गोपेश्वर मंदिर मे दर्शनों के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ।
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Gopinath, Gopeshwar : सावन का सोमवार – श्रद्धा, विश्वास, और आस्था की त्रिवेणी है गोपेश्वर, गोपीनाथ धाम ।

भगवान गोपेश्वर, गोपीनाथ मंदिर । चमोली , उत्तराखंड
चमोली जनपद मुख्यालय गोपेश्वर में स्थित है भगवान भोलेनाथ (गोपीनाथ) जी का यह भव्य मंदिर ।
Shashi Bhushan Maithani 'Paras' Youth icon Yi Report
Shashi Bhushan Maithani ‘Paras’
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सावन के सोमवार  पर विशेष ! 

उत्तराखंड के चमोली जनपद में स्थित गोपीनाथ मंदिर की अपनी विशेष धार्मिक , पौराणिक, एवं पुरातात्विक पहचान है । जो कि चमोली जनपद के मुख्यालय गोपेश्वर में स्थित है। 

भगवान् गोपीनाथ जी का यह भव्य एवं प्राचीन मंदिर भगवान शिव का प्रतीक है। गोपेश्वर गाँव में स्थित यह मंदिर अपने विशिष्ट वास्तुकला के कारण भी अलग से पहचाना जाता है । इसका एक शीर्ष गुम्बद है । इस विशाल एवं भव्य मंदिर का गर्भगृह 30 वर्ग फुट का है । जहाँ मध्य में बेहद आकर्षक एवं भव्य शिवलिंग है तो ठीक सामने माता पार्वती भगवान् के सम्मुख खड़ी प्रतिमा के रूप में विराजमान हैं ।

यहाँ की पौराणिक जानकारियों के अनुसार मुख्य मंदिर के अलावा आस-पास के क्षेत्र में भी सैकड़ों देवी-देवताओं के मंदिर थे , जिसका प्रमाण आज भी यहाँ मिल जाता है ।
मंदिर के 100 मीटर के आसपास वाले क्षेत्र में अधिसंख्य खंडित हुई मूर्तियों के अतरिक्त सैकड़ों शिवलिंगों के अवशेष इस बात का भी प्रत्यक्ष प्रमाण देते हैं कि प्राचीन समय में यहाँ अन्य देवी देवताओं के भी सैकड़ों मंदिर रहे होंगे ।
वर्तमान में सभी खण्डित मूर्तियों एवं शिवलिंगों को भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा सग्रहित कर दिया गया है, जिन्हें मंदिर की परिक्रमा में सुशोभित किया गया है ।

Youthicon Yi media Report गोपेश्वर मंदिर मे दर्शनों के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ।
भगवान गोपीनाथ ,गोपेश्वर मंदिर मे सावन में जलाभिषेख के लिए दर्शनों के लिए उमड़ रही है श्रद्धालुओं की भीड़ ।

यहाँ होते हैं केदारनाथ के सम्पूर्ण दर्शन –
एक धार्मिक मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि जो भक्त किन्ही कारणों से भी केदारनाथ सहित अन्य सभी पञ्च केदारों के दर्शन नहीं कर सकते हैं तो वह भगवान् गोपीनाथ जी के दर्शनों के साथ ही परिक्रमा में स्थित पञ्च केदारनाथ के प्रतीक शिवलिंगों की एक साथ पूजा अर्चना कर यहाँ पर पुण्यलाभ अर्जित कर सकता है । यह स्थान इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसी स्थान पर भगवान केदारनाथ के मुखभाग रुद्रनाथ जी की उत्सव मूर्ति शीतकाल में विराजमान होती है । भगवान् केदारनाथ जी के मुखभाग रुद्रनाथ जी की यहाँ पर प्रतिदिन भव्य पूजा अर्चना की जाती है ।

गोपेश्वर गोपीनाथ मंदिर में है चमत्कारी त्रिशूल –
मंदिर के ठीक सामने आंगन में अष्ट धातु का विशाल त्रिशूल है जिसकी ऊंचाई 5 मीटर है, जो 12 वीं शताब्दी का बताया जाता है । Gopeshwar Gopinath Trishool Photo By Shashi Bhushan Maithani Parasइस अष्ट धातु के त्रिशूल पर 13 वीं शताब्दी के नेपाल के राजा अनेकमल्ल से सम्बंधित अभिलेख को उकेरा गया है । जो कि 13 वीं शताब्दी में यहाँ शासन करता था ।
इसके अतरिक्त त्रिशूल पर ही उत्तरकाल में देवनागरी में लिखे चार अभिलेखों में से तीन की गूढ़लिपि का पढ़ा जाना अभी शेष है ।

कामदेव पर यहीं फेंका था शिव ने त्रिशूल –
पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब कामदेव ने देवाधिदेव भगवान् भोलेनाथ की साधना को अपने छल से भंग किया तो तब भगवान शिव ने कामदेव को मारने के लिए अपना त्रिशूल फेंका था तो वह इसी स्थान पर धंश गया था । गोपेश्वर मंदिर परिसर में स्थित इस पवित्र त्रिशूल की धातु भी विशेषज्ञों के लिए आज भी कौतुहल, जिज्ञासा एवं शोध का विषय बना हुवा है । इस विशालकाय त्रिशूल पर किसी भी मौसम का प्रभाव नहीं पड़ता है । इस त्रिशूल पर एक विशेष चमक सदैव बनी रहती है । जिस कारण यह शोध का विषय बना हुवा है ।
इसका एक और चमत्कारी पक्ष यह है कि अगर कोई भी भक्त इस विशाल त्रिशूल को अपने पूरे शाररिक बल से हिलाने का प्रयत्न करता है तो यह नहीं हिलता है जबकि एक ऊँगली मात्र से इसे सच्चे मन से छू लिया जाय तो यह धीरे-धीरे डोलने लगता है और इसमें कंपन पैदा होने लगती है ।

*शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ , एडिटर Yi मीडिया । संपर्क – 9756838527, 7060214681   

Copyright: Youth icon Yi National Media, 25.07.2016

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By Editor

6 thoughts on “Gopinath, Gopeshwar : सावन का सोमवार – श्रद्धा, विश्वास, और आस्था की त्रिवेणी है गोपेश्वर, गोपीनाथ धाम ।”
  1. जय रुद्रनाथ (गोपीनाथ).आपका आशीर्वाद बना रहे।

  2. Shradha, vishwas,aur aastha, ki triveni ki jankaari ke liye dhanya aad ke patra.
    “JAI HO BABA GOPINATH JI KI”

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