Ironical : एक बेटी ने पैसे उधार मांगकर सजाई पिता की चिता …!
एसिड अटैक पीड़ता कविता बिष्ट को उत्तराखंड नारी सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेजडर बनाकर उत्तराखंड सरकार मानो उन्हें भूल गई है। हालत यह है कि कविता बिष्ट को पिता का अंतिम संस्कार उन्हें चंदा जुटाकर करना पड़ा। 23 सितंबर 2015 को सूबे के मुख्यमंत्री हरीश सरकार ने एसिड अटैक पीड़ित कविता को राज्य में नारी सशक्तिकरण का ब्रांड अम्बैस्डर बनाकर तब खूब वाहवाही बटोरी थी ।
लेकिन सरकार ने कविता को भूलने में एक साल भी नही लगाया । उत्तराखंड नारी सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेजडर भारी आर्थिक विपन्नता से गुजर रही है । इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब कविता के पिता का देहांत हुआ तो उसके पास पिता चिता के लिए लकड़ी जुटाने तक का पैसा नहीं था । इस हालात में मजबूर कविता ने आस पडोस से रूपया 7 हजार उधार माँग कर पिता के अंतिम संस्कार को करना पड़ा फिर उन्ही में से थोड़े बचे हुए पैसो के सहारे अपनी बीमार माँ को लेकर वह पिता की तेरवी कराने अपने अल्मोडा के पैत्रिक गाँव में रवाना हुई ।
आपको बताते चलें कि एसिड अटैक की शिकार कविता बिष्ट 23 सितंबर 2015 से उत्तराखंड महिला सशक्तिकरण की ब्रांड अंबेस्डर है। कविता पर 2008 में हल्द्वानी में दो युवकों ने एसिड अटैक किया था जिसमें कविता की दोनों आंखों की रौशनी चली गई थी, इस हादसे में मुश्किल से उनकी जान बच पाई थी। मूल रूप से अल्मोडा जिले के करल, बग्वालीपोखर गाँव की रहने वाली कविता माँ दीपा बिष्ट छोटे भाई मनोज बिष्ट और पिता दीवान सिंह बिष्ट के साथ हल्द्वानी स्थित आवास विकास कालोनी में किराए के मकान पर रहती हैं। रोड़वेज में चालक रहे दीवान बिष्ट की बीते 20 मई को हार्टअटैक से मौत हो गई थी । चंदे की राशि से उसी शाम दीवान सिंह की अंतेष्ठि की गई । अब पिता की तेरवी के लिए भी कविता, भाई, माँ व गांव से आए ताऊ के साथ गांव करल रवाना हो गई ।
उक्त मामला जब मीडिया में उछला तो स्वाभाविक है कि सरकार को जमकर किरकिरी भी झेलनी पड़ी हालांकि कोई नेता या मंत्री सामने तो नहीं आए पर तुरंत उक्त मामले में जिलाधिकारी दीपक रावत का बयान आया कि उन्हे कविता की सैलरी रुकने की कोई जानकारी नहीं है। गौरतलब है कि कविता को राज्य सरकार ने निर्भया रोल में अनुसेवक के पद पर कार्यरत किया है। जिस पद पर उन्हें 21 हजार रूपया प्रतिमाह सैलरी निर्धारित है । लेकिन उत्तराखंड नारी सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेजडर कविता ने बताया कि उन्हें तीन माह से वेतन ही नहीं मिला है।
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सरकार का ऐसा उदासीन रवैया उनकी बहुत बड़ी असफलता को दर्शाता है। जब एक इतना सम्मान प्राप्त महिला के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है तो साधरण महिला के लिए तो बहुत बड़ा चिंता का विषय है। क्या सचमुच ये सरकार महिलाओं के विकास के लिए गम्भीर है?
रंजन मिश्रा जी आपको धन्यवाद
जो आपने इतना अच्छा विषय उठाया ।
must think
ना जाने कितनी घोषनाये होती है रोज सरकार की तरफ से कोई वो वादा तो करती नहीं कि की गयी घोषनाये पूरी भी वो जरूर करेगी ।
अब ये जनता के सोचने की बारी है की वो क्या कदम उठाये या चुप बैठी रहे