कौन है, कारगिल में जाकर सेना का दर्द बाँटने वाली सबसे कम उम्र की बेटी जिसको देश ने किया स्वीकार !
* 11 नवम्बर को देहरादून में सम्मानित होगी उत्तराखण्ड की बेटी ।
* भव्य समारोह में मिलेगा YOUTH icon Yi National Award ( यूथ आइकॉन अवार्ड 2018) ।
सवाल बना हुआ है कि बहुत कम समय में देश भर के मंचों पर पहुँचने वाली वह बेटी कौन है जिसने कारगिल में जाकर सेना का दर्द बाँटा साथ ही उसने कारगिल की धरती में सबसे कम उम्र की कवियित्री होने का गौरव भी प्राप्त किया।
जी हाँ, सिर्फ तीन साल में उत्तराखण्ड से सबसे कम उम्र की हिन्दी भाषी कवियित्री जो कि लगभग पूरे भारत वर्ष के सारे राज्यों में साहित्य भ्रमण करके अपने नैनीताल, उत्तराखण्ड की खूबसूरती को अपनी लेखनी में संजो कर श्रोताओं को अपनी मधुर वाणी के माध्यम से गुनगुना कर मंत्रमुग्ध कर चुकि हैं। सिर्फ तीन साल में लगभग सभी राज्यों में होने वाले अखिल भारतीय मंचों पर देश के अभी बड़े कवियों के साथ लगभग 500 से ज्यादा कवि सम्मेलन में स्वरचित कविताओं का मधुरिम पाठ करने से राष्ट्रीय कवियित्री का गौरव प्राप्त कर चुकी हैं।
देश के दिग्गज कवियों जैसे हरिओम पंवार, सुरेन्द्र शर्मा, सुरेश अवस्थी, कुमार विश्वास, शैलेस लोढा हों या कोई अन्य सभी के साथ मंचों से अपने कविता पाठ कर श्रोताओं का दिल जीत चुकी हैं।
आइए हम बताते हैं आपको कि वह है उत्तराखण्ड की लोकप्रिय कवियित्री नैनीताल की बेटी के नाम से विख्यात ‘गौरी मिश्रा’।
उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में जन्मी 30 वर्षीय गौरी आज देश की लोकप्रिय कवियित्री के रूप में विख्यात हैं। गौरी ने स्कूली शिक्षा हल्द्वानी में ही पूरी की है। बाद में जब गौरी ने अपनी उच्चतर माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण की उसके बाद उनको आगे की पढ़ाई जारी रखनी थी। परिवार समान्य था और उस दौर में परिवार खर्च ज्यादा आय कम होने के नाते गौरी को डर लगने लगा कि उनकी शिक्षा पर विराम न लग जाए इसके लिए उन्होने आगे बढ़कर स्वयं प्रयास करना आरम्भ किया और शहर में होने वाले आयोजनों में एंकरिंग करना शुरू किया।
मंच संचालन में तेज तर्रार गौरी ने अपनी मेहनत से स्वयं की कमाई पर अपनी शिक्षा को जारी रखा धीरे धीरे लेखनी की रूचि ने उनको रचनात्मक कला में प्रखर बना दिया। आज गौरी कि कई रचनाएं लोगों को मुँह जवानी रटी हुई हैं जिसको श्रोता स्वयं गुनगुनाते हैं जब गौरी मंच से काव्यपाठ करती हैं।
उत्तराखण्ड से काव्य जगत में एक नाम गौरी का ही राष्ट्रीय स्तर पर नजर आता है एक महिला होने के साथ – साथ उनकी कड़ी मेहनत को देख यह कहना अनुचित नहीं होगा कि वह भी महिला सशक्तिकरण का एक सजीव उदाहरण हैं।
कई सारे न्यूज चैनलों ने गौरी को अपनी काव्य श्रृंखला में स्थान दिया है और इसके अलावा समाचार पत्रों की भी काव्यश्रृंखला में गौरी एक मात्र एसी कवियित्री सामने आयीं हैं जिन्होंने दो बार झारखण्ड की पूरी श्रृंखला की है।
यह कोई छोटी बात नहीं की नैनीताल की गौरी सिर्फ उत्तराखण्ड नहीं बल्कि पूरे देश में जानी जाती है। नैनीताल की बेटी के नाम से विख्यात गौरी ने बिन किसी सहयोग के अपना स्थान आज देश की जनता के दिलों में बनाया है और उनकी इस प्रतिभा के लिए यूथ आईकाॅन उनको सम्मानित कर रहा है।
गौरी जी यूथ आइकॉन बनाये जाने के लिए आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभ कामनाये
हार्दिक बधाई एवं मंगलमय शुभकामनाएें ।।
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दिली मुबारक़बाद गौरी जी💐