पहाड़ में मान बढ़ाया रुद्रप्रयाग के शुभम और चमोली की दामिनी ने । उत्तराखंड की दोनों प्रतिभाओं ने ऑल इंडिया GATE Exam में हासिल किया सम्मानजनक स्थान ।
चमोली और रुद्रप्रयाग दो ऐसे जिले जहां सरकारी दावों के उलट मूलभूत सुविधाओं का टोटा हमेशा से बना रहा । और मूलभूत सुविधाएं के अभाव के बीच जब उम्मीद की किरणें फूटती हैं तो चर्चा होना भी लाजमी है । हम बात कर रहे हैं देशभर में प्रतिष्ठित व सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा GATE Exam की जिसमें रुद्रप्रयाग जनपद में तिलवाड़ा (सुमाड़ी) बन्दरतोली गांव के होनहार शुभम डोभाल व चमोली में दशोली मैठाणा गांव से दामिनी मैठाणी की ।
हालांकि इन्होंने देश में पहला या दूसरा स्थान प्राप्त नहीं किया है लेकिन देश की सबसे कठिन व प्रतिष्ठित परीक्षा की रैंकिंग में 29 वां एवं 85 वां रैंक हासिल करना भी किसी सपने से कम नहीं है । और जिस क्षेत्र से विषम परिस्थितियों में अध्ययन कर दामिनी मैठाणी और शुभम डोभाल ने निकलकर, फलक पर जो कीर्तिमान पूरे देश में स्थापित किया है वह इस पहाड़ों के परिदृश्य में पहले व दूसरे रैंक जैसी ही उपलब्धि मानी जा सकती है । यही कारण रहा कि आज सभी प्रमुख समाचार पत्रों ने उत्तराखंड में चमोली और रुद्रप्रयाग जनपद के दोनों होनहार बच्चों की उपलब्धि को प्रदेश का सम्मान बढ़ाने जैसा बताया ।
रुद्रप्रयाग के होनहार शुभम डोभाल अपनी प्रारंभिक शिक्षा रुद्रप्रयाग के जवाहर नवोदय विद्यालय जाखधार से प्राप्त की व वर्तमान में देहरादून के ग्राफिक एरा से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहे हैं । शुभम ने 29 वी रैंक हासिल किया है । शुभम रुद्रप्रयाग सुमाड़ी के रहने वाले हैं । वर्ष 2010 में एक दुर्घटना में शुभम के पिता दौलतराम डोभाल का निधन हो गया था जिसके बाद शुभम के ऊपर परिवार की जिम्मेदारी भी आ गई । लेकिन शुभम की दीदी टीना व जीजा अनूप सकलानी ने परिवार को विपरीत हालात में सहारा दिया व शुभम को आगे पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के साथ ही उसका पूरा खर्चा भी अपने जिम्मे ले लिया । और आज होनहार शुभम ने जो उपलब्धि हासिल की है उससे पूरे पहाड़ में खुशी की लहर है । खासकर रुद्रप्रयाग जिले में व उनके गांव के लोगों के बीच शुभम की चर्चा सबकी जुबान पर है ।
दामिनी की उपलब्धि को मीडिया ने खूब सराहा :
मूलरूप से चमोली जनपद में दशोली क्षेत्र के मैठाणा गांव की निवासी दामिनी मैठाणी ने GATE की परीक्षा में देशभर से हजारों की संख्या में शामिल छात्रों में 85 वां रेंक हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है । दामिनी सीमांत जनपद चमोली के एक सामान्य परिवार से आती है । उसके परिवार में आय का कोई बड़ा स्रोत नहीं है फिर भी पिता अनिल मैठाणी व माँ रश्मि मैठाणी ने अपना पूरा परिश्रम बच्चों को बनाने में लगा लिया । दामिनी की माँ SGRR में अध्यापिका हैं ।
दामिनी की प्रारंभिक पढ़ाई मैठाणा गांव के उत्कर्ष पब्लिक स्कूल व SGRR गोपेश्वर से हुई है । और बी. एस. सी. स्नातक गोपेश्वर महाविद्यालय से करने के बाद गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय से एम. एस. सी. माइक्रोबायोलॉजी की डिग्री प्राप्त की । और अब वर्तमान में दामिनी पंतनगर विश्वविद्यालय से ही माइक्रोबायोलॉजी में पी.एच. डी. कर रही है । पी.एच. डी. के साथ-साथ उसने गेट की भी तैयारी की और अब देशभर में इस प्रतिष्ठित एक्जाम में 85 वां रेंक हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लिया है ।
इस उपलब्धि से खुश दामिनी अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता पिता अनिल मैठाणी व रश्मि मैठाणी को देती है । उसका कहना है कि ईमानदारी व लगन से की गई मेहनत कभी बर्बाद नहीं जाती है । दामिनी ने अपने संदेश में कहा कि हर एक अध्ययनरत युवाओं को अपना विजन क्लियर करना पड़ेगा । जब लक्ष्य निर्धारित होता है तो ही उसे पाने के लिए सही दिशा में सफलतम व उच्चतम प्रयास भी किए जाते हैं ।
रुद्रप्रयाग के शुभम और चमोली की दामिनी ने खुद को नहीं दिया श्रेय :
इन दोनों बच्चों ने अपनी उपलब्धि का श्रेय खुद नहीं लिया दोनों ने कहा कि बिना परिजनों के रचनात्मक सहयोग से लक्ष्य को हासिल करना मुमकिन नहीं था । जहां दामिनी ने इस सफलता के पीछे अपनी माँ और पापा को श्रेय दिया तो वहीं शुभम ने अपनी दीदी व जीजा के सिर पर सफलता का श्रेय रखा ।
सचमुच दामिनी और शुभम आप दोनों ने बेहद कठिन परिस्थितियों के बीच से निकलकर यह बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है । देश मे उत्तराखंड राज्य का नाम ऊंचा करने के अलावा चमोली और रुद्रप्रयाग जनपदों का भी मां बढ़ाया है, आप दोनों होनहार बच्चों को यूथ आइकॉन परिवार की ओर से बहुत बहुत बधाई । बधाई इसलिए भी कि आप दोनों ने बेहद विषम परिस्थितियों में पहाड़ से शिक्षा प्राप्त कर यह सफलता का परचम लहराया है ।
शाबास बच्चो ।
स्क्रिप्ट : शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
SHashi Bhushan Maithani Paras