हरक सिंह रावत से अब तक सबसे ज्यादा दुखी रहे मुख्यमंत्री हरीश रावत भी हरक सिंह रावत की एक एक गतिविधि पर नजर गढ़ाए हुए हैं । माना जा रहा है कि जिस भी क्षेत्र से हरक सिंह रावत की दावेदारी पक्की हो जाएगी तो उसके बाद ही हरीश रावत अपना दांव चलेंगे ।
एक ओर हरक सिंह रावत को अपनी साख बचाने के लिए हर हाल में 2017 का चुनाव जीतना जरूरी है तो वहीँ दूसरी ओर यह भी चर्चा है कि मुख्यमन्त्री हरीश रावत का पहला लक्ष्य हर हाल में हरक सिंह रावत को 2017 में विधानसभा तक आने से रोकना भी है ।
कुल मिलाकर 2017 के चुनाव को प्रदेश की जनता दो दिग्गज रावत नेताओं के लिए वर्चस्व का चुनाव भी मानकर देख रही हैं । ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि हरक सिंह रावत अपने घर वापसी कर श्रीनगर से ही चुनाव लड़ने की संभावनाओं को तलाश रहे हैं और इसके लिए उन्होंने अपने समर्थकों के मन की टोह लेनी भी शुरू कर दी है ।
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Ek aur musibat : अब खतरे मे छोटी सरकार …!
Pankaj mandoli ,Srinagar, Yi Report
रहस्य, रोमांच एवं उत्साह से भरपूर प्रदेश के सियासतदानो की नोटकी थमने के बजाय दिनो-दिन नये रोमांच को जन्म दे रही है। अब तक हुए ड्रामें में प्रदेश की राजनीतिक राष्ट्रपति शासन, कोर्ट कचरी, लोक सभा राज्य सभा के बाद अब छोटी सरकारों के द्वार पर पहुंच गयी है। छोटी सरकार की कहानी भी हरक सिंह रावत के आस-पास की घूम रही है। यहां एक बार फिर हरीश रावत व हरक सिंह रावत आमने सामने है और दांव पर है छोटी सरकारों की गद्दी।
अब मुसीबत में आ गए छोटी सरकार …!
प्रदेश की राजनीति में तूफान जहां से उठा था वह अब उन्हीं के आशियाने उडाते ले जा रहा है। इस तूफान की सबसे अधिक आंच कांग्रेस के बागी विधायक हरक सिंह रावत पर गिरती दिख रहीं है। हरक सिंह रावत के मंत्री पद व विधायकी से हाथ धोने के बाद यह आंच जनपद रूद्रप्रयाग, एवं जनपद पौडी की जिला पंचायतों की कुर्सी पर पड़ती दिख रही है। बता दें कि पौडी में हरक सिंह रावत की पत्नी दिप्ती रावत ने बतौर कांग्रेस प्रत्याशी जिला पंचायत का चुनाव लडा व जीता भी। इस चुनाव में दिप्ती रावत ने भाजपा प्रत्याशी को मात्र कुछ ही मतों से पराजित किया था । वहीं रूद्रप्रयाग मे हरक सिंह रावत की खासमखास मानी जाने वाली लक्ष्मी राणा भी कांग्रेस के टिकट से ही जिला पंचायत की कुर्सी पर काबिज हुई है। सूत्रां से मालूम हुआ है कि कांग्रेस रूद्रप्रयाग एवं पौडी जिले की जिला पंचायत की सीटों पर अपने चहेतों को बैठाना चाहती है। कांग्रेस के रणनीतिकारों ने अंदर ही अंदर इसकी योजना को भी तैयार कर लिया है। कांग्रेस को अब केवल समय का इंतजार है। जिला पंचायतों के दो वर्ष पूरे होते ही कांग्रेस इन दोनों जिलों में अविश्वास प्रस्ताव लायेगी । कुल मिलाकर अब छोटी सरकार खतरे की जद में हैं ।
*पंकज मैंदोली, श्रीनगर
Copyright: Youth icon Yi National Media, 03.06.2016
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