आपने याद तो किया ,
रसम के बहाने ही सही,
मेरे नाम का दीप जलाया ,
कसम निभाने को ही सही ।
खुश हूँ कि जिन्दा हूँ ,
आपकी यादों में कहीं ,
क्या दिल से याद करते हो ,
कहीं दिखावे को तो नहीं ?
हर ख़ुशी , हर गम में,
दिल से जो बात तुमने कही,
उसमे सहारा मेरा ही था ,
क्या ये बात सच नहीं ?
याद रखना ये बात मेरी कही ,
देख लो तुम दुनिया में जाओ कहीं
शीर्ष पर है पहुंचा जग में वही ,
बात जिसने भी भाषा में अपनी कही ।
(अनिल गैरोला)
बहुत सुनदर कविता अनिल भाई
अति सुन्दर
अति सुन्दर गैरोलजे
अति सुन्दर और सरल भाषा में भाव व्यक्त किये गए हैं। आशा है लेखन जारी रहेगा।
बेहतरीन रचना और व्यथा हिंदी की ।
Atti sunder…Mausa Ji bahut achha.
Wah wah kya baat hai ji , Excellent.
Bemishaal kavita Anil Bhai.