The first day Record pilgrims arrived in Badrinath : कपाट खुलने के पहले ही दिन जुटे रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु बदरीनाथ में …!
बदरीनाथ, 11 मई को ब्रह्म मुहर्त में जब श्री बदरी विशाल जी के कपाट भक्तों के दर्शनार्थ खोले गए तो ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे बदरीपुरी, पूरी तरह बैकुंठ धाम बन गयी हो । चारों ओर ऐसा भक्तिमय आनंद का माहौल चरम पर था । मानो हर इंसान मोह माया को बहुत पीछे छोड़ अब सिर्फ और सिर्फ नारायण की शरण मे अर्पित कर रहा हो । हर तरफ से श्रीमन नारायण… नारायण …की ही एकमात्र ही गूंज कानो तक आ रही थी ।
यूँ तो कपाट सुबह 4.35 पर खुले लेकिन भक्त एक दिन पहले ही बदरीधाम में डेरा जमा चुके थे । और पहली रात से ही हजारों की संख्या में बदरीनाथ पहुंचे श्रद्धालु कतारबद्ध होने लगे थे । भक्ति में डूबा कोई विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ कर रहा था, तो कोई नारायण-नारायण का जप करके उस पल की प्रतीक्षा कर रहा था जब नारायण के कपाट खुलेंगे और उनका सीधा साक्षात्कार पद्मासन मुद्रा में बैठे नारायण से होना था ।
बर्फीली चोटियों से ढकी पर्वत शृंखलाओं के मध्य कल-कल बहती अलकनंदा को देख ऐसा भाव मन में उत्पन्न हो रहा था कि मानो माँ अलकनंदा भगवान श्री नारायण के चरणों स्पर्श करते हुए आगे बढ़ रही है । बदरी क्षेत्र में आसपास पल-पल में कुछ ऐसा भक्तिमय माहौल बना रहा था जिसका वर्णन करने को शब्द नहीं है ।
शायद यही नारायण की लीला है। बस अविस्मरणीय अद्भुत अद्वितीय । सुबह जब कपाट खुले तो उस वक़्त 15 हजार से अधिक लोग आधी रात से लाईन मे खड़े अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे । कड़ाके ठंड की और 0 डिग्री पर झूलता पारा और उस पूरी सर्द रात में देश भर से जूटे यह श्रद्धालु हाथ जोड़ , नंगे पाँव खड़े होकर बस नारायण का स्मरण कर रहे थे। तब लगा की किसी ने सच कहा की एक बार नारायण की भक्ति में खोकर देखो वो आपको किसी भी कठिनाई का अनुभव नहीं होने देगा। बस अब अगर आपको भी सचमुच यह अद्भुत अनुभव पाना है तो, आप भी चले आओ बदरीधाम में श्री नारायण दरबार में । और उस अलौकिक सुख, व आनंद को महसूस कीजिए जो सिर्फ आपको मोक्षधाम बदरीनाथ में ही मिल सकता है ।
आशीष डिमरी , जोशीमठ
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