बेदर्द समाज और बहरी 108 सेवा ! लहू-लुहान नितिन सेमवाल तड़पता रहा सड़क पर  ।बेदर्द समाज और बहरी 108 सेवा ! लहू-लुहान नितिन सेमवाल तड़पता रहा सड़क पर  ।

बेदर्द समाज और बहरी 108 सेवा ! लहू-लुहान नितिन सेमवाल तड़पता रहा सड़क पर  ।

उसी जगह सड़क पर काफी कुत्ते खड़े थे और वो भौंक रहे थे, उनके साथ संवेदन हीन सामाज तमाशबीन बन खड़ा हुआ था । अब मुझे लगा कि यह किसी के घर में पार्टी नहीं बल्कि कुछ और ही मामला है सोचते हुए मैंने गेट बंद किया और भीड़ की तरफ बढ़ चला पास जाकर पता चला कि सड़क पर खून से लतपत एक 30 साल का युवक बेहोश पड़ा हुआ है । उसके चारों ओर खड़े लोग बात कर रहे थे ‘आवाज जोर की थी … इधर से आया….. बाइक पर था….. कुत्तों ने उसे घेर लिया था…. ‘ आदि आदि , मतलब वो यह बता रहे थे कि बेहोश पड़े युवक की ये हालात कुत्तों ने की है और चिंता जता रहे थे कि ये कुत्ते (जानवर) इस इलाके के लिए ठीक नहीं हैं। मैं इन तमाशबीनों को देख यह सोचता रहा कि ये समाज एक जानवर कुत्ते को तो दोषी मान रहा है , चिंता जता रहा है लेकिन पिछले तीस से पैंतीस मिनट से एक तड़पते युवक के इर्द गिर्द खड़े तमाशबीनों (स्वयं) को क्या कहेंगे इंसान या …… खैर ये बहस लम्बी हो जाएगी….. 

शशि भूषण मैठाणी 'पारस'
शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’

रात के करीब साढ़े दस बजे का समय रहा होगा जब मैं सोने से पहले टहलने के लिए घर के गेट से बाहर निकला तभी सौ मीटर की दूरी पर सड़क पर काफी भीड़ जमा थी । मुझे लगा किसी के घर में पार्टी रही होगी तो लोग अब अपने-अपने घर को लौट रहे होंगे । यह सोच मैं विपरीत दिशा की ओर टहलने के लिए चल दिया । तकरीबन आधे घंटे बाद जब मैं वापस अपने गेट पर पहुंचा तो देखा तो सौ मीटर दूर उसी जगह सड़क पर काफी कुत्ते खड़े थे और वो भौंक रहे थे, उनके साथ संवेदन हीन सामाज तमाशबीन बन खड़ा हुआ था । अब मुझे लगा कि यह किसी के घर में पार्टी नहीं बल्कि कुछ और ही मामला है सोचते हुए मैंने गेट बंद किया और भीड़ की तरफ बढ़ चला पास जाकर पता चला कि सड़क पर खून से लतपत एक 30 साल का युवक बेहोश पड़ा हुआ है । उसके चारों ओर खड़े लोग बात कर रहे थे ‘आवाज जोर की थी … इधर से आया….. बाइक पर था….. कुत्तों ने उसे घेर लिया था…. ‘ आदि आदि , मतलब वो यह बता रहे थे कि बेहोश पड़े युवक की ये हालात कुत्तों ने की है और चिंता जता रहे थे कि ये कुत्ते (जानवर) इस इलाके के लिए ठीक नहीं हैं। मैं इन तमाशबीनों को देख यह सोचता रहा कि ये समाज एक जानवर कुत्ते को तो दोषी मान रहा है , चिंता जता रहा है लेकिन पिछले तीस से पैंतीस मिनट से एक तड़पते युवक के इर्द गिर्द खड़े तमाशबीनों (स्वयं) को क्या कहेंगे इंसान या …… खैर ये बहस लम्बी हो जाएगी परन्तु जो कुछ देखा उससे मन को बहुत पीड़ा हुई और मन में यही सवाल उठ जाग रहा था कि हे इंसान तू क्यों बन गया हैवान । लेकिन आज यह सच्चाई भी देखी कि देहरादून के सबसे पॉस ईलाके के बड़े बड़े बंगलों में बहुत छोटे छोटे लोग रहते हैं, जिनमें संवेदना नाम की चीज नहीं है ।

बेदर्द समाज और बहरी 108 सेवा ! लहू-लुहान नितिन सेमवाल तड़पता रहा सड़क पर  ।
बेदर्द समाज और बहरी 108 सेवा ! लहू-लुहान नितिन सेमवाल तड़पता रहा सड़क पर  ।

आपको बताता चलूं कि जब मैं भी भीड़ के बीच पहुंचा तो वहां मौजूद लोग घायल युवक के फोन से उसके घर नम्बर व दोस्तों के नम्बर पर फोन करके यह बताते रहे कि ये लड़का इस जगह पर गिरा पड़ा है आप जल्दी आ जाओ, दूसरा व्यक्ति पुलिस को फोन करता रहा तो तीसरा 108 एम्बुलेंस वालों से मिन्नतें कर रहा था भईया जल्दी आईये प्लीज । गौर करने वाली बात यह है कि वहां पर जितने भी लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकले थे सबके घरों में बड़ी-बड़ी गाड़ियां खड़ी थी लेकिन किसी में मानवता नहीं थी कि वो 5 मिनट की दूरी पर किसी अस्पताल तक इस युवक को पहुंचा दें । 108 एम्बुलेंस सेवा भी नदारद थी ।
मैं फिर भागे भागे अपने घर आया गाड़ी की चाबी ली और बैक गियर में गाड़ी को घटनास्थल तक ले गया और उन लोगों से कहा कि इसे मेरी गाड़ी में रखो अब एक युवक कहने लगा आप इसे जानते हो ..? दूसरा व्यक्ति बोला रुकिए आपकी गाड़ी की सीट खून से खराब हो जाएगी पहले इसमें बिछाने के लिए चादर लाते हैं तो मैं कहा .. प्लीज आप यह चिंता न करें गाड़ी धुल जाएगी अभी इसे बचाना जरूरी है आप लोग मदद कीजिए । इतने में बाईक पर सवार दो पुलिस कर्मी भी पहुंच गए थे जिनमें से एक को मैंने अपनी गाड़ी में बैठाया और घायल युवक को 3 से 4 मिनट में CMI अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचा दिया । वहां पर मौजूद स्टाफ ने तो पहले कहीं और ले जाने के लिए कहा क्यों डॉ0 महेश कुड़ियाल शहर से बाहर थे और मामला सिर की गंभीर चोट का था लेकिन मैंने स्टाफ से कहा कि कोई नहीं पहले आप इसे प्राथमिक उपचार तो शुरू कर ही दो, जिसके बाद नर्स ने मेरे हाथ में दवाइयों की लिस्ट थमा दी मेडिकल स्टोर पर जाकर दुर्गा कुड़ियाल जी से फोन पर बात हुई और उन्होंने भी तत्काल घायल युवक को उपचार हेतु सभी दवाईयां बिना कोई चार्ज लिए मुहैया करवा दी, यह उनकी महानता है । कुछ देर बाद घायल युवक के दोस्त व परिवार वाले भी पहुंच गए थे फिर पुलिस ने लड़के की जेब से बरामद मोबाईल पर्स आदि उनके हवाले किया और मैं भी रात 1 बजकर 10 मिनट पर वापस अपने घर लौट आया । लेकिन मन को बहुत शांति मिली कि एक और इंसान की जान बचाने के लिए आज ईश्वर ने मुझे फिर से मौका दिया । इस रिपोर्ट में मैंने, मेरा स्वयं का जिक्र किया है इसके पीछे कोई वाह वाही लूटने का ईरादा नहीं है , बल्कि संवेदनहीन होते जा रहे समाज को जगाना है । चिंता इस बात की कि हमारे अंदर की इंसानियत समाप्त क्यों हो रही है । आप सभी सम्मानित पाठकों से अनुरोध है कि हमेशा ध्यान रखें कि कभी भी सड़क पर कभी भी कोई भी दुर्घटना का शिकार व्यक्ति दिखे तो सबसे पहले उसके जीवनरक्षा के बारे में सोचें उसे बचाने की दिशा में सोचें यदि आपके पास उस वक़्त कोई वाहन हो तो तुरन्त घायल को नजदीकी अस्पताल तक पहुंचाए । साथ ही साथ पुलिस को सूचित कर सकते हैं । बिना पुलिस कार्रवाई के ही दुर्घटना में घायल व्यक्ति के ईलाज के लिए कोई डॉक्टर मना नहीं कर सकता है । सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि घायल को अस्पताल पहुंचाने पर तुरन्त उसे उपचार मिले साथ ही घायल को अस्पताल तक पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति को पुलिस अपनी कार्रवाई में शामिल नहीं कर सकती है । इसलिए आप लोग भी निडर होकर सामने आएं और घायलों की मदद में अपना हाथ आगे बढ़ाएं व अपनी-अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करें ।

जन्मदिन था नितिन सेमवाल का :

दुर्घटना में घायल 30 वर्षीय नितिन सेमवाल का जन्मदिन था कल यानी 22 फरवरी को वह विदेश में नौकरी करता है । आजकल छुट्टी में आया हुआ है । नितिन कल इंतजार कर रहे अपने दोस्तों के पास ही जा रहा था जहां पर उनका अब बर्थडे पार्टी जश्न होना था लेकिन बीच रास्ते में ही राहू बने कुत्ते एक साथ उसकी बाईक पर झपट पड़े जिससे वह बुरी तरह घायल हो गया था । लेकिन दूसरी तरफ यह भी मानिए कि शायद किसी बड़ी घटना से पहले की यह ठोकर लगी जिससे नितिन भले ही गंभीर रूप से चोटिल हुआ पर जान बच गई ।

हैप्पी बर्थडे नितिन

By Editor

6 thoughts on “Injured nitin : बेदर्द समाज और बहरी 108 सेवा ! लहू-लुहान नितिन सेमवाल तड़पता रहा सड़क पर  ।”
  1. शशि भूषण मैठाणी जी आप ने जो काम किया उसके लिए आपका बेहद शुक्रिया, लेकिन मुझे उन लोगों पर तरस आ रहा है जिनका आपने जिक्र किया, क्या उन लोगो मे इतनी भी दया नही थी जी एक युवक सड़क पर पड़ा है, उसकी जितनी जल्द हो सकता था मदद कर देते, यदि इतनी देर में युवक के साथ कुछ हो जाता तो क्या वो उसकी जिंदगी ला सकते थे।
    लेकिन इस भीड़ में आप जैसा इंसान इन दिखावटी लोगों को आईना दिख रहा है, ये बड़ी बात है। आप के इस जज़्बे को हम सेल्यूट करते हैं।

  2. आपका प्रयास सराहनीय है ,,सड़क हादसों मै ज्यादा तर जख्मी को समय से अस्पताल न पहुँचाने से हुई लापरवाही की बदौलत व्यक्ति की मौत हो जाती है…
    हमारे समाज मै ऐसे कई मामले आते रहे है जहाँ लोगों की अमानवीयता दिखती है
    पता नहीँ कब लोग अपनी अहम जिम्मेदारी को समझेँगे और आपने दायित्वों के प्रति जागरूक होंगे….

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