Ghar Ghar Modi … Har Har Modi : मोदी का 56 इंच का सीना देवभूमि उत्तराखंड की जनता ने 1 इंच बढ़ाकर 57 इंच का किया ।
* मोदी के आगे चूर हुआ हरीश रावत का सपना ?
* हरदा का जादू हुआ उत्तराखंड में फेल ?
देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड के चुनाव परिणामों को देखकर आपके मुंह से यही शब्द निकलेंगे अद्भुत, अविश्वनीय, अकल्पनीय। उत्तराखंड की जनता ने जनादेश ही कुछ इस तरह का दिया है। चुनावी पंडितों की सभी भविष्यवाणियों को दरकिनार कर राज्य की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी की हर बात को सिर माथे पर बिठाकर वोट दिए और पूर्ण नहीं प्रचंड बहुमत दिया। अपने प्रधानमंत्री की बातों में देवभूमि की जनता ने इतना विश्वास दिखाया कि उत्तराखंड चुनाव में सीएम हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस को करारी हार का मुंह देखना पड़ा है। मोदी की ऐसी आंधी चली कि खुद मुख्यमंत्री हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा दोनों विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव हार गए। कोदा, झंगोरा, मंडुवा की बात करने वाले हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस की अब तक हुए विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा शर्मनाक हार थी। 70 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस को महज 11 सीटों से संतोष करना पड़ा। यही नहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी चुनाव हार गए।
56 इंच के सीने की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीना देवभूमि की जनता ने उन्हें 57 सीटें जिताकर एक इंच और बढ़ाने का काम किया है। उत्तराखंड की जनता से मिले प्यार को भी प्रधानमंत्री मोदी ने भी हाथों हाथ लिया और भरोसा दिया कि डबल इंजन की भाजपा सरकार उत्तराखंड के विकास में कोई कोर कसर नहीं छोडेगी। मतगणना की शुरूआत और पहली ईवीएम खुलने और उसके बाद आने वाले परिणामों से साफ होने लगा था कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री हरीश रावत का जादू नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हवा पूरे उत्तराखंड में भी बह रही है। 15 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में रिकॉर्ड वोटिंग दर्ज की गई थी। इस बार प्रदेश में कुल 68 फीसदी मतदान हुआ। पूरे राज्य में सबसे ज्यादा वोट उत्तरकाशी में पड़े, यहां कुल वोटर्स में से 73 फीसदी ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इसके बाद 70 प्रतिशत मतदान के साथ उधमसिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल दूसरे नंबर पर रहे।
अद्भुत, अकल्पनीय, अविश्वसनीय
वहीं उत्तराखंड में आये चुनाव परिणाम के बाद राजनीतिक दलों से लेकर राजनीति के पंडित नए सिरे से विश्लेषण करने में लगे हैं कि इस अप्राशिचत परिणाम के कारण क्या हैं। में भी इनमें से एक हूं। पूरे चुनाव मैं मैने करीब एक दर्जन से अधिक विधानसभा सीटों का दौरा किया। कई लोगों से बात की, परिवर्तन की बयार तो लोगों की बातों से लग रही थी लेकिन ऐसी सुनामी आयेगी इसकी उम्मीद मुझे ही नहीं मेरे साथियों को भी नहीं थी। वो बात अलग है कि मेरा लेख पढ़ने के बाद कई साथी बोलेंगे कि मुझे तो पूरी उम्मीद थी, यहीं नहीं कुछ तो यह भी बोलने से गुरेज नहीं करेंगे कि बीजेपी की तो दिल्ली की तर्ज पर 67 सीटें आ रही थी वो तो बस कुछ खामियां रह गई। चलिए छोडिए ऐसें महानुभावों को। लेकिन परिणाम वाकई अद्भुत और आश्चर्यचकित करने वाले थे। मुख्य मुद्दे तो पूरे चुनाव में ही गायब थे, सो, उस आधार पर हिसाब लगाना ही फिजूल है। अगर देखा जाए तो वोटर ने क्षेत्रीय राजनीति को बिल्कुल नकार दिया। इन नतीजों से कुल मिलाकर निष्कर्ष यही निकल रहा है कि देश फिलहाल दो-ध्रुवीय राजनीति के मूड में है और ये ध्रुव हैं बीजेपी और कांग्रेस। प्रचंड जनादेश मिलने के बाद बीजेपी को आप अब लाग लपेट के लिए कुछ नहीं बचा है। अब उसे राज्य की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना है और हर उस सपने को सच करना है जिसके लिए जनता ने उसे यह जनादेश दिया है साथ ही प्रधानमंत्री मोदी को अपना डबल इंजन वाला वादा निभाना है क्योंकि कहीं न कहीं हम विकास की दौड़ में अन्य राज्यों के मुकाबले पिछड़ते जा रहे हैं।
बीजेपी की इस अप्रत्याशित जीत पर मैं ’मोदी क्रांति’ और ईवीएम के चमत्कार को सलाम करता हूं। संसाधनों की कमी के बावजूद कड़ी मेहनत करने वाले अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की उम्मीदों पर खरा न उतर पाने की जिम्मेदारी मैं अपने ऊपर लेता हूं। मैं मानता हूं कि मेरे नेतृत्व में ही कुछ कमी रही होगी, जिसके कारण पार्टी का चुनावों में प्रदर्शन खराब रहा।
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हरीश रावत, निर्वतमान मुख्यमंत्री, उत्तराखंड।
होली पर भाजपा की भारी जीत से अब नए युग की शुरुआत हो गई है। अब भय मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त, बेरोजगार मुक्त एवं उन्नत भारत का निर्माण होगा। चैबट्टाखाल से जीत के बाद जनता को धन्यवाद देने के बाद उन्होंने कहा कि यह उनकी नहीं, बल्कि चैबट्टाखाल की जनता की जीत है।
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सतपाल महराज, पूर्व केंद्रीय मंत्री, विधायक चैबट्टाखाल
जनता को डबल इंजन वाली बात पसंद आई। मुख्यमंत्री भाजपा का कोई कार्यकर्ता ही बनेगा।
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प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू
अजय भी हारे और किशोर भी
** भाजपा और कांग्रेस दोनों के प्रदेश अध्यक्ष चुनाव हारे
उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट रानीखेत सीट से हार गए। रानीखेत से अजय भट्ट ने चैथी बार विधानसभा चुनाव लड़ा था। 2012 के रानीखेत विधानसभा क्षेत्र से अजय भट्ट ने कांग्रेस के करण माहरा को हराया था और 2007 में अजय भट्ट इसी सीट से करण माहरा से चुनाव हार गए थे। अजय भट्ट को 28 अक्टूबर, 2009 से 25 दिसंबर, 2011 तक उत्तराखण्ड सरकार में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य सलाहकार एवं अनुश्रवण परिषद् के अध्यक्ष पद पर नामित किया जा चुका है। वह उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। 01 मई, 1961 को रानीखेत में जन्में अजय भट्ट मुरली मनोहर जोशी जी के नेतृत्व में उत्तरांचल राज्य प्रगति के लिए अल्मोड़ा में गिरफ्तारी दे चुके हैं। सन 1996 से 2000 तक भट्ट को रानीखेत का विधायक चुना गया. इसके बाद साल 2002 से 2007 तक वह दोबारा रानीखेत के विधायक निर्वाचित हुए। अजय भट्ट का नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी शामिल था लेकिन चुनाव हारने से उनकी उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। वहीं सहसपुर सीट से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी चुनाव हार गए। इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी सहदेव पुडीर ने उन्हें चुनाव हराया। हलांकि जब किशोर के सहसपुर से चुनाव लड़ने का ऐलान हुआ तभी से इस बात की चर्चाए गर्म थी कि यह सीट उनके लिए काॅफी टफ है।
उत्तराखंड में सीएम पद की दौड़ शामिल दो नाम-सूत्र
उत्तराखंड में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद सीएम बनने को लेकर जोड़तोड़ शुरू हो गई है। सीएम पद की दौड़ में उत्तराखंड से कई नाम हैं लेकिन इनमें जो दो नाम सबसे ज्यादा मजबूत बताए जा रहे हैं उनमें सतपाल महाराज और त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नाम प्रमुख हैं।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी के मुख्यमंत्रियों को चुनने के लिए आज शाम बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक होगी। इससे पहले शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बीच नए मुख्यमंत्रियों के नामों को लेकर चर्चा हुई। बीजेपी सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड में दो नामों पर गंभीतरता पूर्वक विचार किया जा रहा है ये हैं सतपाल महाराज और त्रिवेंद्र सिंह रावत।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वर्तमान में चैबट्टाखाल विधानसभा से जीतकर आये सतपाल महाराज लोकसभा चुनाव 2014 से पहले कांग्रेस से बीजेपी में आए थे। महाराज एक आध्यात्मिक गुरु भी हैं। उत्तराखंड ही वो देश में भी काफी लोकप्रिय भी हैं। उनकी स्वच्छ छवि है और उनको प्रशासनिक अनुभव है। उन्होंने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा है। ये बात भी उनके समर्थक संकेत के तौर पर ले रहे हैं। जाति से राजपूत हैं। हालांकि बीजेपी की विचारधारा से जुड़े न होना उनके खिलाफ जा सकता है। अंदरखाने चर्चांए यह भी गर्म है कि सरल हृदय महाराज को पहले विधानसभा अध्यक्ष बनने के लिए मनाया जायेगा और वह मान गए तो आगे के प्रत्याशी का रास्ता साफ हो जायेगा। वहीं महाराज के करीबी लोगों का कहना है कि यह अफवाह मात्र है मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार महाराज ही हैं।
वहीं दूसरा नाम है त्रिवेंद्र सिंह रावत का, पूर्व कैबिनेट मंत्री और वर्तमान में डोईवाला विधानसभा सीट से जीतकर आये त्रिवेंद्र सिंह रावत बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव हैं। वो झारखंड के प्रभारी भी हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी भी रह चुके हैं साफ छवि है और कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय हैं। राज्य में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। राजपूत जाति के हैं। अब देखना होगा भाजपा हाईकमान किसके नाम का ऐलान करता है।
एक नजर उत्तराखंड 2017 की 70 विधानसभाओं से चुनकर आए नए विधायकों पर।
उत्तराखण्ड में भाजपा ने रच डाला इतिहास :
- 1- यमुनोत्री – भाजपा – केदार सिंह रावत
- 2- गंगोत्री – भाजपा – गोपाल सिंह रावत
- 3- बद्रीनाथ – भाजपा – महेंद्र भट्ट
- 4- थराली – भाजपा – मगन लाल शाह
- 5- कर्णप्रयाग – भाजपा – सुरेन्द्र सिंह नेगी
- 6- रुद्रप्रयाग – भाजपा – भरत चैधरी
- 7- घनसाली – भाजपा – शक्तिलाल शाह
- 8- देवप्रयाग – भाजपा – विनोद कण्डारी
- 9- नरेन्द्रनगर – भाजपा – सुबोध उनियाल
- 10-प्रतापनगर – भाजपा – विजय सिंह पंवार
- 11- टिहरी – भाजपा – धन सिंह नेगी
- 12- विकासनगर – भाजपा – मुन्ना सिंह चैहान
- 13- सहसपुर – भाजपा – सहदेव सिंह पुंडीर
- 14- धर्मपुर – भाजपा – विनोद चमोली
- 15- रायपुर – भाजपा – उमेश शर्मा
- 16- राजपुर रोड – भाजपा – खजानदास
- 17- देहरादून कैंट – भाजपा – हरबंस कपूर
- 18- मसूरी – भाजपा – गणेश जोशी
- 19- डोईवाला – भाजपा – त्रिवेन्द्र सिंह रावत
- 20- ऋषिकेश – भाजपा – प्रेमचंद्र अग्रवाल
- 21- हरिद्वार – भाजपा – मदन कौशिक
- 22- बीएचईएल रानीपुर- भाजपा – आदेश चैहान
- 23- ज्वालापुर – भाजपा – सुरेश राठौर
- 24- झबरेडा – भाजपा – देश राज कर्णवाल
- 25- रूडकी – भाजपा – प्रदीप बत्रा
- 26- खानपुर – भाजपा – कुंवर प्रणव सिंह
- 27- लक्सर – भाजपा – संजय गुप्ता
- 28- हरिद्वार ग्रामीण – भाजपा – स्वामी यातिस्वरानंद
- 29- यमकेश्वर – भाजपा – ऋतु खण्डूरी
- 30- पौड़ी – भाजपा – मुकेश कौली
- 31- श्रीनगर – भाजपा – डॉ धनसिंह रावत
- 32- चैब्बटाखाल – भाजपा – सतपाल महाराज
- 33- लैंसडॉन – भाजपा – दिलीप सिंह रावत
- 34- कोटद्वार – भाजपा – हरक सिंह रावत
- 35- डीडीहाट – भाजपा – बिशन सिंह
- 36- पिथौरागढ़ – भाजपा – प्रकाश पन्त
- 37- गंगोलीहाट – भाजपा – मीना गंगोला
- 38- कपकोट – भाजपा – बलवन्त सिंह भौर्याल
- 39- बागेश्वर – भाजपा – चंदनराम दास
- 40- द्वाराहाट – भाजपा – महेश नेगी
- 41- सल्ट – भाजपा – सुरेन्द्र सिंह जीना
- 42- सोमेश्वर – भाजपा – रेखा आर्य
- 43- अल्मोड़ा – भाजपा – रघुनाथ सिंह चैहान
- 44- लोहाघाट- भाजपा- पूरन सिंह फर्त्याल
- 45- चम्पावत – भाजपा – कैलाश गहतोड़ी
- 46- लालकुंआ – भाजपा – नवीन दुम्का
- 47- नैनीताल – भाजपा – संजीव आर्य
- 48- कालादुंगी – भाजपा – वंशीधर भगत
- 49- रामनगर – भाजपा – दीवान सिंह बिष्ट
- 50- काशीपुर – भाजपा – हरभजन सिंह चीमा
- 51- बाजपुर – भाजपा – यशपाल आर्य
- 52- गदरपुर – भाजपा – अरविन्द पाण्डे
- 53- रुद्रपुर – भाजपा – राजकुमार ठुकराल
- 54- किच्छा – भाजपा – राजेश शुक्ल
- 55- सितारगंज – भाजपा – सौरभ बहुगुणा
- 56- नानकमत्ता – भाजपा – डॉ प्रेम सिंह राणा
- 57- खटीमा – भाजपा – पुष्कर सिंह धामी
उत्तराखण्ड में कांग्रेस 11 तक सीमित :
- 58- केदारनाथ – कांग्रेस – मनोज रावत
- 59- पुरोला – कांग्रेस – राजकुमार
- 60- चकराता – कांग्रेस – प्रीतम सिंह
- 61- भगवानपुर – कांग्रेस – ममता राकेश
- 62- पिरान कलियर – कांग्रेस – फुरकान अहमद
- 63- मंगलौर – कांग्रेस – काजी मुहम्मद निजामुदीन
- 64- धारचूला – कांग्रेस – हरीश सिंह धामी
- 65- रानीखेत – कांग्रेस – करन महरा
- 66- हल्द्वानी – कांग्रेस – इंदिरा हृदयेश
- 67- जसपुर – कांग्रेस – आदेश सिंह चैहान
- 68- जागेश्वर – कांग्रेस- गोविंद सिंह कुंजवाल
उत्तराखण्ड में 2 निर्दलियों ने भी मारी बाजी :
- 69- भीमताल – निर्दलीय – राम सिंह
- 70- धनौल्टी – निर्दलीय – प्रीतम सिंह पंवार