Had kar di apne : हरीश रावत के मुरीद हैं केजरीवाल.. लेकिन फिर भी..??
Youth icon Yi Media Report 19 July, वर्ष 2014 में यूथ आइकॉन नेशनल अवार्ड से सम्मानित प्रतिभा के धनी युवा अभिलाष सेमवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री से मिलने का मौका मिला । अभिलाष को 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (वर्तमान में प्रधानमंत्री) ने भी बुलावा भेजा था कि वह उनके प्रदेश में अपने शोध कार्यों को गति दें व अपनी प्रतिभा राष्ट्रिय अंतराष्ट्रीय फ़लक तक फैलाएँ जिसमें गुजरात सरकार उन्हे हर कदम पर मदद भी देगी । तब जैसे ही खबर मीडिया की सुर्खियां बनी तो तब तुरंत उत्तराखंड सरकार हरकत में आई और मुख्यमंत्री हरीश रावत ने स्वयं रात के साढ़े बारह बजे अभिलाष सेंमवाल के देहरादून स्थित आवास पहुंचकर 5 लाख रुपए का चैक ईनाम में अभिलाष को भेंट भी किया था । जिसके बाद अभिलाष को यह भरोषा दिया गया कि वह उत्तराखंड में ही रहें और अपने कार्यों को आगे बढ़ाएं फिर अभिलाष ने भी मुख्यमंत्री हरीश रावत से मिले आश्वासन से उत्साहित होकर उत्तराखंड में बार-बार आती आपदा को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा रोबोट तैयार किया जो किसी भी तरह के ऊबड़ खाबड़ रास्तों पर चल कर 10 से 12 फीट जमीन के नीचे मलवे में दबे इन्सानों के अलावा जानवरों को आसानी से ढूंढ सकता हैं । अभिलाष का कहना है कि भूकंप के दरमियान भी कई लोग मलवे में दब जाते हैं और उनमें से कई कुछ घंटों तक जिंदा होते हैं , जिन्हें समय से मदद मिलने पर बचाया जा सकता है । और ऐसे ही हालातों को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा रोबोट तैयार किया गया जो सिर्फ आपदा में ही नहीं बल्कि देश की सीमाओं की चौकसी में भी काम आ सकता है ।
अभिलाष ने रोबोट का डेमो एक वर्ष पहले मुख्यमंत्री हरीश के सामने दिया । तब मुख्यमंत्री इस तकनीकी से बेहद प्रभावित भी हुए उन्होने अपने संबन्धित स्टाफ को इस रोबोट तकनीकी को विशेष प्रोत्साहन देने की ज़िम्मेदारी भी सौंपी थी । लेकिन आज एक साल से ऊपर का वक़्त बीत गया है , अभिलाष का सपना उत्तराखंड सरकार ने सपना बनाकर ही रख दिया । और अब इस प्रतिभा ने राज्य से बाहर जाने का मन बना लिया है । आखिर क्यों …? आगे पढ़ें इस रिपोर्ट में अभिलाष जुबानी …
अभिलाष सेमवाल :
गुरुवार को दोपहर मुझे बताया गया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शुक्रवार सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर मुझसे अपने दिल्ली कार्यालय में मिलेंगे । मै देहरादून में अपने घर पर था सोचा कल सुबह का समय है तो मुख्यमंत्री रात तक तो मिल ही लेंगे दरअसल मैने ऐसा इसलिए सोचा क्योंकि अपने प्रदेश उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से भी कई बार मिलने का मौका मिला । हालांकि उत्तराखंड में तो हमेशा स्वयं से या किसी बड़े व्यक्ति की सोर्स से सीएम साहब से मिलने का समय मांगा, कभी भी सीएम हाऊस से बुलाया नहीं गया । जिस प्रोजेक्ट को मै पिछले डेढ़ – दो साल से उत्तराखंड सरकार को समझाने की कोशिस करता रहा उसे देखने व समझने के लिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सैकड़ों किलोमीटर दूर से मुझे बुला लिया ।
खैर …! दिल्ली के मुख्यमंत्री के बुलावे पर मै रातभर के सफर के बाद सुबह दिल्ली पहुँच गया था सोचा कि मुख्यमंत्री ने साढ़े नौ बजे सुबह मिलने के लिए बुलाया है तो दोपहर बाद तो नंबर आ ही जाएगा । क्योंकि मेरे दिलो दिमाग में अपने प्रदेश उत्तराखंड सरकार की कार्यशैली का प्रभाव था । इसलिए ऐसा सोच रहा था कि देहरादून सीएम हाऊस में अगर सुबह 10 बजे का समय मिलने के बाद किस्मत अच्छी रही तो शाम 5 से 6 बजे तक सीएम साहब मिल ही जाते हैं या फिर कभी-कभी तो सुबह 11 बजे से रात के 12 बजे तक भी बैठाये रखते हैं , और लास्ट टाईम पर बताया जाता कि अब सीएम साहब अब कल मिलेंगे ।
बस…! यही एक कारण था कि मेरा नजरिया दिल्ली के मुख्यमंत्री को लेकर भी वही रहा लेकिन हुआ इसके ठीक उलट । समय ठीक सुबह के 9 बजकर 28 मिनट का था और मैं अपने बुलावे का इंतजार कर रहा था । फिर मन में खयाल आया कि यह तो दिल्ली के सीएम हैं, यह तो रात तक ही मिलेंगे क्यों न मै भी तब तक आम आदमी के ध्वजवाहक की छवि वाले सीएम केजरीवाल साहब के बंगले का दीदार कर लूँ । बस यह खयाल मन में आया ही था कि मेरे नाम की पुकार लगी कि अभिलाष सेमवाल …! जी…जी… मैं हूँ । आइए सीएम साहब बुला रहे हैं । घड़ी देखी तो ठीक वही समय जो मुझे फोन पर बताया गया था । मुझे यकीन नहीं हुआ, लगा कि अब सीएम ऑफिस के बाहर बने वेटिंग रूम तक मुझे ले जाएंगे । लेकिन जैसे ही मैंने एक दरवाजा पार किया तो देखा कि देश की राजधानी कहूँ या वीवीआईपी प्रदेश के सीएम केजरीवाल एकदम सामने एक सामान्य सी कुर्सी पर बैठे थे , और मुझ जैसे समान्य व कम उम्र के युवक का उन्होने खुद वेलकम भी किया ।
खैर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुझे बैठने को कहा । मै बैठा , फिर सोचा यह भी तो नेता ही हैं , अब नेताओं वाली बातें करेंगे, आश्वास्न सुनने को मिलेगें, परंतु एक बार फिर से मै गलत साबित हुआ । मैंने जो कुछ भी देखा और सुना क्षण भर के लिए विश्वास नहीं हुआ । एक ऐसा मुख्यमंत्री जिसने मेरी बातों को न सिर्फ ध्यान से सुना बल्कि मेरे प्रोजेक्ट की एक-एक तकनीकि के बारे में बारीकी से सुना , समझा और अपने आइडिया उसमें शामिल किए व तुरंत अपने दो लोगों के स्टाफ को विशेष निर्देश दिये कि वह मेरे प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द क्रियान्वित करें ।
सच बताऊँ तो मैंने अपने इस छोटे से जीवन काल में बहुत से नेताओं व अधिकारियों से मुलाक़ात की लेकिन सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ हुई मुलाक़ात हमेशा मन मस्तिष्क में ताजा रहेगी ।
अभिलाष सेमवाल जीवन में हर काम संभव है, आप आदेश करें… यह शब्द थे मेरे लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री के जिसे सुन कर मेरे अंदर कई गुना उत्साह बढ़ गया था । मजेदार बात यह भी कि मेरी और केजरीवाल साहब की जितनी देर मुलाक़ात हुई उनके आसपास उनका एक भी स्टाफ खड़ा नहीं था जो उन्हें और मुझे बार-बार बीच मै बाधित करता जैसा कि और जगह होता ही है सीएम कम बोलते हैं और उनके अति उत्साही सलाहकार बे-फिजूल और बिना जानकारी के ज्यादा होशियारी दिखाने लगते हैं ।
अब मैं बात अपने प्रदेश उत्तराखंड के सीएम साहब की करूँ तो वह भी बेहद ही अच्छे व संजीदा इंसान हैं । मै राजनीति नहीं जानता हूँ न मेरे पास समय है , लेकिन इतना जानता हूँ कि हरीश रावत हर बात को अच्छे से सुनते हैं और समझते भी हैं, लेकिन उनके बाद उनकी टीम काम को गंभीरता से नहीं लेती है ।
जबकि दिल्ली में मैंने देखा कि वहाँ सीएम एक बार निर्देश कर रहे हैं तो उनके अधीनस्थ स्टाफ बेहद ईमानदारी से उस काम को कर रहे हैं । उत्तराखंड में मुख्यमंत्री जी आगे का काम अपने अगल बगल वालों के हाथ थमा देते हैं जिसके बाद उस काम का कोई भी फोलोअप नहीं मिलता है और न ही स्टेट्स का पता पता चल पाता है ।
मैंने सीएम हरीश रावत जी को केदारनाथ के लिए एक बहुत ही उपयोगी प्रोजेक्ट बताया उसका डेमो भी करके दिखाया तब सीएम साहब ने अपने बगलबीरों को मेरी प्रोजेक्ट फाईल थमाई और यह निर्देशित भी किया था कि यह तकनीकि उत्तराखंड जैसे संवेदनशील राज्य के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी इससे आपदा में मदद मिलेगी । लेकिन अफशोस कि सीएम साहब के हाथ से बगलबीरों के हाथ पहुंची उस महत्वपूर्ण फाईल का अब सालभर से ज्यादा समय के बाद भी कोई अता-पता नहीं चल रहा है ।
मै इतना ही कहूँगा कि उत्तराखंड के सीएम बहुत भले इंसान है लेकिन उनके साथ चलने वाले लोगों का अपना पर्सनल इन्टरेस्ट भी है जिस कारण वह किसी अन्य युवा प्रतिभाओं को खासकर तकनीकि क्षेत्र वालों को आगे नहीं आने दे रहे हैं । और आज इसी कारण मेरी नजर में दिल्ली और उत्तराखंड के सीएम एक दूसरे के विपरीत हो जाते हैं ।
खैर राजनीति है राजनीति करने वाले राजनीति करेंगे ही पर इतना भी न करें कि उसका नुकसान आपके नेता को जाये और आगे बढ्ने की संभावना पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो जाये ।
मुझे अच्छा लगा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चर्चा में हमारे मुख्यमंत्री हरीश रावत को व्यक्तिगत रूप से एक उम्दा व्यक्ति बताया । केजरीवाल ने कहा कि रावत बेहद भले व सुलझे हुए इंसान हैं, … निजी तौर पर ।
मैंने बातों-बातों में पूछ लिया कि सर आप पार्टी 2017 में उत्तराखंड से भी चुनाव लड़ेगी तो केजरीवाल ने कहा कि अभी हमारा फोकस सिर्फ पंजाब पर है ।
बहरहाल मै देहरादून पहुँच चुका हूँ लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री का स्टाफ लगातार मुझसे फोन पर संवाद कायम किए हुए है । हर अधिकारी अपने –अपने स्तर से मुझसे मेरी तकनीकि के बारे में बिन्दुवार जानकारी जुटा रहे हैं ।
जबकि इसके उलट उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के स्टाफ के तो कहने ही क्या एक साल पहले जिस प्रोजेक्ट को सरकार को दिया गया था और मुख्यमंत्री ने उसे सराहा भी व अपने स्टाफ को उसे अमल मे लाने के निर्देश भी दिये थे । लेकिन अमल तो दूर की बात हमारे सीएम साहब का स्टाफ फोन तक रिसिव नहीं करता है । अगर एक या दो बार लगातार फोन कर दिया तो मोबाइल ही स्विच ऑफ हो जाता है ।
अगर प्रदेश में किसी भी क्षेत्र की प्रतिभाओं को प्रोत्साहन के बाजाय इस तरह से हतोत्साहित किया जाएगा तो निसन्देह प्रतिभाएं उन राज्यों की ओर पलायन करेंगी जहां उन्हे उचित मान सम्मान भी मिलेगा ।
बगलबीरों को अभिलाष ने अपना संदेश इन पंक्तियों के साथ दिया है ….
उठ जाग मुशाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है ,
जो सोवत है सो खोवत है, जो जागत है सो ही पावत है ।
आपने पढ़ा कि उत्तराखंड के बेहद प्रतिभावान नौजवान ने कैसे दो सरकारों के बीच के अन्तर को अपने अनुभवों के आधार पर महसूस कर हमारे सामने रखा । अभिलाष जैसे अधिसंख्य और भी युवा होंगे जिन्हें राज्य में उचित प्रोत्साहन न मिलने के कारण वह अन्य राज्यों का रुख कर रहे होंगे । जो कि बेहद ही चिंताजनक बात है । यूथ आइकॉन की पूरी कोशिस होगी कि अभिलाष के मन की बात को सूबे के मुख्यमंत्री हरीश रावत के सङ्ग्यान में लाया जाय और उसके रुके हुए प्रोजेक्ट पर सरकार गंभीरता से काम करे जिससे युवा प्रतिभा हतोत्साहित न हो ।
*शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
Copyright: Youth icon Yi National Media, 18.07.2016
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यूथ आइकॉन : हम न किसी से आगे हैं, और न ही किसी से पीछे ।
Lack of political will and lethargic and apathetic attitude of beurocracy is responsible for exodus of youth from uttarakhand
अगर सलाकार समिति अच्छी हो तो सबका भला सोचती है। सारा खेल सलाकारो में निर्भर करता है महाभारत में भी ठीक ऐसी हुआ था दुर्योधन के सलाकार से सकुनी और अर्जुन के सलाकार थे कृष्ण….