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Those Who Are Truly Journalists Must "Hold Their Pen Firmly." Shashi Bhushan Maithani "Paras "
Shashi Bhushan Maithani “Paras “

यह बाजारूओं को छोड़कर उन सभी विशुद्ध रूप से वास्तविक सम्मानित पत्रकारगणों के लिए गहन और विचारशील सन्देश है। मैं जिन बिंदु को उठाने जा रहा हूँ, वह न केवल पत्रकारिता के मूल्यों को, बल्कि सार्वजनिक जीवन में जिम्मेदारी और नैतिकता को भी उजागर करते हैं।
मेरा मानना है कि किसी भी पत्रकार, नेता, या सार्वजनिक हस्ती को अपने निजी विचारों और उनकी सार्वजनिक भूमिका के बीच स्पष्ट अंतर रखना चाहिए। खासतौर पर पत्रकारिता जैसे पेशे में, जहां निष्पक्षता और सत्यता सर्वोपरि मानी जाती है।
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, या किसी सार्वजनिक व्यक्ति के फेसबुक पेज या किसी अन्य मंच पर लिखे गए शब्दों को उनकी आधिकारिक भूमिका से अलग रखना मुश्किल हो सकता है। इसलिए, यह जिम्मेदारी बनती है कि सार्वजनिक मंचों पर लिखे गए विचार व्यापक, सुसंगत और जिम्मेदार हों।
जहां तक व्यक्तिगत विचारधारा की बात है, यह हर व्यक्ति का अधिकार है, लेकिन यह ध्यान रखना आवश्यक है कि इसे किसी तरह की नफरत, हिंसा, या असंवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए उपयोग न किया जाए।
संभव हो कि मैं मोदी योगी विचारधारा का समर्थक हूँ और विशुद्ध रूप से सनातनी भी हूँ। लेकिन जब अभिनेता शैफअली खान जो मुसलमान हैं, के ऊपर क्रूर हिंसक घटना को अंजाम दिया गया है तो उस वक़्त मैं शैफ अली खान के साथ हुई क्रूर घटना जैसी किसी भी अमानवीय घटना के लिए जिम्मेदार उन आपराधिक लोगों को कठोर दंड मिलने के पक्ष में हूँ , क्योंकि भारत में न्याय और मानवता से बढ़कर कुछ भी नहीं है। हालांकि यहां भी काफी हद तक मिलावट हो चुकी है। बहरहाल……!
लेकिन इस घटना के बीच कुछ वरिष्ठ वास्तविक पत्रकार अपने फेसबुक पेज पर शैफ अलीखान पर हुए हमले को जश्न और कटाक्ष के रूप में प्रस्तुत करते दिखेंगे तो इससे पत्रकारिता की नींव पर कहीं न कहीं जरूर बुरा असर पड़ेगा। हम पत्रकारों को तटस्थ भूमिका में रहकर काम करते रहना होगा। कम से कम फेसबुक और इंस्टाग्राम पर किसी भी इंसान या जानवर पर हुए हिंसक हमले को अपनी आत्मिक खुशी के लिए सार्वजनिक रूप से प्रकट नहीं करना चाहिए।

इसलिए सभी वास्तविक पत्रकार गणों से मेरी यह अपील है कि अपनी-अपनी “कलम को कसकर पकड़े रहें,” इस वाक्य को प्रेरक समझें । यह हर पत्रकार और लेखक के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए। समाज में बदलाव लाने की शक्ति शब्दों में होती है, और इसे जिम्मेदारी के साथ उपयोग करना हमारी आपकी सामूहिक जिम्मेदारी है।

                लेख का उद्देश्य

कोशिश की गई है कि यह लेख विचारशील और प्रेरक हो, जो पत्रकारिता के मूल्यों और जिम्मेदारियों को बड़े प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत कर सके । इसमें स्पष्टता और तटस्थता की बात की है, जो हर पत्रकार के लिए एक नैतिक आदर्श है।

               मुख्य बिंदु निम्न हैं

▶️1. दोहरी भूमिका से बचाव:

पत्रकारों को अपनी व्यक्तिगत विचारधारा और पेशेवर जिम्मेदारियों के बीच स्पष्ट अंतर रखना चाहिए। निष्पक्षता और सत्यता पत्रकारिता का मूल है, और इसे बनाए रखना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए।

▶️2. सार्वजनिक मंचों पर जिम्मेदारी :

सार्वजनिक व्यक्तियों और पत्रकारों द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किए गए विचारों का प्रभाव व्यापक होता है। ऐसे में उनके शब्दों को तटस्थ और जिम्मेदार होना चाहिए।

▶️3. नफरत और हिंसा का विरोध:

किसी भी हिंसक घटना का समर्थन या जश्न मनाना न केवल अनैतिक है, बल्कि यह पत्रकारिता की गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है। चाहे शैफ अली खान जैसे किसी अभिनेता के साथ हो या किसी अन्य व्यक्ति के साथ, ऐसी घटनाओं की निंदा होनी चाहिए और न्याय की मांग की जानी चाहिए।

▶️4. कलम की ताकत:

“कलम को कसकर पकड़े रहें” एक बहुत ही प्रेरक संदेश देने की कोशिश की है। हमें लेखनी का उपयोग समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए करना चाहिए। यह हर लेखक और पत्रकार का नैतिक कर्तव्य भी है।

मेरा दृष्टिकोण :

मैंने एक पत्रकार होने के नाते अपनी विचारधारा स्पष्ट करते हुए यह भी दिखाया कि हम न केवल अपने नैतिक मूल्यों में दृढ़ हैं, बल्कि दूसरों को भी तटस्थता और जिम्मेदारी की याद दिलाते हैं। यह दृष्टिकोण पत्रकारिता को सशक्त और स्वच्छ बनाए रखने में मददगार होगा।
यह लेख न केवल पत्रकारों के लिए, बल्कि समाज के हर उस व्यक्ति के लिए भी एक मार्गदर्शक है, जो अपनी भूमिका को लेकर गंभीर और जिम्मेदार है। सभी जिम्मेदार समझे जाने वाले लोग तब महत्वपूर्ण माने जा सकते हैं, जब उनके द्वारा किए गए प्रयास समाजहित में भी सराहनीय हों ।

®शशि भूषण मैठाणी “पारस”
सम्पादक – यूथ आइकॉन Yi मीडिया
7060214681

By master

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