बदरीनाथ दर्शन में भी दिखा राष्टपति शासन का असर … ।
शीतकाल के 6 माह के बाद जब भगवान् बदरीविशाल के कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त आया तो उत्तराखण्ड में पहली बार लगे राष्टपति शासन का असर भू बैकुंड धाम में भी देखने को मिला। पूर्व में देखने को मिलता था कि प्रशासन अपना पूरा जोर शासन के लोगों के सेवा में लग जाता था जिसका सीधा असर देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं पर पड़ता था और नेताओं सहयोगी और पार्टियों के कार्यकर्ताओं की भीड़ कही न कही मंदिर दर्शन की ब्यवस्था को प्रभावित करते थे । और श्रद्धालुओं से प्रशासन और पुलिस की टीम से तनातनी हो जाती थी । लेकिन अबकी बार भू-बैकुंठ धाम बदरीनाथ में ऐसा नही कि VVIP या VIP दर्शन नही हुए लेकिन राष्टपति शासन का असर साफ़ दिखा और श्रद्धालुओं के लिए जिस तरह से मंदिर दर्शन की ब्यवस्था बनायीं गयी थी वह सभी श्रद्धालुओं को सरहनीय लगी ।
श्रद्धालु हालांकि अपनी आस्थानुसार रात्रि 10 बजे से ही दर्शन के लिए कतार में लग गए थे और भगवान के और दिव्य ज्योति दर्शनों के लिए काफी उत्साहित रहे ।
सुरेन्द्र रावत गोपेश्वर
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It means President Rule is best suited for the geneal public in Utterakhand. Therefore, the people of Utterakhand should ask the Central govt./ President. The state belongs to the people not to the leaders/parties. The message goes that the leaders and parties have forgot the sense of democracy and their duties towards the public to whom they represent. This is serious issue for debate in the parliament and public as well. Is not it?