Do took ‘Raj Rag’ : ‘राज-राग’ – हरीश रावत को कांग्रेस नेता बिष्ट की दो टूक, मैंने अपना युवाकाल आपको किया था समर्पित, अब आपकी है बारी । बिष्ट ने दिखाए तीखे तेवर …!
उत्तराखंड एक बार फिर से विधानसभा चुनाव की दहलीज पर है । हाल्ङ्कि अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि उत्तराखंड का चौथा विधानसभा चुनाव इसी वर्ष के अंत तक होगा या वर्ष 2017 के शुरुआत में, लेकिन विभिन्न दलों के अलावा स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने वाले नेताओं की चाहत भी धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगी हैं । और इस बीच ऐसे लोग जिनके जीवन का बड़ा हिस्सा राजनीतिक सरोकारों से सीधा जुड़ा रहा हो, चुनाव से पहले अब उनके मन की टोह लेने का काम करूंगा मैं यूथ आइकॉन के विशेष सिग्मेंट ‘राज-राग’ में । और इस कड़ी में मेरे साथ हैं इस बार बद्रीनाथ विधानसभा क्षेत्र से पूर्व के चुनावों में लगातार अपनी दावेदारी करते चले आ रहे नन्दन सिंह बिष्ट । नन्दन सिंह बिष्ट छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं । और 2012 में विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं ।
50 वर्षीय ननंद सिंह बिष्ट का जन्म 7 अक्टूबर 1966 में चमोली के पिलंग गाँव में हुआ । जिनकी शैक्षिक योग्यता बी.कॉम, एल.एल.बी. है । मूल रूप से पिलंग के रहने वाले हैं व वर्तमान में जनपद मुख्यालय गोपेश्वर में रहते हैं । नंदन बिष्ट का मुख्य पेशा वकालात है ।
नन्दन बिष्ट का राजनीतिक सफर, एक नजर :
नन्दन बिष्ट वर्ष 1988 में राजकीय महाविद्यालय गोपेश्वर के छात्रसंघ चुनाव में महासचिव चुने गए व इसी विद्यालय में वर्ष 1991 में छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव भी जीते । इसी दरमियान पहले NSUI के महामंत्री व बाद में चमोली जिलाध्यक्ष भी रहे हैं । छात्र राजनीति के बाद मैठाणा साधन सहकारी समिती से सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की थी । वर्ष 1995 में बिष्ट, जिला भेषज संघ के अध्यक्ष मनोनीत किए गए । वर्ष 2003 में उन्हे दशोली विकासखंड से निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख चुना गया था । फिर 2008 में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतकर आए नन्दन बिष्ट जिले की राजनीति में भी विशेष सक्रिय रहे ।
नन्दन बिष्ट हमेशा से ही हरीश रावत के करीबियों में से एक माने जाते रहे हैं । बिष्ट 1997 में चमोली जिला कांग्रेस के महामंत्री भी बनाए गए थे । वर्ष 2003 से 2008 तक हरीश रावत के उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए उनके साथ नंदन बिष्ट बतौर प्रदेश संगठन सचिव हमेशा साथ रहे । फिर वर्ष 2008 से 2010 तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हरीश रावत के साथ बतौर प्रदेश महामंत्री कांग्रेस की हैसियत से नन्दन बिष्ट, हरीश रावत के करीबी बने रहे । कुलमिलाकर उत्तराखण्ड कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत के बेहद करीब रहने वाले नन्दन बिष्ट को अभी तक विधायक न बनने का भारी मलाल भी है । और अब वह अपने इस मन्शूबे को पूरा न होने के लिए हरीश रावत का करीबी होना जिम्मेदार मान रहे हैं । कांग्रेस नेता नन्दन बिष्ट यह भी मानते हैं कि हरीश रावत का भरपूर साथ देने का ही ईनाम है जो मुझे आज तक विधायक के टिकट से वंचित किया जाता रहा है । नन्दन बिष्ट कहते हैं बस …. अब बहुत हो गया …! आखिर कब तक ?
यूथ आइकॉन की इस विशेष कड़ी ‘राज-राग’ में क्या राग अलापा है कांग्रेस नेता नन्दन बिष्ट ने, और 2017 में क्या है उनकी रणनीति ? आइए जानते हैं आगे चर्चा में आगे नन्दन की जुबानी – (सवाल मेरे – जवाब नन्दन के)
Yi शशि : बिष्ट जी आप हमेशा से हरीश रावत के खासमखास लोगों की पंक्ति में गिने जाते रहे हैं । बाबजूद इसके आप डेढ़ दशक बीत जाने पर अपने लिए विधानसभा तक पहुँचने का टिकट हासिल नहीं कर पाए आपकी इस विफलता का कारण क्या है ?
नन्दन : यह मेरी कहीं भी विफलता नहीं है, मैं लगातार वर्ष 2002 से पार्टी के सामने बदरीनाथ विधानसभा सीट से टिकट की मांग कर रहा हूँ । लेकिन यह बात सच है कि मेरी बफादारी और ईमानदारी का दुष्परिणाम मेरे सामने है ।
Yi शशि : दुष्परिणाम कैसे …?
नन्दन : क्योंकि हम हमेशा माननीय हरीश रावत जी के साथ जो खड़े रहे हैं । हर संकट की घड़ी में हरीश रावत जी के साथ रहा हूँ, क्योंकि हरीश रावत जी हमेशा से जनता से जुड़े नेता रहे हैं । पहाड़ के दर्द को वह भली भांति समझते हैं । रावत जी छात्र जीवन व पंचायत की चौपाल से निकले हुए जन नेता हैं । उनकी जमीनी हकीकतों व जन सरोकारों को जानते हुए ही मैंने हमेशा से उनका साथ दिया है ।
Yi शशि : अधिकांश नेता तो कहते हैं कि उन्हे हरीश रावत जैसे दिग्गज नेता का साथ मिला है, और आप उसके ठीक उलट कह रहे हैं कि मैंने हमेशा हरीश रावत को अपना साथ दिया है । यह कुछ ज्यादा बड़ी बात नहीं बोल दी आपने ?
नन्दन : बड़ी बात नहीं सच्चाई है यह । कोई भी बड़ा नेता अपने कार्यकर्ताओं की ताकत की वजह से बड़ा बनता है । और यह सिर्फ रावत जी ही नहीं देश के विभिन्न राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं को भी आप देख लें कार्यकर्ताओं के साथ से ही वह खड़े होकर बड़े हुए हैं । और नेता बड़े ओहदे पर पहुँच जाते हैं तो तब उनकी भी बारी आती है अपने कर्मठ कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझने व उन्हे सम्मान देने की । इसलिए मै कह रहा हूँ कि अब माननीय हरीश रावत जी की बारी है । क्योंकि मैंने 2002 में भी पार्टी से टिकट मांगा था तब मुझे यह कहा गया कि अभी तुम नए हो छोटे हो अगली बार अवश्य मौका दिया जाएगा, और टिकट अनुसूया प्रसाद मैखुरी को दिया गया । 2007 में टिकट मांगा तब सीटिंग- गेटिंग की बात कहकर मुझे फिर टिकट नहीं दिया गया तब फिर से मैखुरी को ही टिकट दे दिया गया और मै हाथ मलते रह गया । लेकिन तीसरा मौका था 2012 विधानसभा चुनाव का तब मुझे सतपाल महाराज के खेमेबाजी का शिकार होना पड़ा था । सतपाल महाराज ने मुझे हरीश रावत के खेमे का बताकर जमकर विरोध किया और दुर्भाग्य देखिये कि तब भी पार्टी ने मुझ जैसे कर्तव्यनिष्ठ कांग्रेसी कार्यकर्ता पर भरोषा न जताकर तब भाजपा सरकार में मंत्री रहे राजेन्द्र भण्डारी को टिकट दे दिया और फिर मुझे किनारे कर दिया गया ।
Yi शशि : तो इस सबके पीछे क्या कारण हो सकता है जो आपको बार-बार पीछे धकेल दिया जाता है ?
नन्दन : कारण साफ है हमेशा हरीश रावत के साथ खड़े रहे उनके प्रति निष्ठा दिखाई । लेकिन अब जब विपरीत परिस्थितियों के बाद जब वह आज मुख्यमंत्री बने तो वह अब विधायकों के दबाव में हैं । और फिलहाल मैं नहीं चाहता हूँ कि कांग्रेस का एक निष्ठावान सिपाही होने के नाते मै कोई नया बखेड़ा खड़ा करूँ जिससे सरकार की किरकिरी हो ।
Yi शशि : राजेन्द्र भण्डारी को मजबूत व जिताऊ नेता माना जाता है, फिर से 2017 में भण्डारी सामने हैं तो कैसे आपकी उम्मीद पूरी हो सकती है ?
नन्दन : (हँसते हुए ….) मान्यवर भण्डारी अगर इतने मजबूत नेता थे तो वर्ष 2007 के बाद क्यों कांग्रेस पार्टी की जरूरत पड़ गई उन्हें ? रह लेते ना भाजपा में या लड़ लेते निर्दलीय चुनाव और फिर बन जाते यहाँ भी रावत सरकार में केबिनेट मंत्री तब हम मानते कि भण्डारी मजबूत नेता हैं । बेचारे कांग्रेस से न लड़ते तो क्या पता तब उनकी मंत्री बनने की चाहत भी शायद पूरी हो ही जाती । देखिए … वह व्यक्ति कहीं से भी मजबूत नहीं है बल्कि हवा बनाई जा रही है । और अगर इतने ही मजबूत हैं तो लड़ें आज भी बिना पार्टी चिन्ह के चुनाव ।
Yi शशि : तो क्या 2017 में आप चुनाव लड़ेंगे या…?
नन्दन : बिल्कुल चुनाव लड़ूँगा पूरी तैयारी है और मुझे पूरा यकीन है कि कांग्रेस मेरी सेवाओं और निष्ठा को देखते हुए इस बार टिकट अवश्य मुझे देगी ।
Yi शशि : निष्ठा की अगर बात करें तो आपने भी तो 2012 में पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा है, तब आपको बकायदा पार्टी से लंबे समय तक निष्कासित भी किया गया था तो फिर आपकी और राजेन्द्र भण्डारी की निष्ठा में अंतर क्यों किया जाय ?
नन्दन : मेरा यह कहना है कि 2007 में राजेन्द्र भण्डारी नंदप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक जीतकर आए उस वक़्त भी मुझे हरीश रावत जी द्वारा कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने के लिए भण्डारी को मनाने के लिए कहा गया था और तब मैंने भण्डारी से बात भी की थी उसके बावजूद भण्डारी ने कांग्रेस के प्रति निष्ठा न दिखाते हुए भाजपा सरकार को समर्थन दिया था और पाँच साल तक भाजपा के मंत्री भी रहे हैं । अब आप ही बताइएगा जब राजेंद्र भण्डारी बीजेपी की सरकार को चलाने के बाद कांग्रेस के बफादार माने जा सकते हैं तो मै क्यों नहीं । मैंने तो सिर्फ अपने खिलाफ हो रहे षड्यंत्र के खिलाफ निर्दलीय चुनावभर तो लड़ा था और उसके तुरंत बाद आज कांग्रेस की सेवा में हूँ ।
Yi शशि : इस बार भी अगर टिकट नहीं मिला तो फिर से बगावत करेंगे आप ?
नन्दन : फिलहाल पूरी उम्मीद है कि इस बार बदरीनाथ विधानसभा से कांग्रेस का टिकट मुझे ही मिल रहा है । बाकी वक़्त बताइएगा ।
Yi शशि : मतलब आप कांग्रेस से बगावत करेंगे ?
नन्दन : नहीं… नहीं … ऐसा नहीं होगा ।
Yi शशि : मेरा अंतिम सवाल अगर इस बार भी आपको कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो क्या करेंगे आप ?
नन्दन : चुनाव लड़ूँगा और क्या …. बाकी ठीक है आप भी इंतजार करें और मै भी इंतजार करता हूँ, बहुत जल्दी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी ।
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यह थे मेरे साथ कांग्रेस के नेता नन्दन बिष्ट जिनका साफ-साफ कहना है कि वह 2017 में फिर से बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और उन्हे पूरी उम्मीद है कि कांग्रेस पार्टी इस मर्तबा वर्तमान विधायक राजेन्द्र भण्डारी को बेटिकट कर उनके हाथ में हाथ का निशान थमाएगी । और अगर ऐसा नहीं हुआ तो उनके सामने विकल्प भी खुले रहेंगे जैसा कि नन्दन बिष्ट ने कई बार अपनी बातचीत में ईशारा भी किया है । हालांकि कांग्रेस नेता नन्दन बिष्ट पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने के कारण पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुके हैं, जिसमें उन्हे करारी शिकस्त भी मिली थी । अब पूरे पाँच वर्षों के बाद एक बार फिर से वही स्थिति सामने है और नेता जी अपने पूर्ववर्ती तेवरों को अपनाए हुए हैं । और यह अपने आपमें 2017 के चुनाव से पहले का एकमात्र पहला मौका होगा कि जिसमें किसी कांग्रेसी नेता ने टिकट की दावेदारी करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत को दो टूक संदेश दे दिया है कि मैंने अपना पूरा युवाकाल आपको समर्पित किया है, अब लौटाने की बारी आपकी यानी हरीश रावत की है । अब आने वाले दिनों में यह देखना भी कम दिलचस्प नहीं होगा कि हरीश रावत अपने बेहद करीबी रहे नन्दन बिष्ट या हाल के दिनों में आए राजनीतिक मुशीबत में अपने लिए संकट मोचक बने राजेन्द्र भण्डारी में से किसे ज्यादा तरजीह देते हैं ।
*प्रस्तुति : शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ , एडिटर Yi मीडिया । संपर्क – 9756838527, 7060214681
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