसैण ही होगी उत्तराखंड राज्य की स्थाई राजधानी ! राजधानी को लेकर अब वर्तमान सरकार लेने जा रही ऐतिहासिक फैसला . यह तय कर लिया गया है कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में ही होगी, क्योंकि यह मामला जन-भावनाओं से जुड़ा हुआ है और सरकार की प्रतिबद्धता रही है कि वह जन-भावनाओं का पहले ख़याल रखेगी . सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि यह घोषणा राज्य से नहीं बल्कि केंद्र से की जाएगी . लेकिन उससे पहले राज्य सरकार को केंद्र से मिले निर्देशों के बाद धीरे-धीरे सचिवालय व विधानसभा के अति महत्वपूर्ण अनुभागों को गैरसैण में शिफ्ट करने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है . साथ ही सरकार इस बात को लेकर भी सतर्क है कि दलाल व भू-माफिया सरकार की घोषणा होने से पहले ही गैरसैण व आस-पास के ईलाकों में ग्रामीणों की जमीनों को औने-पौने दामों पर कब्जा देहरादून की तरह ही न जमा ले, उसके लिए विजलेंस की टीम को भी अभी से चौकस कर दिया गया है . हालांकि सभी निर्देश बेहद गोपनीय रूप से दिए जा रहें . पूर्ववर्ती बहुगुणा सरकार ने भी गैरसैण व आस-पास के ईलाके में जमीन खरीदने व बेचने को लेकर ख़ास कानून भी तभी बना लिया था . जिसकी वजह से भू-माफियों व दलालों की पेशानी पर भी बल पड़ा हुआ है .
बहरहाल अब पहाड़ की राजधानी पहाड़ में ही होगी इसे लेकर निश्चित ही पहाड़ी जनमानस के चेहरों पर रौनक लौट आएगी . यकीन मानिए अब डबल इंजन शुरू हो गया है जिससे पूरे क्षेत्र में अब उत्तराखंडी वातावरण दिखाई दे रहा है . जिसके लिए लोगों ने लम्बे समय तक अलग पर्वतीय राज्य व उसकी पर्वतीय राजधानी के लिए संघर्ष किया था, अब वो संतोष आम जनता की आँखों में दिखने लगेगा . जल्दी ही सरकार के द्वारा की जाने वाली ऐतिहासिक घोषणा के वक्त स्वर्ग में बैठे हमारे शहीदों की आत्मा यह देख प्रसन्न होगी . इस नए निर्णय लेने वालों व सरकार के मुखिया को शहीदों की आत्मा अवश्य आशीर्वाद भी देगी .
यहां बताते चलें कि गैरसैण सिर्फ एक राजधानी मात्र नहीं रहेगी बल्कि यह पूरा ईलाका देशी विदेशी शैलानियों की पसंदीदा जगहों में से एक हो उसकी दिशा में भी विशेष कार्य किया जा रहा है . योजना है कि रानीखेत से गैरसैण, बेनिताल, ग्वालदम व कर्णप्रयाग तक के क्षेत्र को आसमान से दर्शनीय बनाया जाएगा . इस योजना के मूर्तरूप ले लेने के बाद पर्यटकों को आकाश में घूमते हैलिकाफ्टर से बाहर झांकने पर पूरा ईलाका सुन्दर व मनोहारी दिखने लगेगा, यह दृश्य स्विटजरलैंड की खूबसूरती को भी कोसों पीछे पछाड़ देगी . खूबसूरत पहाड़ी पर बसी उत्तराखंड की राजधानी का मनोहारी दृश्य शिमला और स्विटजरलैंड को भी ध्यान में रखकर अत्यधिक आकर्षक बनाई जाएगी और यह पहाड़ी शहर दुनिया के सबसे अधिक हाईटेक राजधानियों के टक्कर की बनेगी .
साकार होने लगे हैं शहीदों के सपने गैरसैण में :
बताया गया कि देहरादून से गैरसैण में चरणबद्ध तरीके से स्थानान्तरित होने वाले सभी सरकारी दफ्तरों में जनपद चमोली, अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग, पौड़ी व नैनीताल के ज्यदाद्तर कर्मचारियों को वरीयता के तौर पर तैनाती मिलेगी . सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गैरसैण से लेकर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों तक में कई सरकारी कर्मचारी अभी से अपने रहने के लिए किराए के मकान ढूढने लगे हैं . भले ही गैरसैण में अभी सरकारी गैरसरकारी स्कूलों की सीमित संख्या ही है फिर भी कुछ कर्मचारी स्थानीय पब्लिक स्कूलों में अपने बच्चों के एडमिशन की बात भी करने लगे हैं . इतना ही नहीं विधानसभा और सचिवालय में खुलने वाली कैंटीन को लेकर मारामारी है .
पूरी सरकार गैरसैण कि ओर भाग रही है, हर तरफ सरकार के अभिनन्दन की तैयारियों का भी खाका पार्टी अपने स्तर से तैयार करने में जुटी है . मैंने भी अपने स्तर से फोन के मार्फ़त भाजपा और कांग्रेस दोंनो ही दलों के नेताओं से बारी बारी बात की इस बातचीत में सत्तारूढ़ दल यानी भाजपा अपनी पीठ थपथपा रही है . वहीं कांग्रेस हरीश रावत , गोविन्द सिंह कुंजवाल का भी अभिनन्दन कर रही है कि उन्होंने ही शुरुआत में गैरसैण मसले पर बढ़त ली थी तो दूसरी ओर अब इंदिरा हृदयेश कह रही हैं कि सदन में मैंने ही गैरसैण का पक्ष जोरशोर से उठाया .स्थानी पूर्व विधायक डॉ. ए. पी. मैखुरी कह रहे हैं कि मैंने गैरसैण सत्र के दौरान बेंच पर खड़े हो होकर गैरसैण गैरसैण चिल्लाया हूँ तो वहीँ स्थानीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी के नेता कह रह है कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी ने पहली बार गवर्नर को बुलाकर पूर्ण सत्र गैरसैण में कराया है जो कि स्थाई राजधानी का ही स्पष्ट संकेत था और अब हमारी पार्टी की सरकार ही पहाड़ी राज्य के बाद पहाड़ी राजधानी भी देने का ऐतिहासिक कार्य करने जा रही है . भाजपा कार्यकर्ताओं की बांछें खिलना भी स्वाभाविक ही है क्योंकि इसके पहले भाजपा के नेता अटल जी के प्रधानमंत्री रहते हुए ही पृथक उत्तराखंड राज्य भी प्राप्त हुआ था . गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाए जाने के फैसले को लेकर अब मैंने जैसे खण्ड-खण्ड हुए उत्तराखंड क्रांतिदल के नेताओं से सम्पर्क साधा तो पहले उनका नम्बर नॉट रीचेबल हुआ बड़ी मुश्किल से काशी सिंह एरी जी का नम्बर लगा वह इसे अपने संघर्षों की जीत बता रहे थे …… तभी अचानक से जोर की कम्पन हुई ऐसा लगा मानों आज प्रलय आ गया मेरे हाथ से फोन गायब हो गया आँखे फटी की फटी रह गई सामने दोनों बेटियां मायूस होकर खड़ी थी तो पत्नी मेरा बिस्तर खींच रही थी और जोर- जोर से गुस्से में कह रही थी कि कल तो बहुत वादे कर रहे थे कि मै तुम तीनों को पिकनिक पर ले जाऊँगा, मूवी दिखाऊंगा ….!
क्या हुआ आपके उस वादे का …?
टाईम देख रहे हो, क्या हो रहा है… ये लो तुम्हारी काली चाय …..
आगे बडबडाते हुए बोली .. साढ़े दस बज रहा है, और अभी तक सोए हैं बच्चे सुबह से तैयार बैठे हैं . कभी इन बच्चों की ख़ुशी का तो ख़याल रखो . रात को बच्चों से वादे करते हो और सुबह सो जाते हो . फिर पत्नी ने दोनों बेटियों का हाथ पकड़ा और बोली चलो बच्चो मौसी के घर चलते तुम्हारे पापा के वादे कभी पूरी होंगे नहीं इन्हें तो आदत हो गई हमारे सपनों को ऐसे ही तोड़ने की . बेटी बोली मम्मी कम से कम आज अप्रेल फूल के दिन तो हमें पापा पर विश्वास नहीं करना चाहिए था . बेटा ये तो सालों से हमारा अप्रेल फूल बना रहें हैं क्या विश्वास करना इन पर … मुझे तो अपना फर्ज पूरा करना ही है .. सुनो ! खाना खा लेना बनाकर रखा हुआ . कपड़े धोकर प्रेस किए हुए है जूते अलमारी के नीचे रैक में है और गाडी की चाबी बाहर डाईनिंग टेबिल पर है …… हम जा रहे हैं !
बच्चे गेट से बाहर गए फिर मैं सोचता रहा कि पत्नी भी बिल्कुल जनता की तरह होती है जो पति और बच्चों का पूरा ख़याल रखती है, पति के लिए ऊर्जा का श्रोत होती है .और पति एक सरकार में बैठे नेता की तरह, जो चुनाव से पहले वादा करता है और सत्ता पाते ही सो जाता है . बिल्कुल ऐसे ही बारी-बारी उत्तराखंड में भाजपा-कांग्रेस और यू.के.डी. के नेता उत्तराखंड की जनता के बीते साथ 18 वर्षों से करते हुए आ रहे हैं … माफ़ कीजिये मैंने आपको आज अप्रैल फूल बनाया ! लेकिन नेता तो हर रोज बना रहे हैं ….. यह सोचकर मुझे माफ़ कर दें .
बहुत बढ़िया व्यंग कलात्मक और विचारणीय जय हो
Jor ka jhatka dheere se laga.
Jor ka jhatka dheere se laga
Achchha laga tairta hua sapna
अगर ऐसा होता है तो श्री त्रिवेन्द्र रावत ने अगले और 5 वर्षो बीमा करवा दिया । ऐतिहासिक फैसला और पहाड का भाग्य ।
Good news